Yatayat-ke-Sadhan : इलेक्ट्रिक सीग्लाइडर्स – तटीय परिवहन में नयी उम्मीद (विज्ञान के बढ़ते कदम और नए आविष्कार)
From ancient transport modes to Waterfly Technologies’ electric seagliders, this article explores innovations revolutionizing coastal and air travel. यातायात के ऐतिहासिक विकास से लेकर वाटरफ्लाई टेक्नोलॉजीज के आधुनिक इलेक्ट्रिक सीग्लाइडर्स तक, यह लेख परिवहन में हो रहे नवाचारों को दर्शाता है।

Yatayat-ke-Sadhan : यातायात के साधन और वस्तुस्थिति:
आदिकाल से यातायात की आवश्यकता को महसूस किया गया है और लोग उस समय भी व्यापार आदि के सिलसिले में एक शहर से दूसरे शहर, एक राज्य से दूसरे राज्य और एक देश से दूसरे देश आते जाते थे। लेकिन उस समय ये साधन कम भी थे धीमे भी थे और असुरक्षित भी। लोगों को घर से निकलते हुए यह पता ही नहीं होता था कि वे कब अपने गंतव्य पर पहुंचेंगे और कब अपने घर वापस आयेंगे। सम्पूर्ण अनिश्चितिता थी। यहाँ तक भी होता था कि लोग निकलते तो एक जगह के लिए थे पर पहुँचते थे किसी अन्य ही स्थान पर क्योंकि दिशाओं को जान पाना भी सूर्य देवता पर ही निर्भर था।
एक जगह से दूसरी जगह जाने की आवश्यकता और साधन एक महत्वपूर्ण पहलू है जो मानव जीवन और विकास के लिए आवश्यक है। परिवहन के विभिन्न साधन, जैसे सड़क, रेल, वायु और जलमार्ग, लोगों और सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में मदद करते हैं। लोगों को काम, शिक्षा, या अन्य कारणों से विभिन्न स्थानों पर जाने के लिए परिवहन की आवश्यकता होती है। वे बस, ऑटो-रिक्शा, या निजी वाहनों का उपयोग कर सकते हैं। यदि उन्हें अपने शहर से किसी अन्य शहर में जाना है, तो वे ट्रेन या हवाई जहाज का उपयोग कर सकते हैं। परिवहन के साधनों का विकास मानव जीवन को आसान और अधिक सुविधाजनक बनाता है। यह आर्थिक विकास, सामाजिक संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कालांतर में विज्ञान के माध्यम से मनुष्य ने यातायात के लिए अनुपम साधनों की खोज की जिसने आवागमन को अप्रत्याशित रूप से सरल व सुगम बना दिया है। यातायात के आधुनिकतम साधनों ने विश्व की सीमाओं को अति सीमित कर दिया है। रेलगाड़ी, मोटरकार, बस, हवाई जहाज आदि के माध्यम से बहुत कम समय में ही लंबी दूरी तय की जा सकती है।
भाप के इंजन के आविष्कार ने यातायात के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी थी। आज रेलगाड़ी के द्वारा हजारों लोग एक समय में ही एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करते हैं। भाप तथा डीजल के इंजन के अतिरिक्त आज अनेकों विद्युतचालित रेलगाड़ियाँ हैं। जापान जैसे विकसित देशों में तो ऐसी भी रेलगाड़ियाँ उपलब्ध हैं जिनकी गति ४०० किमी प्रति घंटा से भी अधिक है। गति के साथ-साथ इन गाड़ियों में वातानुकूलित डिब्बे व खान-पान जैसी सभी सुख-सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। बस की यात्रा भी कुछ इसी प्रकार है। आज के युग में बसों व रेलगाड़ियों में यात्रा करना प्राचीनकाल की तुलना में सुरक्षा से परिपूर्ण है।
