मानवजाति के साथ एलियंस की लुकाछुपी कब बंद होगी
मानवजाति के साथ एलियंस की लुकाछुपी कब बंद होगी
वेसे तो नासा ने शनि के उपग्रह एंसेल्कस पर जीवन होने की संभावना व्यक्त की है। इतना ही नहीं, मनुष्य रह सकें, इस तरह के 20 ग्रह नासा केप्लर मिशन द्वारा खोजे गए हैं। अगर मनुष्य के जीवन के लिए इन ग्रहों का वातावरण अनुकूल है तो ऐसा नहीं हो सकता कि वहां किसी प्रकार का जीवन न विकसित हुआ हो?
कुछ सालों पहले रूस के बाल्टिक समुद्र के किनारे स्थित ताल्लीन शहर में दुनिया भर के करीब 2 सौ वैज्ञानिक यह जानने के लिए इकट्ठा हुए थे कि ब्रह्मांड में कोई अन्य बुद्धशाली जीव का अस्तित्व है क्या? यह बुद्धिशाली जीव शायद 'कवासर' के नाम से परिचित तारों की शक्ति को नाथ सका होगा। कहीं कोई जीव शायद 'अमर' बन सका होगा। कहीं न कहीं कोई न कोई संस्कृति हमारे साथ संदेशव्यवहार बनाने का प्रयास कर रही होगी। ये सभी बातें और संभावनाएं 'स्टार्स वार्स' या 'ब्लैक होल' जैसी साइंस फिक्शन फिल्मों से नहीं ली गईं। इन संभावनाओं को खगोलशास्त्र के गंभीर वैज्ञानिकों ने सोचा है।
अगर अंतरिक्ष के अरबों तारों के अगणित ग्रहों में से किसी पर भी मानव संस्कृति विकसित हो और उन्होंने विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विकास किया हो, तो वे जरूर अपने होने की घोषणा रेडियो संदेश के द्वारा करते होंगे। उन्हें यह उम्मीद होगी कि ब्रह्मांड में अगर कोई दूसरी बुद्धशाली सृष्टि होगी तो वह उनके संदेश को पकड़ कर उनसे संपर्क करने का प्रयत्न करेगी।
तब से शुरू हुई खोज आज भी चालू है। अब तक लगभग एक हजार तारों की खोज हो चुकी है। कायदे से अभी तक परिणाम 'नकारात्मक' ही आया है। ये तारे यानी की कुल तारों का एक प्रतिशत (सौवां भाग) का दस लाखवां भाग ही हुआ। गणित की दृष्ट से देखें तो अगर कुल दस लाख संस्कृतियां हों तो उनमें से एक को खोजने के लिए कम से कम दो लाख तारों की जांच करनी पड़ेगी। और यह काम भूसे के ढ़ेर से सुई खोजने से भी मुश्किल है।
भारत के जानेमाने खगोल वैज्ञानिक डा.जे.जे. रावल का कहना है कि हमारी आकाशगंगा में ऐसे लाखों तारे हैं, जो सूर्य की तरह बड़े हैं और इनकी ग्रह श्रंखला भी होगी। और ब्रह्मांड में इस तरह के लाखों करोड़ों मंदाकिनी हैं और इन हर एक में करोड़ों तारे हैं। इस तरह किसी एक ग्रह श्रंखला में कहीं तो जीवन का विकास हुआ ही होगा।
कहीं न कहीं हमारे जैसे जीव रहते हैं, यह विश्वास करने वाले वैज्ञानिक इसे खोज निकालने की कुशलता तो रखते हैं, पर साधन और इसके पीछे आने वाला खर्च उन्हें रोकता है। एक खोज के अंत में खगोलशास्त्री ऑलिवेर ने घोषणा की थी कि 3 सौ फुट व्यास की एक हजार रेडियो दूरबीनों की श्रृंखला बनाई जाए तो असंख्य तारों की जांच की जा सकती है। इस पर कितना खर्च आएगा, पता है? सौ अरब डालर। दूसरी बुद्धिजीवी सृष्टि को खोजने का प्रयास 'सर्च फार एक्स्ट्रा-टेरिस्ट्रियल इंटेलिजेंस' (सेटी) के नाम जाना जाता है। इसके पक्ष में प्रखर वैज्ञानिक हैं। मानलीजिए कि हम से भी तेज लोग कहीं हैं, पर उन्हें हम से संपर्क करने में कोई रुचि नहीं है। वे कोई संदेह भी नहीं छोड़ते तो क्या हो सकता है? वाशिंग्टन में खगोलविद् वुडके सुलिवान के मंतव्य के अनुसार अगर वे आंतरिक संदेश व्यवहार के लिए रेडियो तरंगों का उपयोग करते हैं तो उनकी एकाध छटकी तरंग पकड़ी जा सकती है। उसी तरह हमारी एकाध रेडियो या टेलीविजन तरंग से वे भी पृथ्वी के स्थान, भ्रमण गति, भ्रमण कक्ष, ऊष्णता मान और ट्रांसमिशन टावर की ऊंचाई तक जान सकते हैं।
