राम मंदिर
लगभग ५०० वर्षों के संघर्ष के बाद २२ जनवरी २०२४ को रामलला को अयोध्या के मंदिर में स्थापित किया गया। राम मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का मंदिर है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारत का एक देखा हुआ सपना था जो २२ जनवरी २०२४ को पूर्ण हुआ।
हम चाहे वाल्मीकि कृत रामायण को पढ़ें या तुलसीदास रचित रामचरितमानस को पढ़ें,सर्वविदित यही है कि अयोध्या राम का जन्म स्थान है। वह राम जो आदर्शों के सागर हैं। अनगिनत आदर्श एक ही व्यक्ति राम में समाहित है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम जो काल और देश की सीमा से परे हैं,वह राम जो धर्म के प्रतीक हैं,समस्त अच्छाइयों के रक्षक हैं, योग्य राजा के साथ-साथ एक आदर्श पति, एक आदर्श भाई और एक आदर्श पुत्र भी हैं। ऐसे राम को अपनी ही जन्म भूमि अयोध्या से निष्कासित होना पड़ा। लगभग ५०० वर्षों के संघर्ष के बाद २२ जनवरी २०२४ को रामलला को अयोध्या के मंदिर में स्थापित किया गया। राम मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का मंदिर है।
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारत का एक देखा हुआ सपना था जो २२ जनवरी २०२४ को पूर्ण हुआ। यह दिन भारत के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया है। राम मंदिर के इतिहास को संक्षेप में देखें तो पाएंगे कि राम मंदिर विवाद १८५८ में शुरू हुआ था और १८८५ में इस विवाद को कोर्ट में दर्ज किया गया था। १९८९ में विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर का शिलान्यास कर दिया था। राम मंदिर को काफी एजेंडा बनाया गया। २०१९ के सुप्रीम कोर्ट निर्णय के बाद ५ अगस्त २०२० में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने रामलला मंदिर का शिलान्यास किया और यही मंदिर आज भव्य रूप में हमारे सामने आ गया है।
अयोध्या में २.७ एकड़ भूमि के ५७,४०० वर्ग फुट में राम मंदिर का निर्माण हुआ है। मंदिर ३६० फीट लंबा,२३५ फीट चौड़ा और १६१ फीट ऊँचा है। नागर शैली स्थापत्य कला का अनुसरण करता हुआ यह मंदिर पारंपरिक और आधुनिक तकनीक का मिश्रण है। मंदिर के ऊँचे शिखर भव्यता, विरासत और संस्कृति सबमें चार चाँद लगाते हैं। राम मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि हमारे देश का गौरव भी है। यह मंदिर हमारी एकजुटता का प्रतीक है। अयोध्या शहर एक बहुत बड़ा तीर्थ स्थल और पर्यटक स्थल के रूप में विश्व के रंग मंच पर दिखाई देगा। राम मंदिर राष्ट्रीय विरासत के रूप में समृद्ध भारत की तस्वीर प्रस्तुत कर रहा है।
मनोरमा शर्मा मनु
हैदराबाद, तेलंगाना
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