हवाई जहाज ने तो यात्रा को और भी अधिक सुखद व तीव्र बना दिया है। आज हम आकाश की उड़ान भर सकते हैं तथा बहुत ही कम समय में एक शहर से दूसरे शहर तक पहुँच सकते हैं। हवाई जहाज के द्वारा हम एक हजार किमी या इससे भी अधिक की दूरी की मात्र एक-दो घंटे के समय में तय कर सकते हैं। इसमें यात्रा इतनी सुखद व आरामदायक होती है कि हमें थकान का आभास ही नहीं होने पाता है।
इनके अतिरिक्त जल मार्ग द्वारा समुद्री जहाज में यात्रा करने का रोमांच भी अपने आप में अद्वितीय है। समुद्री लहरों को चीरता हुआ समुद्री जहाज मानव की विजय गाथा को स्वयं कहता है। शहरों में साइकिल अथवा रिक्शे में चलना भी अनेक लोगों के लिए कम रोमांचकारी नहीं है। ये यातायात के सबसे सस्ते साधन हैं।
इसके अतिरिक्त दुपहिया वाहनों में स्कूटर, मोटरसाइकिल, मोपेड आदि अत्यंत प्रचलित हैं जो एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में मनुष्य का कीमती समय व धन की बचत करते हैं । चार पहिए के साधनों में आज विभिन्न मॉडलों व रंगों की कारें उपलब्ध हैं जिनमें आराम के साथ ही साथ सुखद सामग्री उपलब्ध होती है।
यातायात के नवीनतम साधनों को विकसित कर मनुष्य ने यात्रा को अत्यंत सुखद व रोमांचकारी बना दिया है। यात्रा में लगने वाले वर्षों के समय को उसने दिनों व घंटों में सीमित कर दिया है। आज हमें वास्तविक दूरी का आभास ही नहीं होता है। इस सबके साथ अब समस्या है यातायात के खर्च पर नियंत्रण करना। जिस प्रकार यातायात के साधनों में वृद्धि हुई है उसके खर्चे भी निरंतर बढ़ते जा रहे हैं जिन्हें एक सीमित दायरे में रखना नितांत आवश्यक होता जा रहा है। आज की सबसे बड़ी जरूरत ही यही है कि गति में तेजी आये और और साथ ही साथ खर्च में कमी। आज के समय में जो उपलब्ध साधन हैं उनमें स्पीड या गति तो बढ़ रही है परन्तु खर्च कम करने की गुन्जाइश कम ही लगती है।
लेकिन निराश होने की आवश्यकता नहीं है नयी खोजें निरंतर चालू हैं और वैज्ञानिक मुख्यत: तीन क्षेत्रों में समन्वय बैठा ने पर काम कर रहे हैं जैसे सुरक्षा, गति और खर्चे में कमी। आईआईटी मद्रास में विकसित एक नवोन्मेषी स्टार्टअप, वाटरफ्लाई टेक्नोलॉजीज, इलेक्ट्रिक सीग्लाइडर्स के विकास के साथ तटीय परिवहन में अग्रणी प्रगति कर रहा है, जिन्हें विंग-इन-ग्राउंड (डब्ल्यूआईजी) क्राफ्ट के रूप में भी जाना जाता है।
इलेक्ट्रिक सीग्लाइडर्स
ये क्रांतिकारी इलेक्ट्रिक समुद्री ग्लाइडर पानी से उड़ान भरने और कम ऊंचाई पर उड़ान भरने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो वायुगतिकीय दक्षता को बढ़ाने के लिए ज़मीनी प्रभाव का उपयोग करते हैं। य्ाह तकनीक पारंपरिक हवाई और नौका यात्रा के लिए एक टिकाऊ और लागत प्रभावी विकल्प प्रदान करती है, जिसका उद्देश्य भारत और उसके बाहर तटीय क्षेत्रों में परिवहन को बदलना है।
वाटरफ्लाई टेक्नोलॉजीज का उन्नत इलेक्ट्रिक समुद्री ग्लाइडर तटीय जल पर परीक्षण चरण में
वॉटरफ्लाई टेक्नोलॉजीज के इलेक्ट्रिक सी ग्लाइडर्स की मुख्य विशेषताएं:
