चिकित्सा क्षेत्र में नयी तकनीक- स्मार्ट शौचालय
A recent research paper introduces a breakthrough “Smart Toilet” technology designed to detect early signs of diseases through urine analysis. Developed by researchers at the University of Wisconsin–Madison and the Morgridge Institute for Research, this innovation analyzes metabolic data to reveal insights about nutrition, medication, lifestyle, and potential health risks. The study represents a major leap toward preventive medicine and precision health monitoring for the future. विस्कॉन्सिन मेडिसन विश्वविद्यालय और मोरग्रिज इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च के शोधकर्ता ऐसा `स्मार्ट टॉयलेट' तैयार कर रहे हैं, जिससे यूरीन का सैंपल लेकर कई स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाया जा सके। तेजी से बदलती तकनीक ने लोगों के जीवन और स्वास्थ्य को बड़ी तेजी से प्रभावित किया है। और इस स्मार्ट तकनीक में लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की क्षमता है।
हाल के समय में एक नयी तकनीक पर शोध पत्र प्रकाशित हुआ है जिसमे एक नयी प्रक्रिया का पता चलता है जिसे भविष्य में रोगों के लक्षण जानने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। यदि किसी के रोगी बनाने से पहले ही उसकी होने वाली बीमारी के बारे में जानकारी मिल जाय तो क्या उस बीमारी से आसानी से नहीं लड़ा जा सकता है? सभी का जवाब होगा, हाँ। परेशानी तब ही ज्यादा होती ही जब रोग का पता देर से चलता है और रोग अपने चरम पर पहुँच चुका होता है और तब इलाज़ जटिल और महंगा हो जाता है और गंभीर बीमारियों में जान का जोखिम भी कई गुणा बढ़ जाता है। प्रचलित स्वास्थ्य सेवा प्रणालियाँ मुख्य रूप से रोगियों पर उनके रोग के लक्षण दिखायी देने के बाद ही ध्यान केंद्रित करती हैं, न कि रोग के पहले। लेकिन सही स्वास्थ्य के लिए यदि ऐसी कोई तरकीब हो जो रोग के लक्षण आने से पहले ही यह बता दे की फलां रोग होने की संभावना लगती है, तो उस होने वाले रोगी का रोगी बनने से पहले ही उपचार शुरू हो जायेगा और उसके ठीक होने की संभावना भी सौ प्रतिशत होगी। इसलिए इस समय स्वास्थ्य का उभरता हुआ क्षेत्र आकार ले रहा है जिससे व्यक्ति की रिस्क के आधार पर स्वास्थ्य और रोग की निगरानी करके रोग की रोकथाम और शीघ्र पहचान की जा सके।
आप यदि मानव शरीर की तुलना हवाई जहाज से करें तो आपने जरुर सुना होगा कि प्रत्येक उड़ान पर जाने से पहले उसके हजारो तरह के परीक्षण किये जाते हैं जिससे उसकी संभावित खराबियों के बारे में उड़ान से पहले ही सूचना मिल जाय और उसका सही निदान किया जा सके। इसे तकनीकी भाषा में प्रेवेंटिव मेंटिनेंस कहते हैं। शरीर के लिए भी इसी तरह की व्यवस्था चाहिए जहाँ रोग होने से पहले ही खबर हो जाए कि फलां आदमी बीमार हो सकता है और उसका इलाज़ पहले से शुरू कर दिया जाय। आजकल इस दिशा में बहुत से शोध विभिन्न बिश्वविद्यालयों में और मेडिकल कोलेजों में चल रहे हैं। इस कार्य के लिए ऐसे बहुत से उपकरण बनाये गए हैं जो बहुत से रोगों का पता रोग होने से पहले ही लगा लेते हैं जिन्हें पहनने योग्य उपकरण कहते हैं जिसमें सबसे प्रचलित और सर्वमान्य उपकरण स्मार्ट वाच या समार्ट घडी है जो यदि आप लगातार पहने रहते हैं जो न जाने कितनी मापदंड पर आपका सतत निरीक्षण करती है और उस डाटा को आपके फ़ोन पर सुरक्षित भी करती है, जिसे बाद में जांचा परखा जा सकता है और संभावित तकलीफों का अंदाजा लगाया जा सकता है। निरंतर स्वास्थ्य-निगरानी उपकरणों के उपयोग को कई कारक प्रभावित करते हैं, जैसे