गुजरा जमाना मोबाइल का नए वैज्ञानिक आयाम और आविष्कार

मेटा और एप्पल पहले से ही AR वियरेबल्स में अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं। एप्पल का विज़न प्रो स्मार्टफोन से परे भविष्य के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता का संकेत है, जबकि मेटा स्मार्ट ग्लास को मुख्यधारा में लाने पर केंद्रित है। विचार सरल है: फोन स्क्रीन पर नीचे देखने के बजाय, डिजिटल जानकारी वास्तविक समय में वास्तविक दुनिया पर दिखाई देगी। जुकरबर्ग का मानना है कि दस साल के भीतर, लोग अपने स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल करने की तुलना में उन्हें ज़्यादा बार छिपाकर रखेंगे , और रोज़मर्रा के कामों के लिए हल्के स्मार्ट ग्लास पर निर्भर रहेंगे। टेक्स्टिंग, कॉल करना, समाचार देखना और यहाँ तक कि सड़कों पर घूमना भी फ़ोन निकाले बिना किया जा सकेगा।

May 30, 2025 - 16:26
 0  0
गुजरा जमाना मोबाइल का  नए वैज्ञानिक आयाम  और आविष्कार
The past, new scientific dimensions and inventions of mobile phones

    तकनीक में जिस तेजी से परिवर्तन हो रहा है उससे यह लगता है कि निकट भविष्य में ही बहुत परिवर्तन देखने को मिलेंगे। आज हरेक हाथ में मोबाइल फ़ोन है आप अपने न जाने कितने काम मोबाइल पर करते हैं। मोबाइल ने स्वयं ही बहुत सी तकनीकों को तिलांजलि दे दी है जैसे आपका लैंडलाइन फ़ोन आपकी घड़ी, आपका कैमरा, आपका रेडियो, कागज और कलम, बहुत हद तक कंप्यूटर, म्यूजिक प्लेयर और न जाने क्या क्या। मोबाइल फ़ोन ही अब आपका गेमिंग कंसोल, नेविगेशन यूनिट, स्टेप काउंटर, फ्लैशलाइट, पर्सनल एआई असिस्टेंट और डिजिटल वॉलेट है और यह चीज़ कॉल भी करती है। लेकिन आपको लगता है कि एक दिन मोबाइल भी समाप्त हो सकता है उसके जीवन का अंत भी हो सकता है। अभी तो असंभावी लग रहा है। २०२४ के डेटा के अनुसार भारत में मोबाइल फ़ोन की पहुँच ७८ प्रतिशत है और कुल मोबाइल फ़ोन की संख्या १.१२ बिलियन है। अमेरिका में मोबाइल फ़ोन की पहुँच ९३प्रतिशत है जो टेलीविज़न की पहुँच ९६प्रतिशत के बाद दूसरे नंबर पर है। लेकिन मार्क ज़ुकरबर्ग ने २०२५ में एक बड़ी घोषणा कर डाली है कि मोबाइल फ़ोन भी जल्द ही ख़त्म हो सकता है। मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में एक साहसिक भविष्यवाणी की है जो सब कुछ बदल सकती है। बड़ी तकनीक चुपचाप एक बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है, और जिस डिवाइस पर आप हर दिन भरोसा करते हैं, वह अपना प्रभुत्व खोने लगी है।
लगभग तीन दशकों से, स्मार्टफ़ोन ने आधुनिक जीवन पर अपना दबदबा बनाए रखा है,जो सरल संचार उपकरण से लेकर शक्तिशाली उपकरणों तक विकसित हुआ है। जो काम से लेकर मनोरंजन तक सब कुछ नियंत्रित करता है लेकिन मार्क जुकरबर्ग के अनुसार, यह युग जल्द ही समाप्त हो सकता है।
उनका अनुमान है कि एक दशक से भी कम समय में स्मार्ट ग्लास लोगों के डिजिटल जानकारी तक पहुँचने के प्राथमिक तरीके के रूप में स्मार्टफ़ोन की जगह ले लेंगे। अगर वह सही हैं, तो तकनीक के साथ हमारे संपर्क का तरीका हमेशा के लिए बदलने वाला है।
नवाचार की अगली लहर स्मार्टफोन को बेहतर बनाने के बारे में नहीं होगी-यह इसे पूरी तरह से बदलने के बारे में होगी। जुकरबर्ग एक ऐसी दुनिया की कल्पना करते हैं जहाँ लोग अपनी जेब से डिवाइस निकाले बिना डिजिटल सामग्री के साथ बातचीत कर सकें। इसके बजाय, सब कुछ स्मार्ट ग्लास के माध्यम से सहजता से प्रदर्शित किया जाएगा।

