वट सावित्री व्रत और अखण्ड सुहाग सौभाग्य 

May 25, 2025 - 20:37
May 27, 2025 - 22:18
 0  0
वट सावित्री व्रत और अखण्ड सुहाग सौभाग्य 
Vat Savitri Vrat

वट सावित्री व्रत की कथा पौराणिक काल से देवी सावित्री और उनके पति सत्यवान से जुड़ी है। इस कथा के अनुसार, सावित्री राजा की बेटी थी और उसका विवाह सत्यवान से हुआ था, जिसे विवाह के एक वर्ष बाद मरने का श्राप मिला था। सावित्री अपने पति की जान बचाने के लिए कृतसंकल्प थी, लेकिन श्राप के कारण जब वह बरगद के पेड़ के नीचे लकड़ी काट रहा था, तो उसकी मृत्यु हो गई। सावित्री ने उनकी मृत्यु को स्वीकार नहीं किया और भगवान यमराज से विद्रोह करके अपने पति के जीवन को बचाने के लिए बरगद के पेड़ के नीचे कठोर तपस्या की। भगवान यम उसके दृढ़ संकल्प से प्रभावित हुए और उसे उसके पति का जीवनदान दे दिया ¹.
वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें वे अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इस व्रत के दौरान, महिलाएं वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं और कच्चा सूत लपेटती हैं, जो पति-पत्नी के अटूट बंधन का प्रतीक है।

वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

वट सावित्री व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है -
- सुबह स्नान: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा की तैयारी: पूजा के स्थान को साफ करें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- वट वृक्ष की पूजा: वट वृक्ष की टहनी या डाली लाएं और इसकी पूजा करें।
- कच्चा सूत लपेटना: वट वृक्ष की टहनी के चारों ओर कच्चा सूत लपेटें।
- परिक्रमा: वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें।
- वट सावित्री व्रत कथा: वट सावित्री व्रत कथा का पाठ करें।
- आरती: आरती उतारें और प्रसाद वितरित करें।

इस व्रत को करने से महिलाओं को सौभाग्य और अखंड सुहाग की प्राप्ति होती है।
भारत में एक स्त्री का सुहाग बहुत महत्वपूर्ण है इस पर असंख्य आलेख व्याख्या मीडिया में नेट पर और अन्य स्थानों पर उब्लब्ध हैं वही से मैंने भी सहायता लेकर ये लेख लिखा है यूँ तो हम भारतीय कुछ - कुछ स्थानिक जानकारियां याद रखते ही हैं क्युकी सब लोग इस विषय में बहुत ही सेंसिटिव हैं।  हमारी आस्था और संस्कृति ऐसी परंपरा से ही जुड़ कर बनी है।  


भारतीय समाज में स्त्री के सुहाग का महत्व

भारतीय संस्कृति में सुहाग का महत्व बहुत अधिक है। सुहाग एक ऐसा शब्द है जो विवाहित महिलाओं के लिए प्रयोग किया जाता है, जो उनके पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना को दर्शाता है। सुहाग का महत्व न केवल पारंपरिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह एक महिला के जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सुहाग का पारंपरिक महत्व
भारतीय समाज में सुहाग का पारंपरिक महत्व बहुत अधिक है। विवाह के बाद, एक महिला का सुहाग उसके पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना को दर्शाता है। सुहाग के प्रतीक के रूप में, महिलाएं विभिन्न प्रकार के आभूषण और वस्त्र पहनती हैं, जैसे कि सिंदूर, मेहंदी, और बिंदी। ये प्रतीक न केवल सुहाग की कामना को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि महिला विवाहित है और उसके पति के साथ उसका गहरा संबंध है।


सुहाग का सामाजिक महत्व


सुहाग का सामाजिक महत्व भी बहुत अधिक है। भारतीय समाज में, एक विवाहित महिला का सुहाग उसके परिवार और समाज में उसकी स्थिति को दर्शाता है। सुहाग का महत्व न केवल महिला के लिए है, बल्कि यह उसके परिवार और समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है। एक महिला का सुहाग उसके पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना को दर्शाता है, जो परिवार और समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है।
सुहाग का व्यक्तिगत महत्व
सुहाग का व्यक्तिगत महत्व भी बहुत अधिक है। एक महिला के लिए, सुहाग उसके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सुहाग का महत्व न केवल पारंपरिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह एक महिला के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को भी दर्शाता है। एक महिला का सुहाग उसके पति के साथ उसके गहरे संबंध को दर्शाता है, जो उसके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारतीय समाज में सुहाग का महत्व बहुत अधिक है। सुहाग न केवल पारंपरिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक महिला के जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सुहाग का महत्व न केवल महिला के लिए है, बल्कि यह उसके परिवार और समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है। एक महिला का सुहाग उसके पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना को दर्शाता है, जो परिवार और समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है। और हो भी क्यों नहीं एक जोड़ा अर्थात एक नर और एक नारी जब परिणय सूत्र से बंध जाते हैं , तभी वो पूर्ण सामाजिक स्वरूप से अपनी संतान प्राप्ति और उस से जुड़े कर्तव्य को निभा पाते हैं।  
सुहाग के प्रतीक
सुहाग के प्रतीक के रूप में, महिलाएं विभिन्न प्रकार के आभूषण और वस्त्र पहनती हैं, जैसे कि:

- सिंदूर: सिंदूर एक पारंपरिक आभूषण है जो विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाता है। यह सुहाग का प्रतीक है और पति की लंबी उम्र की कामना को दर्शाता है।
- मेहंदी: मेहंदी एक पारंपरिक वस्त्र है जो विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाता है। यह सुहाग का प्रतीक है और पति के साथ गहरे संबंध को दर्शाता है।
- बिंदी: बिंदी एक पारंपरिक आभूषण है जो विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाता है। यह सुहाग का प्रतीक है और पति की लंबी उम्र की कामना को दर्शाता है।
- चूड़ियाँ , और मंगल सूत्र , और श्रृंगार सुहाग का महत्व बनाए रखने के तरीके सुहाग का महत्व बनाए रखने के लिए, महिलाएं विभिन्न तरीकों का पालन कर सकती हैं, जैसे कि: 

- पारंपरिक आभूषण और वस्त्र पहनना
- पति की लंबी उम्र की कामना करना
- सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करना
- परिवार और समाज में सुहाग का महत्व बनाए रखना
एक दुसरे का सम्मान करना और शुद्धता से अपने कर्तव्य निभाना 

सुहाग का महत्व भारतीय समाज में बहुत अधिक है। यह न केवल पारंपरिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक महिला के जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सुहाग का महत्व बनाए रखने के लिए, महिलाएं विभिन्न तरीकों का पालन कर सकती हैं और पारंपरिक आभूषण और वस्त्र पहन सकती हैं।

लेखक - डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - 
अरुण अतृप्त पूर्व निदेशक - आयुष - दिल्ली  

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0
Dr Arun Kumar Shastri Formerly I Director of AYUSH Deptt in Delhi, presently an online consultant for corporate employees in LIFE STYLE DISORDERS , a writer in HINDI, ENGLISH , Sanskrit , Punjabi and occasionally in Marathi , Gujrati also I am a promoter of HINDI MAREIBHASHA in India and Abroad and travelled to 450 destinations in India and 30 destinations Abroad , has written 45 books 23 ebooks and 10 are under publications . Has treated 5 lakh plus patients.