आम के आम और गुठलियों के दाम - कार्बन डाइऑक्साइड से अल्कोहल (विज्ञान के नए आयाम और आविष्कार)

सोचिए यदि कुछ ऐसा हो जाये कि इस प्रदूषण का कुछ समाधान निकले और इसका इलाज हो सके और जनता चैन की सांस ले सके। अब एक तकनीक निकली है जिसमें वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अवशोषित कर उसे अल्कोहल में बदल देगी। यह अल्कोहल गन्ने या दूसरी प्रक्रियाओं से बनने वाले अल्कोहल से काफी सस्ता होगा और वातावरण से एक प्रदूषण फ़ैलाने वाली एक गैस कार्बन डाइऑक्साइड को भी किसी हद तक कम कर सकेगा।

Jun 4, 2025 - 18:56
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आम के आम और गुठलियों के दाम - कार्बन डाइऑक्साइड  से अल्कोहल (विज्ञान के नए आयाम और आविष्कार)
Prices of mangoes and seeds - Alcohol from carbon dioxide

विश्व की जनसँख्या बढ़ रही है, रोजी रोटी के लिए अधिक औद्योगिकीकरण, व्यवसायीकरण, रहने के लिए नए मकानों की आवश्यकता और इसके लिए जंगलों की कटान, हरित पट्टी का कम होना इत्यादि अनेकों इससे सम्बंधित समस्याएं हैं और साथ ही बढ़ता तरह तरह का प्रदूषण। प्रदूषण की समस्या शहरी क्षेत्रों में तो विकट बनती जा रही है जहाँ स्वस्थ रहना भी एक चुनौती बनता जा रहा है। दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में तो अक्टूबर महीने से सर्दियों में वायु प्रदूषण इस कदर बढ़ जाता है कि लोग घरों में क़ैद रहने को मजबूर हो जाते हैं। वायु में प्रदूषण का स्तर खतरनाक से भी बहुत ऊंचे स्तर पर चला जाता है। स्कूल कॉलेज बंद, दफ्तरों में समय का परिवर्तन, निर्माण कार्य ठप्प, औद्यौगिक कार्य अविरुद्ध। 
सोचिए यदि कुछ ऐसा हो जाये कि इस प्रदूषण का कुछ समाधान निकले और इसका इलाज हो सके और जनता चैन की सांस ले सके। अब एक तकनीक निकली है जिसमें वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अवशोषित कर उसे अल्कोहल में बदल देगी। यह अल्कोहल गन्ने या दूसरी प्रक्रियाओं से बनने वाले अल्कोहल से काफी सस्ता होगा और वातावरण से एक प्रदूषण फ़ैलाने वाली एक गैस कार्बन डाइऑक्साइड को भी किसी हद तक कम कर सकेगा। आपने बचपन में जरुर पढ़ा होगा कि रात में पेड़ों के नीचे नहीं सोना चाहिए। इसका कारण यही था कि पौधे और पेड़ रात में कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण नहीं करते क्योंकि रात में प्रकाश की अनुपस्थिति में प्रकाश संस्लेषण की प्रक्रिया बंद हो जाती है तब पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, लेकिन यह मात्रा दिन के दौरान उनके द्वारा छोड़े जाने वाले ऑक्सीजन की मात्रा से कम होती है इसलिए कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर पेड़ों के नीचे बढ़ जाता है जो स्वास्थ्य के लिए नुक्सान देह होगा।
हाल के वर्षों में, कार्बन डाइऑक्साइड के अत्यधिक उत्सर्जन के कारण, वैश्विक तापमान में वृद्धि अधिक गंभीर हो गई है, और ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की तत्काल आवश्यकता को महसूस किया गया है। कार्बन डाइऑक्साइड को उच्च अल्कोहल में परिवर्तित करना एक आशाजनक प्रक्रिया है, क्योंकि यह न केवल मूल्यवान रसायनों का उत्पादन करता है, बल्कि कार्बन डाइऑक्साइड को फीडस्टॉक के रूप में भी उपयोग करता है। वर्तमान में, अधिकांश रिपोर्ट किए गए उत्प्रेरक अल्कोहल को संश्लेषित करने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड के प्रत्यक्ष हाइड्रोजनीकरण पर आधारित हैं। हालाँकि, उच्च अल्कोहल के संश्लेषण में कई चरण शामिल होते हैं, जिसके लिए कई कार्यात्मक साइटों वाले उत्प्रेरक की आवश्यकता होती है लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है। विचार करने लायक एक वैकल्पिक दृष्टिकोण कई अच्छी तरह से स्थापित उत्प्रेरक प्रतिक्रियाओं (जैसे, मेथनॉल संश्लेषण, कार्बन डाइऑक्साइड- फिशर-ट्रॉप्स- संश्लेषण, जो कार्बन डाइऑक्साइड को सिनगैस में रूपांतरण, ओलेफिन हाइड्रेशन, आदि) का एक संयोजन करना है, ताकि कार्बन डाइऑक्साइड को सीधे कार्बन डाइऑक्साइड हाइड्रोजनीकरण के बजाय अप्रत्यक्ष रूप से उच्च अल्कोहल में परिवर्तित किया जा सके। 
बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित खबर के मुताबिक, भले ही भारत का लक्ष्य २०२५ तक एथेनॉल के साथ पेट्रोल का २० प्रतिशत मिश्रण हासिल करना है। शायद एथेनॉल की कीमत तेल-विपणन कंपनियों (ओएमसी) के लिए चिंता का विषय बन सकती है, लेकिन यदि चेन्नई मुख्यालय वाली फर्म रामचरण कंपनी द्वारा किए गए दावों पर विश्वास किया जाए, तो कार्बन डाइऑक्साइड (कार्बन डाइऑक्साइड) को एथेनॉल में परिवर्तित करने की कंपनी की तकनीक ३५ रुपये प्रति लीटर की दर से ईंधन-ग्रेड एथेनॉल का उत्पादन कर सकती है, जो ईंधन मिश्रण के लिए उपयुक्त है।
कंपनी ने पहले ही विभिन्न अपशिष्टों को ऊर्जा और मूल्य वर्धित उत्पादों में परिवर्तित करने के लिए निखिल गडकरी के नेतृत्व वाले मानस एग्रो इंडस्ट्रीज एंड साथ साझेदारी की है। निखिल गडकरी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बेटे है। दिसंबर २०२१ में रामचरण कंपनी ने यूएस-आधारित फंड टीएफसीसी इंटरनेशनल से ४६ प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए ४.१४ बिलियन डॉलर का निवेश हासिल करके सुर्खियां बटोरीं थी, जिससे कंपनी का मूल्यांकन ९ बिलियन डॉलर से अधिक हो गया।
रामचरण के साथ मिलकर का लक्ष्य ऐसी प्रणालियाँ विकसित करना है, जो शून्य-डिस्चार्ज इकाई तक ले जा सकें। रामचरण वर्तमान में नागपुर में स्थान पर कार्बन डाइऑक्साइड से एथेनॉल उत्पादन का प्लांट स्थापित करने की प्रक्रिया में है। यह ईंधन मिश्रण के लिए उपयुक्त डिस्चार्ज किए गए कार्बन डाइऑक्साइड की किसी भी मात्रा को ईंधन-ग्रेड एथेनॉल में परिवर्तित करने के लिए एक पेटेंट मिनी-रिएक्टर का उपयोग करता है।
रामचरण इस तकनीक को साझा करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला प्रमुख नेवेली लिग्नाइट जैसी कंपनियों और बिजली, इस्पात और सीमेंट क्षेत्रों के खिलाड़ियों के साथ भी बातचीत कर रहे हैं। रामचरण के मालिक कौशिक पालिचा ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ एक साक्षात्वâार में कहा, हम संभवतः दुनिया भर में ऐसी तकनीक के लिए पेटेंट वाली एकमात्र कंपनी हैं, जो ३५ रुपये प्रति लीटर की कम कीमत पर एथेनॉल की पेशकश करती है। यह उस उच्च मूल्य सीमा के विपरीत है जिस पर ओएमसी वर्तमान में एथेनॉल खरीदती हैं। इसके अलावा, कोई इनपुट लागत नहीं है।
विभिन्न अनुप्रयोगों में ५० से अधिक पेटेंट के साथ, रामचरण अब विभिन्न उत्पादों का व्यावसायीकरण कर रहे हैं। इस उत्पाद द्वारा प्राप्त कार्बन डाइऑक्साइड से ईंधन-ग्रेड एथेनॉल का उत्पादन, एक विशेष इंजीनियरिंग उपलब्धि है जो कार्बन कैप्चर चुनौतियों का समाधान करती है और भारत के कार्बन फुटप्रिंट को कम करती है। कंपनी के मुताबिक, ७०,००० टन प्रतिदिन क्षमता का प्लांट लगाने में करीब ५० करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