गति और दक्षता: वॉटरफ्लाई के इलेक्ट्रिक समुद्री ग्लाइडरों की गति ५०० किमी/घंटा तक पहुंचने की उम्मीद है, जो विमान की गति और आराम के साथ-साथ नौकाओं की सामर्थ्य और गतिशीलता का संयोजन करेंगे।
लागत प्रभावशीलता: कोलकाता से चेन्नई (लगभग १,६०० किमी) की यात्रा की लागत मात्र ६०० प्रति सीट होने का अनुमान है, जो कि एसी थ्री-टियर ट्रेन टिकट की तुलना में काफी सस्ती है, जिससे तटीय परिवहन अर्थशास्त्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
पर्यावरणीय प्रभाव: वाटरफ्लाई टेक्नोलॉजीज द्वारा विकसित प्रारंभिक बैटरी चालित सीग्लाइडर की रेंज ५०० किमी होगी, तथा हाइड्रोजन-इलेक्ट्रिक संस्करण की योजना २,००० किमी तक की यात्रा करने में सक्षम होगी, जिसका उद्देश्य भारत के विस्तृत समुद्र तट पर शून्य-कार्बन यात्रा प्रदान करना है।
वॉटरफ्लाई टेक्नोलॉजीज में विकास समयरेखा:
प्रोटोटाइप विकास: अप्रैल २०२५ तक १०० किलोग्राम का प्रोटोटाइप तैयार होने की उम्मीद है, जिसके बाद उसी वर्ष एक टन का प्रोटोटाइप तैयार होगा, जो वाटरफ्लाई की तटीय परिवहन नवाचार यात्रा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
पूर्ण संस्करण: २०२६ तक चार टन पेलोड के साथ २० सीटों की क्षमता वाला इलेक्ट्रिक समुद्री ग्लाइडर तैयार होने की उम्मीद है, जो तटीय शहरों के बीच लोगों की यात्रा के तरीके को बदलने के लिए तैयार है।
वॉटरफ्लाई प्रौद्योगिकियों के लिए भविष्य की संभावनाएं:
वाटरफ्लाई टेक्नोलॉजीज चेन्नई-सिंगापुर जैसे मार्गों पर परिचालन का विस्तार करने की योजना बना रही है और २०२९ तक दुबई-लॉस एंजिल्स जैसे मार्गों सहित अंतरमहाद्वीपीय यात्रा का लक्ष्य बना रही है। कंपनी २०२६ तक अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के तहत भारतीय शिपिंग रजिस्टर से प्रमाणन प्राप्त करने का लक्ष्य बना रही है, जिससे भारत तटीय परिवहन प्रौद्योगिकी में अग्रणी बन जाएगा। जैसे-जैसे उत्पादन पैमाने और तकनीक परिपक्व होती जाएगी, वाटरफ्लाई टेक्नोलॉजीज का अनुमान है कि इलेक्ट्रिक समुद्री ग्लाइडर परिवहन लागत में कमी जारी रहेगी। २०३० तक, कंपनी का लक्ष्य बस यात्रा के बराबर परिचालन लागत हासिल करना है, जो संभवतः दुनिया भर के तटीय क्षेत्रों में क्षेत्रीय परिवहन नेटवर्क के बारे में हमारी सोच में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।
भारत में ७,५०० किलोमीटर से ज़्यादा की विशाल तटरेखा है, इसलिए तटीय शिपिंग को आर्थिक विकास के मुख्य चालक के रूप में इस्तेमाल करने की अपार संभावनाएँ हैं। तटीय शिपिंग सड़क और रेल परिवहन के लिए लागत-प्रभावी, ईंधन-कुशल और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प प्रदान करता है। इसके लाभों के बावजूद, बुनियादी ढाँचे की बाधाओं, नियामक चुनौतियों और सीमित उद्योग जागरूकता के कारण यह क्षेत्र अभी भी कम उपयोग में है।
(वाटरक्रा़फ्ट टेक्नोलॉजीज चेन्नई के सौजन्य से)
डॉ. रविन्द्र दीक्षित
ग्रेटर नोएडा
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