स्मार्ट ग्लास का उदय-

यह सिर्फ़ एक दूर का सपना नहीं है। मेटा और एप्पल पहले से ही AR वियरेबल्स में अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं। एप्पल का विज़न प्रो स्मार्टफोन से परे भविष्य के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता का संकेत है, जबकि मेटा स्मार्ट ग्लास को मुख्यधारा में लाने पर केंद्रित है। विचार सरल है: फोन स्क्रीन पर नीचे देखने के बजाय, डिजिटल जानकारी वास्तविक समय में वास्तविक दुनिया पर दिखाई देगी।
जुकरबर्ग का मानना है कि दस साल के भीतर, लोग अपने स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल करने की तुलना में उन्हें ज़्यादा बार छिपाकर रखेंगे , और रोज़मर्रा के कामों के लिए हल्के स्मार्ट ग्लास पर निर्भर रहेंगे। टेक्स्टिंग, कॉल करना, समाचार देखना और यहाँ तक कि सड़कों पर घूमना भी फ़ोन निकाले बिना किया जा सकेगा। 
कुछ समय पहले एक कार्टून बहुत प्रचलित हुआ जिसमें दिखाया गया था कि भविष्य की पीढ़ी की गर्दन डार्विन के सिद्धांत के अनुसार सदा के लिए एक ओर झुकी हुई रहा करेगी। लेकिन इस नए अविष्कार से भौतिक स्क्रीन की ज़रूरत ही खत्म हो सकती है, जिससे उपयोगकर्ताओं को लगातार नीचे देखने या गर्दन झुका कर देखने से मुक्ति मिल सकेगी।
स्मार्टफोन की जगह लेने के सूत्र कृत्रिम बुद्धिमत्ता और संवर्धित वास्तविकता में होने वाली प्रगति में निहित है। स्मार्ट ग्लास केवल सूचना प्रदर्शित नहीं करेंगे बल्कि वे बुद्धिमान व्यक्तिगत सहायकों के रूप में कार्य करेंगे, जो वॉयस कमांड का जवाब देने, तत्काल अनुवाद प्रदान करने और यहाँ तक कि डिजिटल ओवरले के साथ वास्तविक दुनिया की वस्तुओं को बढ़ाने में सक्षम होंगे। कल्पना कीजिए कि आप शहर में घूम रहे हैं और नेविगेशन दिशा-निर्देश आपकी दृष्टि में प्रक्षेपित हो रहे हैं, या किसी रेस्टोरेंट को देखते ही आपको गूगल पर खोजे बिना ही उसका मेनू और समीक्षा तुरंत दिखाई दे रही है। नोटिफ़िकेशन देखने के लिए फ़ोन को अनलॉक करने के बजाय, संदेश आपकी परिधीय दृष्टि में गुप्त रूप से दिखाई दे सकते हैं, जिससे आप बिना किसी व्यवधान के जुड़े रह सकते हैं।
हालाँकि जुकरबर्ग का विज़न बोल्ड है, लेकिन स्मार्टफ़ोन रातों-रात गायब नहीं हो जाएँगे। मौजूदा स्मार्ट ग्लास अभी भी बैटरी लाइफ़, प्रोसेसिंग पावर और गोपनीयता संबंधी चिंताओं से जूझ रहे हैं, जिससे वे सही प्रतिस्थापन से अभी तो बहुत दूर हैं। बदलाव में समय लगेगा, और कुछ उपयोगकर्ता अपने फ़ोन के साथ रहना पसंद कर सकते हैं, जैसे कि कुछ अभी भी टैबलेट या लैपटॉप के बजाय डेस्कटॉप कंप्यूटर का उपयोग करते हैं। हालाँकि यह इतना मुश्किल नहीं लगता क्योंकि आज भी बहुत से लोग चश्मा पहनते हैं इसलिए चश्मे की स्वीकार्यता बहुत मुश्किल नहीं होगी। जो लोग नज़र का चश्मा नहीं पहनते  वे धूप का चश्मा तो Dावश्य ही पहनते हैं।
इस सब से एक बात अच्छी प्रतीत होती है कि हम बहुत से लोगों से मिलते हैं और उनको हम पहचान लेते हैं और कभी नहीं भी पहचान पाते पर नाम तो अक्सर भूल जाते हैं। यह सबके साथ होता है परन्तु जब आपके पास यह चश्मा होगा, यह उस मिलने वाले को पहचानेगा ही नहीं बल्कि उसका पूरा विवरण, पूरा कच्चा चिठ्ठा भी आपको बता देगा कि फलां कौन है, आप उससे कब मिले, कहाँ मिले, क्या बात हुई थी इत्यादि। यह एक सबसे साधारण उदाहरण है जो आपको मदद करने वाला है।