कि आकार, आराम और उपयोग में आसानी। इन उपकरणों के साथ सबसे बड़ी परेशानी यह है कि पहनने योग्य उपकरणों को आसानी से नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है और अगर उन्हें वास्तव में पहना न जाए तो वे बेकार हो जाते हैं। अभी तक जिन उपकरणों की बात हुई वे उपकरण बुनियादी महत्वपूर्ण संकेतों से लेकर परिष्कृत बायोमार्कर तक की निगरानी करते हैं। बायोमार्कर, `बायोलॉजिकल मार्कर' का संक्षिप्त रूप, मानव शरीर में मौजूद एक भौतिक, रासायनिक या जैविक विशेषता होती है जिसे नापा भी जा सकता है। एक या एक से अधिक बायोमार्करों का माप किसी बीमारी की उपस्थिति या अनुपस्थिति का संकेत देता है या वे किसी दवा या चिकित्सा के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया का संकेत देते हैं। रोग के निदान, सही दवा, सही खुराक निर्धारित करने और यहाँ तक कि नई दवाओं के डिज़ाइन में भी ये अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हालाँकि पहले बायोमार्कर कम संख्या में थे, लेकिन समय के साथ उनकी संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह डॉक्टरों और मरीज़ दोनों के लिए एक वरदान है।
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विस्कॉन्सिन मेडिसन विश्वविद्यालय और मोरग्रिज इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च के शोधकर्ता ऐसा `स्मार्ट टॉयलेट' तैयार कर रहे हैं, जिससे यूरीन का सैंपल लेकर कई स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाया जा सके। तेजी से बदलती तकनीक ने लोगों के जीवन और स्वास्थ्य को बड़ी तेजी से प्रभावित किया है और इस स्मार्ट तकनीक में लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की क्षमता है। एक नए अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है कि कम कीमत वाले `द हंबल टॉयलेट' में इन सभी तकनीकों को पीछे छोड़ने की शक्ति है। कून रिसर्च समूह ने एक ऐसा टॉयलेट डिजाइन किया है, जो न केवल किसी व्यक्ति की पहचान कर सकता है बल्कि कई स्वास्थ्य समस्याओं के नमूने आपके सामने पेश कर सकता है। इस टॉयलेट में पोर्टेबल मास स्पेक्ट्रोमीटर लगा है, जिसके जरिए यह ऐसा कर पाने में सक्षम है।
कून का यह भी मानना है कि ये `स्मार्ट टॉयलेट' अवधारण बड़ी आबादी की स्वास्थ्य समस्याओं को सामने रख सकती है। जर्नल नेचर डिजिटल मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के लिए विस्कॉन्सिन मेडिसन विश्वविद्यालय और मोरग्रिज इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च के शोधकर्ता व्यक्तिगत दवाओं को बनाने के लिए काम कर रहे हैं, जिससे यूरीन में मौजूद मेटाबॉलिक स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां जुटाई जा सकें।
अध्ययन के मुख्य लेखक जोशुआ कून का मानना है कि वे इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि वे एक ऐसा टॉयलेट डिजाइन कर सकें, जो यूरिन का सैंपल ले सकता है। एक चुनौती जरुर लगती है और वही असल चुनौती भी है कि यह उपकरण पर्याप्त रूप से साधारण हो और सस्ता हो जिससे यह सबके लिए सुलभ हो सके अन्यथा इसका उपयोग सीमित होगा और यह अपनी उपयोगिता खो देगा।
अध्ययन के मुताबिक, यूरीन में किसी भी व्यक्ति की पोषण संबंधी, एक्सरसाइज, दवाओं के प्रयोग, सोने की आदतों और अन्य जीवन शैली चुनावों का एक आभासी एक पूरा इतिहास होता है। इसके अलावा यूरीन में ६०० से ज्यादा मानव स्थितियां से जुड़ा मेटाबॉलिक लिंक भी होता है, जिसमें कैंसर, डायबिटीज और किडनी रोग जैसी बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं।
