मधुमेह - एक जानलेवा बीमारी का तकनीकी प्रबंधन (चिकित्सा जगत में विज्ञान के बढ़ते कदम)
जब हमारा शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनाता या हमारा शरीर अपने द्वारा बनाए गए इंसुलिन का उचित उपयोग नहीं करता। इसका कारण इंसुलिन के बनने या इस्तेमाल होने की मात्रा में समस्या है। इसलिए वे बढ़ते रहते हैं। यह अक्सर निम्न कारणों से होता है:

आज के दिन पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा किसी बीमारी से पीड़ित लोग हैं तो वह रोग है मधुमेह । मधुमेह एक आजीवन बीमारी है जिसके कारण हमारे रक्त में शर्करा का स्तर अनियंत्रित हो जाता है। यह स्तर यदि नियत मात्रा से ज्यादा है तो नियमित दवा के द्वारा इसे नियन्त्रित करना पड़ता है और यह मधुमेह की स्थिति होती है। कुछ लोगों में रक्त में शर्करा की मात्र नियत मात्रा से काफी नीचे चली जाती है, यह भी गंभीर स्थिति होती है जिसे खानपान का ध्यान रख कर उचित स्तर पर ला सकते हैं। कई बार दवा के अत्यधिक डोज़ से भी शर्करा की मात्रा जरुरत से कम हो सकती है जो जानलेवा हो सकती है ।
रक्त में शर्करा को ग्लूकोज के रूप में भी जाना जाता है, यह हमारे शरीर की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। यह हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से आता है, विशेष रूप से ब्रेड और आलू जैसे कार्बोहाइड्रेट से। ग्लूकोज को रक्तप्रवाह के माध्यम से शरीर के चारों ओर कोशिकाओं तक पहुँचाया जाता है ताकि उन्हें काम करने के लिए ऊर्जा मिले। जब रक्तप्रवाह में ग्लूकोज होता है, तो अग्न्याशय (पेट के पास का एक अंग) इंसुलिन नामक एक हार्मोन (एक रासायनिक संदेशवाहक) बनाता है। इंसुलिन शरीर की कोशिकाओं को ग्लूकोज को अवशोषित करने और इसे ऊर्जा के रूप में उपयोग करने के लिए कहता है।
मधुमेह से पीड़ित किसी व्यक्ति का शरीर ग्लूकोज को अवशोषित नहीं कर सकता क्योंकि उसके इंसुलिन में कोई समस्या है। इससे यह अनुमान लगता है -
· उनकी कोशिकाएं ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का उपयोग नहीं करती हैं
· अप्रयुक्त ग्लूकोज उनके रक्त में रहता है और बढ़ता जाता है
· अतिरिक्त ग्लूकोज उनकी धमनियों को नुकसान पहुंचा सकता है (धमनियां शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त और पोषक तत्व ले जाती हैं)
· यदि उनकी धमनियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो इससे हृदय और रक्तसंचार संबंधी रोग विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है।
मधुमेह के दो मुख्य प्रकार हैं:
· टाइप 1 मधुमेह - जब हमारा शरीर इंसुलिन नहीं बना पाता, क्योंकि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली (जो आमतौर पर हमारे शरीर को बुरे बैक्टीरिया और वायरस से बचाती है) इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। इसका प्रकार की मधुमेह का कारण अज्ञात है। वैज्ञानिकों का मानना है कि टाइप 1 डायबिटीज़ के कारण शरीर इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला करता है। परन्तु ऐसा क्यों होता है, यह समझने के लिए अभी भी शोध चल रहे हैं।
· टाइप 2 मधुमेह - जब हमारा शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनाता या हमारा शरीर अपने द्वारा बनाए गए इंसुलिन का उचित उपयोग नहीं करता। इसका कारण इंसुलिन के बनने या इस्तेमाल होने की मात्रा में समस्या है। इसलिए वे बढ़ते रहते हैं। यह अक्सर निम्न कारणों से होता है:
Ø शरीर अपने रक्त शर्करा के स्तर को शारीरिक रूप से निष्क्रिय होना
Ø अधिक वजन या मोटापा होना
Ø मधुमेह का पारिवारिक इतिहास होना
Ø प्री-डायबिटीज होना - जब हमारे रक्त शर्करा का स्तर सामान्य सीमा से ऊपर होता है, लेकिन इतना अधिक नहीं होता कि उसे मधुमेह के रूप में निदान किया जा सके।
मधुमेह का इलाज –
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज़ के उपचार थोड़े अलग हो सकते हैं। दोनों ही प्रकार के उपचारों, खास तौर पर टाइप 2 के लिए स्वस्थ संतुलित आहार खाने और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि टाइप 2 डायबिटीज़ का संबंध ज़्यादा वज़न या मोटापे से है लेकिन इस पर नियंत्रण हमें बेहतर नींद और ज़्यादा ऊर्जावान महसूस करने में भी मदद कर सकता है।
