प्रकृति में सौन्दर्य की छठा बिखेरती वसंत पंचमी

वसंत के आगमन से पृथ्वी पर सरसों के पीले पीले फूल अपने रंग की छटा बिखेरते हैं। पलाश के फूल खिलने से सृष्टि का अलग ही नजारा देखने को मिलता है। समूचा प्राणी जगत विमुग्ध हो उठता है। वसंत का महीना मौज मस्ती का महीना होता है। ढाक के फूलों का तो कहना ही क्या है। खेत खालिहान से लेकर दिलो दिमाग तक वसंत उल्हास रहता है।   

Mar 12, 2025 - 10:59
Mar 12, 2025 - 11:16
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प्रकृति में सौन्दर्य की छठा बिखेरती वसंत पंचमी
Vasant Panchami spreads the beauty of nature
माघ मास शुक्लपक्ष पंचमी के दिन वसंत पंचमी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वसंत पंचमी का पर्व वैदिक काल से ही मनाया जाता है। वसंत ऋतु उत्तर भारत की छः ऋतुओं में से एक है जो फरवरी महीने से लेकर अप्रैल महीने के मध्य तक अपने सौन्दर्य की छठा बिखरती है। वसंत पंचमी के दिन से ही वसंत ऋतु का आगमन होता है। वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा अर्थात ऋतुराज कहा गया है। इसी दिन भगवान् विष्णु कामदेव तथा रति की पूजा की जाती है। मां सरस्वती मानव के लिए परम आवश्यक ज्ञान प्राप्ति की प्रथम सीढ़ी है। वाक शक्ति की अधिष्ठात्री देवी है। माता सरस्वती ज्ञान ओर विधा की देवी है। वसंत ऋतु बड़े ही हर्षोल्लास का पर्व है। वसंत को ऋतु राज की उपाधि इसलिए दी है कि यह अपने साथ उल्हास ओर सौन्दर्य की छटा बिखेर हुए है। पुराणों के अनुसार वसंत को कामदेव का पुत्र कहा है। वसंत ऋतु में प्रकृति में चारों ओर रंग बिरंगे फूलों की छटा बिखर जाती  है। जिससे सभी जीव और जंतुओं में एक प्रकार से मन में अलग ही तरह का उल्हास होता है। कड़कड़ाती ठंड से वृक्षों से गिरे पत्ते दोबारा से प्रफुटित होने लगते हैं। चारों तरफ पक्षियों की चचाहट ओर कोयल की हूक सुनाई देती है। मन में एक तरह से उल्लासपूर्ण वातावरण होता है। मस्ती ओर उमंग होती है। 
बड़े बुजुर्ग कहते आए हैं वसंत पंचमी के दिन शुभ कर्म करने से स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
यह दिन सृष्टि में एक नए जीवन की नई आशा की रचना करता है। वसंत के आगमन से पृथ्वी पर सरसों के पीले पीले फूल अपने रंग की छटा बिखेरते हैं। पलाश के फूल खिलने से सृष्टि का अलग ही नजारा देखने को मिलता है। समूचा प्राणी जगत विमुग्ध हो उठता है। वसंत का महीना मौज मस्ती का महीना होता है। ढाक के फूलों का तो कहना ही क्या है। खेत खालिहान से लेकर दिलो दिमाग तक वसंत उल्हास रहता है। 
 
देखो वसंत ऋतु आयी, 
अपने साथ खेतों में हरियाली लाई,, 
   
 जन जन झूम उठता है। मोर नाचने लग जाते हैं। इस के आने से आम के पेड से लेकर नीम, पीपल ओर अन्य पेड़ों पर नए पत्ते आने लगते हैं। आम के पेड़ बौंरों से लद जाते हैं। सरसों के फूलों से पूरा वातावरण अपने पीले रंग में समाहित हो जाता है। 
किसानों के मन में है खुशियां लाई, 
घर घर में है हरयाली छाई,, 
सर्दी कम होने लगती है ओर मौसम सुहाना होने लगता है। पशु पक्षीयों से लेकर जन मानस तक में एक चेतना ओर चंचलता सी उत्पन्न हो जाती है। इस ऋतु में आकाश स्वच्छ रहता है धरती का तो कहना ही क्या है वह तो मानों साकार सौन्दर्य का दर्शन कराने वाली प्रतित होती है। इन दिनो में हमारे बड़े बुजुर्ग मिठास के पकवान बनाते हैं। आज वह लजीज मिठास कहां रह गए है। लेकिन आज विडंबना यह है कि ना तो वो उल्हास भरा वातावरण रहा है और ना ही वह प्रकृति की सुंदरता रही है। आपस में द्वेष भावना भर गई है। ना वो आपसी प्यार रहा है। हमें उल्लासपूर्ण वातावरण बनाना होगा। सबके ह्रदय में रस भरा वातावरण उत्पन्न करना होगा। जिन्दगी की निरसता ओर उदासी को त्याग करके उल्लासपूर्ण ओर उमंग भरा जीवन जीना होगा। ढाक के पौधे आज नष्ट हो चुके हैं। पलाश के पेड़ कहीं नहीं दिखाई दे रहे हैं। वो मोर का पंख भलाकर नाचना और पक्षियों की चहचहाहट बीते दिनों की बात हो चली है। सारा वातावरण दूषित हो चुका है। 
                         
 
              भवदीय 
      जयदेव राठी भराण 
           जयदेव राठी 
गांव भराण तहसील महम 
जिला रोहतक राज्य हरियाणा 

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