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने १० दिनों तक सभी प्रकार के यूरीन सैंपल को इकठ्ठा किया और उन सैंपल को परीक्षण के लिए भेजा। सभी नमूनों के मेटाबॉलिक संकेतों को पूरी तरह से पहचानने के लिए शोधकर्ताओं ने गैस क्रोमाटोग्राफी और मास स्पेक्ट्रोमेट्री का प्रयोग किया। हालांकि इस अध्ययन में जिन सैंपलों का प्रयोग किया, उनकी संख्या काफी कम थी। शोधकर्ताओं ने १० दिनों में ११० सैंपल इकठ्ठा किए। इसके साथ ही उन्होंने हार्ट रेट और स्टेप, कैलोरी उपभोग और सोने के तरीकों को देखने के लिए वियरेबल तकनीक का भी प्रयोग किया। उदाहरण के लिए जिन लोगों से यह सैंपल प्राप्त किए गए थे उनके कॉफी और शराब के सेवन का रिकॉर्ड रखा गया ताकि इन दोनों ड्रिंक से जुड़े प्रभावों का पता लगाया जा सके। हालांकि इस अध्ययन में उनके स्वास्थ्य से जुड़े किसी प्रकार के सवाल अलग से नहीं पूछे गए। शोधकर्ताओं ने बताया कि जैसे-जैसे लोग उम्रदराज होते जाते हैं उन्हें घर पर ही देखभाल की जरूरत होती है और यूरीन टेस्ट यह पता लगाने में सक्षम है कि वे दवा सही तरीके से ले रहे हैं या नहीं। इसके साथ ही यूरीन टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता है कि उनके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।
कून ने कहना है कि अगर आपके पास हजारों उपयोगकर्ता हैं तो आप स्वास्थ्य और जीवनशैली से जुड़े डाटा को परस्पर मिलान कर सकते हैं तो आप सही डायगनोस्टिक व्यवस्थाओं को शुरू कर सकते हैं। यह किसी भी वायरल और बैक्टीरिया महामारी के शुरुआती संकेत मुहैया करा सकता है।
घरेलू स्मार्ट शौचालय सटीक स्वास्थ्य के लिए मूत्र और मल का मात्रात्मक विश्लेषण प्रदान करने के लिए तैयार हैं। स्मार्ट शौचालय द्वारा एकत्रित मलमूत्र के डेटा को सुरक्षित रूप से क्लाउड में प्रेषित और संग्रहीत किया जा सकता है, जहाँ रोग रिस्क की भविष्यवाणी और प्रारंभिक हस्तक्षेप के लिए विश्लेषण किया जा सकता है। सटीक स्वास्थ्य के लिए स्मार्ट शौचालयों के वास्तविकता बनने से पहले अभी भी कई इंजीनियरिंग, सामाजिक और नैतिक चुनौतियों का सामना करना बाकी है। निष्क्रिय स्वास्थ्य निगरानी के लिए स्मार्ट शौचालयों के विकास के साथ-साथ उनके उपयोग के लिए एक नैतिक ढाँचा स्थापित करने को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है।
स्मार्ट शौचालय व्यक्तिगत गोपनीयता को लेकर चिंताएं जरुर पैदा करते हैं। संभावित उपयोगकर्ता अपने बारे में डेटा (जैसे मल और मूत्र परीक्षण के परिणामों की तस्वीरें) को नियंत्रित करने का अधिकार रखते हैं और अवांछित घुसपैठ या अवलोकन को सीमित करने में व्यक्तिगत गोपनीयता के हित रखते हैं। जब तकनीकें सामाजिक, वैज्ञानिक या प्रत्यक्ष नैदानिक लाभ उत्पन्न करती हैं। मानव मल से डिजिटल बायोमार्कर के उपयोग के संभावित लाभों और हानियों में अंतर करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों की आवश्यकता है।
भविष्य में सटीक स्वास्थ्य के लिए स्मार्ट शौचालयों और निष्क्रिय निगरानी की क्षमता के बावजूद, स्वास्थ्य सेवा पर उनका तत्काल प्रभाव तकनीकी प्रगति पर निर्भर करेगा और कई अज्ञात कारकों पर निर्भर करेगा। इन कारकों में संभावित लाभों को नुकसानों (जैसे, गोपनीयता का उल्लंघन) की तुलना में स्पष्ट करना, उपयोगकर्ता की स्वीकृति और अनुपालन सुनिश्चित करना, और एक उपयुक्त नैतिक ढाँचे के भीतर संभावित व्यावसायिक मॉडलों की जाँच करना शामिल है। इनमें से, सटीक स्वास्थ्य के लिए नैतिक ढाँचे की स्थापना, स्वास्थ्य की निष्क्रिय निगरानी के लिए स्मार्ट शौचालयों के तकनीकी विकास में सबसे आगे होनी चाहिए।
डॉ. रवीन्द्र दीक्षित
ग्रेटर नोएडा
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