२०२१ में, हार्वर्ड में अपना पहला कदम रखने वाले एक व्यवसायी ने प्रतिष्ठित ब्रांड रे-बैन के साथ मिलकर स्मार्ट ग्लास जारी किए थे। वे रोज़मर्रा के इशारों में घुलने-मिलने के लिए पाँच मेगापिक्सेल कैमरा, दो स्पीकर और तीन माइक्रोफ़ोन से लैस थे। हालाँकि वे बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ सके हैं। अभी भी लेकिन कोशिशें जारी हैं और और  Aघ् की प्रगति को देखते हुए यह अकल्पनीय तो बिलकुल नहीं लग रहा है। यह सब सच होगा या नहीं या यह कब सच होगा लेकिन जुकरबर्ग की एक अभूतपूर्व घोषणा में स्मार्टफोन के भविष्य के बारे में अपनी भविष्यवाणी से तकनीक जगत में हलचल जरुर मचा दी है। इस दूरदर्शी उद्यमी का मानना है कि स्मार्ट ग्लास जल्द ही व्यक्तिगत कंप्यूटिंग के लिए प्रमुख प्लेटफॉर्म बन जाएगा, जिससे अगले दशक में स्मार्टफोन अप्रचलित हो सकते हैं। इस साहसिक पूर्वानुमान ने उद्योग विशेषज्ञों और उपभोक्ताओं के बीच गहन बहस छेड़ दी है, क्योंकि हम एक ऐसे भविष्य के बारे में सोच रहे हैं जहां हमारा प्राथमिक डिजिटल इंटरफ़ेस हमारे हाथों में होने के बजाय हमारे चेहरे पर पहना जाएगा।
चूंकि हम इस संभावित तकनीकी क्रांति के कगार पर खड़े हैं, इसलिए यह स्पष्ट है कि जिस तरह से हम तकनीक के साथ बातचीत करते हैं, उसमें महत्वपूर्ण परिवर्तन होने वाला है। चाहे जुकरबर्ग का विज़न पूरी तरह से सफल हो या न हो, अगला दशक व्यक्तिगत कंप्यूटिंग और डिजिटल इंटरैक्शन की दुनिया में एक रोमांचक समय होने का वादा करता है।
स्मार्ट ग्लास के बाद का भविष्य- यह बात तो हुई जुकरबर्ग की भविष्वाणी की लेकिन विज्ञान का विद्यार्थी तो मैं भी हूँ तो एक भविष्य मुझे इससे भी लगता  है। यदि हम ऐसी परिकल्पना करें कि भविष्य में चश्मा भी न हो और कुछ ऐसा हो कि हमारे शरीर में ही ऐसा सिस्टम उत्पन्न किया जाय जो स्वयं  ही सक्षम हो सारे काम करने के लिए या शरीर द्वारा करवाने में, जो शरीर के मौजूदा सिस्टम को ही सहायता पहुंचाए, ये सारे काम करने के लिए। उदाहरण के रूप में ऐसी कोई सिलिकॉन चिप बनायी जाय जो हमारे मस्तिष्क को सहायता पहुंचाए कोई भी उस काम को करने के लिए जो हम मोबाइल फ़ोन या स्मार्ट चश्में द्वारा करने में सक्षम हो सकते हैं। हमारे शरीर में लगी चिप हमारे मस्तिष्क से वार्ता कर यह निर्णय लेगी कि क्या किया जाना चाहिए  और हम जैसे स्वप्न में कुछ दूसरा देखते हैं उसी तरह अपनी आखों से जागते हुए भी हम वह सब देख सकेंगे जो हम अपने मोबाइल कंप्यूटर या स्मार्ट ग्लास पर देखना चाहते हैं। यह सिस्टम इससे ज्यादा भी बहुत कुछ करने में प्रभावी होगा क्योंकि शरीर की लगी हुई यह चिप शरीर के विभिन्न स्वस्थ्य शरीर पैरामीटर की सतत और विस्तृत जाँच करता रहेगा और यदि कोई भी पहलू चिंताजनक लगेगा, उसके लिए जो प्रयत्न किये जाने चाहिए  वह चिप शरीर के तत्वावधान में करेगा जिससे आप कभी बीमार ही नहीं पड़ेंगे। यदि आपका शरीर स्वयं रोग से लड़ने में अक्षम होगा तो यह संदेश दिया जायेगा की अब आपको दवा की आवश्यकता है। एक विचार और भी हो सकता है कि जैसे होलोग्राफिक तकनीक से आप किसी दूसरे स्थान पर उपस्थित लग सकते हैं जो वर्चुअली होता है जबकि वास्तव में आप वहाँ नहीं होते। यह हमारे शरीर में लगी चिप द्वारा संभव किया जा सकेगा और आपके सोचने मात्र से अपनी उपस्थिति जहाँ भी आप चाहें वहाँ दर्ज करा सकेंगे। यह आपके फ़ोन करने की जरुरत को ही समाप्त कर देगा। आप जिसे भी फ़ोन करना चाहते है उसे दिमाग में सोचिये और वर्चुअली आप उस व्यक्ति के पास में जाकर उससे वार्ता कर सकेंगे। आप सोचिए कि कभी ऐसा संभव हुआ तो कितना अच्छा और अविश्वसनीय होगा। आज यह बातें आपको दिवास्वप्न लग सकती हैं लेकिन यह सब संभव होने वाला है और बहुत दिन बाद नहीं निकट के भविष्य में ही और शायद हो सकता है हमारे बच्चे ही इस सबका आनंद ले सके। इस बार के लिए इतना ही अगले अंक में मिलूंगा किसी ऐसी ही जानकारी के साथ।

डॉ. रवीन्द्र दीक्षित

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0