सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे के गगन भेदी नारे के साथ शुरू हुई श्री राम मंदिर निर्माण यात्रा अब अपने मुकाम पर पहुंच चुकी है। प्रभु श्री राम की जन्मस्थली पावन नगरी अयोध्या दीपोत्सव के पावन पर्व पर उत्साह से सराबोर है। सरयू की धारा भी आज राम नाम के पावन सुमिरन से आह्लादित है। पावन अयोध्या नगरी दीपोत्सव पर राममय हो गई है। अयोध्या के जीव-जंतु, पशु-पक्षी, नर-नारी से लेकर माटी-कंकर, लता-कुंज, जल-बिंदु तक राम नाम में गोता लगा रहे हैं। दीपोत्सव पर जलने वाले करोड़ों दीपों के ज्वालाओं से प्रभु श्री राम की पावन नगरी अयोध्या की दसों दिशाएं प्रज्वलित हो जाएंगी। अयोध्या के सरयू तट को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे यह अयोध्या भूमि धरती पर न होकर देवलोक में प्रतिस्थापित हो गई है। दीपोत्सव केवल सरयू तट एवं अयोध्या में ही नहीं अपितु पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है मगर प्रभु श्री राम की पावन नगरी अयोध्या की बात ही निराली है। यहां की अनुपम सौंदर्य, मनमोहन छटा एवं विहंगम दृश्य दीपोत्सव पर एक अलग ही अंदाज में पूरे विश्व को भाता है। ऐसे में देव दीपावली के दिन अयोध्या नगरी एवं राम मंदिर का विहंगम दृश्य कितना मनोरम होगा, इसकी महज कल्पना ही की जा सकती है। जिस ओर नजर डालें झिलमिलाते दीप ऐसे लग रहे हैं, जैसे संपूर्ण ब्रह्मांड की मनोहर्ता अयोध्या नगरी में ही उतर आई है।
देह-देहरी दीप जलें, हर घर-उर उजियारा हो,
हर अन्तस् में सजे अयोध्या, श्रीरामादर्श हमारा हो
पता नहीं भगवान श्री राम के राज्याभिषेक का दृश्य कैसा होगा लेकिन आज की अयोध्या की को देखकर तो लगता है कि शायद यह आयोजन भी उसी उत्सव की परिकल्पना पर आधारित है। सिर्फ भारत भूमि ही नहीं विश्व के तमाम देशों के लोग अयोध्या के दीपोत्सव को देखना पसंद करते हैं। वहां के सरयू तट पर एक दीप अपने नाम का भी प्रभु श्री राम को समर्पित करना चाहते हैं। पूरे देशभर के लोग इस कार्यक्रम का गवाह बनने को आतुर है। शायद ही कोई इस कार्यक्रम से अछूता हो सकता है।
तीन बार की गिनती के बाद घोषित हुआ विश्व रिकॉर्ड
रामनगरी अयोध्या के दीपोत्सव को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दो-दो रिकॉर्ड को दर्ज किया गया है। इसकी गिनती कुल तीन बार हुई। तब जाकर सही आंकड़े सामने आए। इस आयोजन में कुल लगभग 25 लाख दीप जलाए गए। एक ओर 25 लाख 12 हजार 585 दीप जलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया गया। वहीं दूसरी ओर 1121 लोगों ने एक साथ सामूहिक आरती की। इसकी दूसरी वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाई गई। इस कार्यक्रम में सबसे आश्चर्यचकित कर देने वाली बात यह है कि महज 25 मिनट के समय अंतराल में 25 लाख दीप प्रज्वलित कर दिए गए। रामनगरी अयोध्या के सरयू तट पर कल 55 घाट है, सभी घाट दुल्हन की तरह दीपों से सजाए गए थे। जिसके बाद गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड के द्वारा ड्रोन के माध्यम से सभी दीपों की गिनती की गई। जिनकी संख्या लगभग 28 लाख मिली।
सरयू नदी के गुप्तार घाट पर श्रीराम के जल समाधि की अलौकिक धारा
सरयू नदी को मिलाकर कुल 55 घाट वहां पर मौजूद है। इनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण है गुप्तार घाट। गुप्ता घाट की सबसे निराली बात यह है कि इसी घाट पर प्रभु श्रीराम ने जल समाधि ली थी तथा परलोक सिधार गए थे। अपने पूरे शरीर को इस घाट के जल में गुप्त कर देने के वजह से इस घाट का नाम गुप्तार घाट पड़ा। ऐसा माना जाता है कि इस घाट पर स्नान करने वाले की मन्नत श्रीराम जरूर पूरी करते हैं तथा उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति का वरदान भी देते हैं। यहां पर श्री राम के चारों भाई राम, लक्ष्मण, भरत एवं शत्रुघ्न के अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं तथा आश्चर्य की बात यह है कि किसी भी अस्त्र-शास्त्र में आज तक जंक नहीं लगा।
हनुमानगढ़ी से रामलला को जोड़ती आस्था की डोर
हनुमानगढ़ी की संरचना को देखा जाए तो यह महज 52 बीघे के एक विशाल क्षेत्र में स्थापित है। हनुमानगढ़ी में स्थित हनुमान जी की प्रतिमा एक पहाड़ के टीले पर स्थित है, जो कि किसी प्राचीन किले की जैसी है। माना जाता है कि यहां के प्रथम पीठाधीश्वर संत श्री अभिराम दास की अत्यधिक आध्यात्मिक शक्तियों को देखकर वहां के नवाब मंसूर अली खान ने हनुमानगढ़ी को 52 बीघा जमीन ताम्रपत्र के माध्यम से पीठाधीश्वर को समर्पित किया था। जो भी श्रद्धालु अयोध्या के श्री रामलला का दर्शन करने आते हैं, वह जरूर हनुमानगढ़ी आते हैं। दोनों स्थान एक-दूसरे को आस्था के डोर से जोड़ते हैं तथा सबसे निराली बात यह है कि मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर गर्भ गृह तक में कुल महज 76 सीढ़ियां ही है, जिसे देखने पर लगता है कि यह बेहद कठिन चढ़ाई होगा लेकिन ऐसा नहीं है।
भाजपा के शासनकाल में अयोध्या को मिला विरासत का सौगात
दिनांक 22 जनवरी 2024 को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा राम मंदिर का उद्घाटन किया गया। भाजपा शासन काल में यूं तो कई कार्य हुए लेकिन वर्षों से जारी श्री राम मंदिर आंदोलन यात्रा को पूर्णविराम मिला। कोर्ट का फैसला आया तथा मंदिर का उद्घाटन हुआ। इस आंदोलन में अपनी सक्रियता निभाने वाले बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद्, अभाविप एवं अन्य सभी संगठनों के वरिष्ठ नेतागण जब उद्घाटन का कार्यक्रम देख रहे थे, तो सभी की आंखें नम थी। पूरे विश्व ने इस कार्यक्रम को देखा। सबसे खुशी की बात यह है कि अयोध्या को उसके विरासत का सौगात पुनः भेंट किया गया। जिसका वहां की जनता बेसब्री से इंतजार कर रही थी।
लेखक का निजी विचार है।
यह आलेख मौलिक और अप्रकाशित है।
श्रीयम त्रिपाठी
स्वतंत्र पत्रकार,
शिक्षा - गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग अंतर्गत।
जिला - धनबाद, राज्य - झारखंड,