टाइप 1 डायबिटीज़ वाले लोग इंसुलिन नहीं बना पाते क्योंकि उनका शरीर इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला करता है। इसका मतलब है कि उनके शरीर को उनके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन बाहर से दिया जाना ही उपचार है और उन्हें दिन में कई बार अपने रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करनी होगी।
अधिकांश लोगों को अपने टाइप 2 मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए दवा की आवश्यकता होती है। दवा हमारे रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करने में मदद करती है। यह हृदय और संचार संबंधी बीमारियों जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के विकास के जोखिम को कम कर सकता है।
कभी-कभी, टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों को इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता हो सकती है। और, उनके डॉक्टर उन्हें नियमित रूप से अपने रक्त शर्करा के स्तर की जाँच करने के लिए कह सकते हैं। लेकिन अधिकांश टाइप 2 मधुमेह रोगियों को ऐसा करने की आवश्यकता नहीं होती है।
मदुमेह रोगियों में दवा का प्रकार, आपको कितनी मात्रा लेनी चाहिए और आपको इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता है या नहीं, यह समय के साथ बदलता रह सकता है। आपको अपने उपचार योजना की समीक्षा करने के लिए अपने डॉक्टर से नियमित जांच करवानी होगी। टाइप 2 मधुमेह वाले कुछ लोग दवा लेना बंद कर सकते हैं यदि वे स्वस्थ संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और वजन कम करके अपने रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर सकते हैं ।
अब हम आते हैं मधुमेह के उन रोगियों के विषय पर जिनमें टाइप 1 मधुमेह है और जिनमें इन्सुलिन की मात्र कम या बिलकुल नहीं बनती या बनती भी है पर शरीर उसे उपयोग नहीं कर पाता इसलिए इन्सुलिन को शरीर में इंजेक्शन द्वारा दिन में कई कई बार पहुचाना पड़ता है। अब इंजेक्शन में कितनी मात्र में इन्सुलिन दिया जाय यह भी हमारे रक्त में शर्करा के स्तर पर आधारित है जो खाने और व्यायाम पर निर्भर करता है । इसका मतलब यह हुआ कि टाइप 1 मधुमेह रोगियों के शरीर में रक्त के शर्करा स्तर की जांच दिन में बहुत बार करनी पड़ती है और इसकी दवा भी इंजेक्शन के द्वारा दिन में कई बार लेनी पड़ती है और उसका डोज रक्त में शर्करा के स्तर पर निर्भर करता है।
ऐसे रोगियों की दो समस्याएं हुईं - एक रक्त के शर्करा स्तर की दिन में कई बार या सतत जाँच और दूसरा शर्करा के स्तर के मुताबिक इन्सुलिन का डोज़ निर्धारण और उस मात्रा को शरीर में किसी माध्यम से पहुंचाना। यहाँ यह बात ध्यान में रखना आवश्यक है कि शर्करा की कम या ज्यादा स्तर दोनों ही खतरनाक हैं और दोनों स्थितियों का नियंत्रण जरुरी है। इस समस्या के समाधान हेतु तरह तरह के उपकरण बनाये गए और वर्तमान में ऐसी ही कुछ डिवाइस उपलब्ध हैं जो ऐसे लोगों का जीवन आसान बनाने में मदद मिली है।
इस श्रंखला में सबसे पहले आता है निरंतर ग्लूकोज मॉनिटरिंग (सीजीएम) सिस्टम जिससे मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों को वास्तविक समय में अपने रक्त शर्करा के स्तर को ट्रैक करने की सुविधा देता है, जिससे उन्हें तत्काल प्रतिक्रिया मिलती है कि उनका शरीर विभिन्न खाद्य पदार्थों, गतिविधियों और दवाओं पर कैसे प्रतिक्रिया दे रहा है। इसके आंकड़ों को आधार बनाकर दवा की मात्रा का निर्धारण सहज हो जाता है। बाजार में कई लोकप्रिय सीजीएम डिवाइस उपलब्ध हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अनूठी विशेषताएं और फायदे हैं। मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने डॉक्टर से परामर्श करें ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि कौन सा सीजीएम डिवाइस उनकी आवश्यकताओं के लिए सबसे उपयुक्त है। सीजीएम डिवाइस को बांह उपरी हिस्से में पीछे की तरह चिपका दिया जाता है जिससे उसका सेंसर सदैव त्वचा के संपर्क में रहता है और नियमित रूप से रक्त शर्करा की जांच करता रहता है । यह गणना किसी मोबाइल डिवाइस तक जाती है जिससे उस समय के लिए इन्सुलिन डोज़ की मात्र तय हो जाती है ।
