हाइकु

सिर पर धर धूप की गठरिया- सूरज चला। फुनगियों से  उतरी धरा पर- धूप चिड़ैया। कभी न थका अनवरत चला- सूर्य बटोही। कंठ-चिड़ैया- व्याकुल है प्यास से। सकोरे रीते।

Jun 14, 2025 - 15:26
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हाइकु
Haiku

सिर पर धर
धूप की गठरिया-
सूरज चला।

फुनगियों से 
उतरी धरा पर-
धूप चिड़ैया।

कभी न थका
अनवरत चला-
सूर्य बटोही।

कंठ-चिड़ैया-
व्याकुल है प्यास से।
सकोरे रीते।

कट माटी से 
भुला दिए हमने-
माटी के घर।

मुहब्बत से 
नफ़रत की बर्फ़-
पिघल गई।

दिन अंगार-
बैठे धुनी रमाए।
राख श्रृंगार।

 अशोक आनन
शाजापुर ( म.प्र.)

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