बुजुर्ग
दादी सुकून घर की शान रही दुर्भाव नहीं।।
घर का मान
बुजुर्गों का सम्मान
जीवन ज्ञान।।
दादा की याद
उनका आशीर्वाद
हम आबाद।।
दादी सुकून
घर की शान रही
दुर्भाव नहीं।।
है मात-पिता
हमारे भगवान
सदा महान।।
उनसे चैन
हमारे है बेचैन
हमसे चैन।।
मातृ आंचल
सुरक्षित है जीवन
सरजीवन।।
देते आशीष
अंकल अर आँटी
देवे गारंटी।।
बुजुर्ग हंसी
है जीवन की सीख
मिटादे झीख।।
है पहचान
देती सुरक्षा ज्ञान
जीना आसान।।
बिन बुजुर्ग
घर रहता सूना
है समझना।।
न बीमार हो
कभी ना लाचार हो
वे ही सार हो।।
माँ आए याद
उनका आशीर्वाद
सुखी हैं आज।।
पूज्य पिताश्री
को मेरा है प्रणाम
बड़े महान।।
जीवन में है
सफल कर दिया
आशीष दिया।।
हम सबका
आधार परिवार
यही विचार।।
है पृथ्वीसिंह
आपकी ही संतान
करूं प्रणाम।।
पृथ्वीसिंह बैनीवाल
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