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अब एक दूसरी डिवाइस की आवश्यकता होगी जो रोगी के शरीर में इस निर्धारित मात्रा में इन्सुलिन को शरीर में पहुंचा दे । इसके लिए अब सुविधा है इन्सुलिन पंप की । इंसुलिन पंप ने मधुमेह से पीड़ित कई व्यक्तियों के लिए अपनी स्थिति को प्रबंधित करने के तरीके में क्रांति ला दी है। ये पहनने योग्य उपकरण (Wearable Devices) शरीर में इंसुलिन पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को कई लाभ और जीवन की बेहतर गुणवत्ता मिलती है। इंसुलिन पंप कॉम्पैक्ट डिवाइस हैं जो शरीर में इंसुलिन को लगातार पहुंचाकर अग्न्याशय के कार्य की नकल करते हैं। पारंपरिक इंसुलिन इंजेक्शन के विपरीत, जिसके लिए प्रतिदिन कई खुराक की आवश्यकता होती है, इंसुलिन पंप पूरे दिन इंसुलिन का एक स्थिर और अनुकूलन योग्य प्रवाह प्रदान करते हैं। यह व्यक्तियों को अपने रक्त शर्करा के स्तर को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद कर सकता है और ज्यादा आसान है । कई इन्सुलिन पंप सीजीएम डिवाइस के डाटा का उपयोग सीधे भी कर लेते है जिनमें ब्लूटूथ माध्यम से डाटा इन्सुलिन पंप में भेजा जा सकता है ।
हाल के वर्षों में स्मार्ट घड़ियाँ और फिटनेस ट्रैकर बहुत लोकप्रिय हो गए हैं, और मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों के लिए, ये पहनने योग्य उपकरण कई तरह के लाभ प्रदान कर सकते हैं। ये उपकरण केवल समय बताने या कदमों को ट्रैक करने से कहीं आगे जाते हैं; वे मधुमेह के प्रबंधन और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों के लिए स्मार्ट घड़ियों और फिटनेस ट्रैकर्स का एक मुख्य लाभ यह है कि वे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य पैरामीटर की निगरानी और ट्रैक करने की क्षमता रखते हैं। ये डिवाइस हृदय गति और यहां तक कि नींद के पैटर्न को भी ट्रैक कर सकते हैं, जिससे व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य के बारे में मूल्यवान जानकारी मिलती है। पैरामीटर की निरंतर निगरानी करके, मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति इस बात की बेहतर समझ प्राप्त कर सकते हैं कि कुछ गतिविधियाँ और जीवनशैली विकल्प उनके रक्त शर्करा के स्तर को कैसे प्रभावित करते हैं, जिससे उन्हें अपने मधुमेह प्रबंधन के बारे में अधिक सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।
मधुमेह रोगियों के लिए स्मार्ट इंसुलिन पेन भी बाज़ार में आ गए हैं । स्मार्ट इंसुलिन पेन मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों के लिए इंसुलिन वितरण में एक क्रांतिकारी प्रगति है। ये पेन अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं जो इंसुलिन के स्तर को प्रबंधित करने की प्रक्रिया को सरल बनाता है और सटीक डोज़ प्रबंधन सुनिश्चित करता है। इन उपकरणों में स्मार्ट सुविधाओं को एकीकृत करके, वे मधुमेह की निगरानी और नियंत्रण के लिए एक अधिक सुविधाजनक और कुशल तरीका प्रदान करते हैं। स्मार्ट इंसुलिन पेन को लोगों को यह याद दिलाने (रिमाइंडर और अलर्ट) के लिए प्रोग्राम किया जा सकता है कि उनकी अगली इंसुलिन खुराक का समय कब है। यह सुविधा खास तौर पर उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनका शेड्यूल व्यस्त है या जिन्हें दवाइयों की दिनचर्या याद रखने में दिक्कत होती है।
इस सबके साथ ही कुछ डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफार्मों भी आ गए हैं किनकी सहायता से जीवन आसान बन जाता है। मधुमेह प्रबंधन के क्षेत्र में एक ऐसा ही मंच है एन्हांस-डी। एन्हांस-डी एक डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफ़ॉर्म है जिसे विशेष रूप से सटीक व्यायाम के माध्यम से मधुमेह प्रबंधन को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह सभी स्वास्थ्य-संबंधी डेटा को सरल और सहज तरीके से एकीकृत, विश्लेषण प्रस्तुत करके केवल व्यायाम को ट्रैक करने से आगे जाता है। यह एकीकरण व्यक्तियों को उनके स्वास्थ्य के बारे में समग्र दृष्टिकोण रखने की अनुमति देता है, जिससे उनके मधुमेह प्रबंधन के बारे में सूचित निर्णय लेना आसान हो जाता है।
यह सब जानने के बाद यह तो स्पष्ट है कि तकनीक ने मधुमेह के रोगियों के लिए भी जीवन आसान बनाने में बहुत भूमिका निभाई है और सभी रोगियों को तकनीक का भरपूर लाभ लेना चाहिए ।
डा रवीन्द्र दीक्षित
ग्रेटर नॉएडा
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