पालिचा ने कहा, यह तकनीक कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में भारत की यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान देगा। उद्योग इस तकनीक का उपयोग कार्बन तटस्थता की ओर बढ़ने के लिए कर सकते हैं और अंततः कार्बन उत्सर्जन को मूल्य वर्धित उत्पादों में परिवर्तित करके मूल्य जोड़ सकते है।पिछले साल, कंपनी ने घाना स्थित मसरी कंपनी के साथ अपशिष्ट-से-ऊर्जा इकाइयों की आपूर्ति के लिए २.२ बिलियन डॉलर का संविदा भी हासिल किया, जिससे घाना के लिए लगभग ३०० मेगावाट बिजली पैदा हुई। इसके अतिरिक्त, रामचरण ने अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयों की आपूर्ति के लिए बाकू, अजरबैजान में काफ्काज़ फाईनान्स के साथ ७०० मिलियन का सौदा भी हासिल किया।
ग्रीन हाउस गैसेस के लिए भारत में उर्जा क्षेत्र सबसे ज्यादा जिम्मेदार है और उसकी हिस्सेदारी है जबकि कृषि २०ज्ञ्, उद्योग ६ज्ञ् हिस्सेदारी रखते हैं। भारत ने २०७० तक शून्य ग्रीन हाउस गैसेस का लक्ष्य रखा है। इसलिए यह और भी जरुरी हो जाता है कि भारत नयी परियोजनानों में भागीदारी करे जिसमें उत्सर्जित गैसों को मूल्य वर्धित उत्पादों में बदला जा सके। 
इलेक्ट्रो कटैलिसीस रिएक्टर एक इसी तरह की तकनीक है जो कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उपयोग करके एथेनॉल में परिवर्तित कर सकता है। एथेनॉल एक ऐसा रसायन है जिसका उपयोग बहुत सारे क्षेत्रों में होता हैं। अभी इसका इंधन में पेट्रोल के साथ मिलाकर गाड़ियों में भी प्रयोग हो रहा है। अभी जो ब्लेंडिंग हो रही है वह तक ही है लेकिन इसी साल तक इसे २०ज्ञ् तक किया जाना है। इसके लिए एक और चीज जो मुख्य हो जाती है वह है एथेनॉल का मूल्य जो लगातार बढ़ रहा है। यदि एथेनॉल का मूल्य पेट्रोल के समकक्ष हो जाता है तो इस ब्लेंडिंग का कोई उपयोग ही नहीं रह जायेगा।
अभी एतेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से किण्वन प्रक्रिया के माध्यम से स्टार्च या चीनी युक्त फसलों से किया जाता है। इसका उत्पादन मक्का, गन्ना, गेहूं, और जौ जैसी फसलों से किया जाता है, जहाँ किण्वन में यीस्ट का उपयोग करके चीनी को अल्कोहल में बदला जाता है। यह फसलें अन्यथा भी भोजन में प्रयुक्त होती हैं इसलिए इन्हें जरुरत से ज्यादा उत्पादन होने पर ही अल्कोहल बनाने में उपयोग किया जा सकता है अन्यथा भोजन सामिग्री की कमी होने लगेगी और भोज्य पथार्थों का मूल्य बढ़ने लगेगा। जैसा बताया जा रहा है कि कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उपयोग करके जो एथेनॉल बनेगा वह ३५ रूपये प्रति लीटर तक हो सकता है जो एक सामान्य अल्कोहल की कीमत से काफी कम है और मुफ्त की कार्बन डाइऑक्साइड गैस की कमी भी नहीं है। इसलिए इससे फायदा ही फायदा है। कहते हैं न कि आम के आम और गुठलियों के दाम, तो यह युक्ति यहीं सार्थक होती है। हो सकता है कि भविष्य में और ऐसी ही तकनीकें विकसित हों जो हमारी समस्याओं को कुछ हद तक कम कर सकें। फिलहाल एक सुनहरी किरण तो दिखी है जो बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।  

डॉ. रविन्द्र दीक्षित
ग्रेटर नोएडा

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