पर क्या सचमुच दूसरी किसी जगह मानव जैसा बुद्धशाली जीव होने की संभावना है? पृथ्वी पर जीवसृष्टि की जब शुरुआत हुई थी यहां जैसा वातावरण अगर कहीं और है तो वहां जीवसृष्टि संभव हो सकती है। मीथेन गैस, पानी के स्रोत, नाइट्रोजन, अमोनिया कार्बन डाइआक्साइड, आक्सीजन सल्फर, मिट्टी, पानी इतने पदार्थ हों तो एमिनोएसिड पैदा होगा। यह एमिनोएसिड प्रोटीन के रूप में मकान की 'ईंटे' हैं। इनमें से जीवन का विकास होगा। यदि पृथ्वी पर जीवन है तो कहीं और भी हो सकता है। क्योंकि विश्व में कोई भी वस्तु एक जैसी देखने को नहीं मिलती-एक से विशेष ही होती है।
आक्सफोर्ड की एक महिला वैज्ञानिक ने एक चौंकाने वाली और हालीवुड के फिल्म निर्देशकों को मोटी कमाई करने के लिए ललचाने के लिए भविष्यवाणी की थी कि 'इसी सदी में ही मनुष्य को परग्रहवासी (एलियंस) का सामना करने के लिए सुसज्जित होना पड़ेगा'। यूनाइटेड किंगडम के एक जानेमाने भौतिकशास्त्री के अनुसार सरकारों को अब पृथ्वी के उस पार रहने वालों के साथ एनकाउंटर के लिए तैयारी कर देनी चाहिए।
जबकि परग्रहवासियों के अस्तित्व का परिचय हम सब से हो जाए तब भी उनके साथ रेडियो या लेसर द्वारा बातचीत करने में दशकों लग जाएंगे। क्योंकि प्रकाश की गति से तेज दूसरी कोई वस्तु प्रवास नहीं कर सकती। इसलिए उनसे एकतरफा बात करने में ही, आप का संदेश उन तक पहुंचने में ही संभवत: पचास या सौ साल बीत जाए ऐसा बर्नेल ने कहा था। जबकि हमें परग्रहवासियों को अपने बारे में जानकरी देनी चाहिए या नहीं, इस बारे में वैज्ञानिकों में मतभेद हैं।
प्रतिष्ठित वैज्ञानिक स्टिफन हेकिंग्स ने चेतावनी देते हुए कहा था कि संभावना है कि परग्रहवासी हमारी पृथ्वी की सुख समृद्धि लूट सकते हैं। हमें मात्र यह जानने की कोशिश करनी है कि हम जिनसे मिलना नहीं चाहते, उनके अंदर बुद्धीशाली जीवन कैसे विकसित होता है।
आकाश में असंख्य तारे हैं। उनके असंख्य ग्रह हैं। कहीं तो जीवन होगा ही। अमेरिकी अंतरिक्ष संस्था नासा के भारतीय मूल के वैज्ञानिक अमिताभ घोष का मानना है कि पृथ्वी के अलावा कहीं जीवन नहीं है तो यह चमत्कार ही माना जाएगा।
उनके कहने के अनुसार ब्रह्मांड में अन्यत्र जीवन है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए तीन चुनौतियां हैं। प्रथम तो ब्रह्मांड के किसी इलाके में लाखों साल पहले जीवन प्रकट हुआ हो और उसका अस्त भी हो गया हो, आज जब हम अन्य ग्रह में जीवन की तलाश कर रहे हैं तो हो सकता है कि अब वहां जीवन न हो। उदाहरणस्वरूप अन्य ग्रह के लोगों ने चार अरब साल पहले हमारी पृथ्वी की खोज की थी तो उस समय उन्हें पृथ्वी के जीवन का पता न चला हो और उन्होंने अपनी इस खोज पर पूर्णविराम लगा दिया हो। क्योंकि पृथ्वी पर जीवन का उद्भव साढ़े तीन अरब साल पहले हुआ था। दूसरी चुनौती यह है कि अन्य ग्रहों का जीवन अरबों-खरबों मील दूर है और इतनी लंबी यात्रा करने में मनुष्य सक्षम नहीं है। क्योंकि इतनी दूर यात्रा करने में सैकड़ों साल निकल जाएंगे। 30 हजार प्रकाशवर्ष दूर किसी ग्रह पर जीवन हो तो भी पृथ्वी और उसके बीच इतनी दूरी है कि उनसे किसी भी तरह संपर्क नहीं किया जा सकता।
तीसरा ब्रह्मांड में अन्यत्र जीवन शायद हम जैसा न हो, हम जैसे मनुष्य, प्राणी और पक्षी न हों। हमारा जीवन कार्बन आधारित है, वहां सिलिकोन आधारित हो सकता है और यह भी हो सकता है कि वे खुद को अलग तरह से प्रदर्शित करते हों। पृथ्वी के बायोलाॅजिकल टेस्ट उन पर न उतर सकें। अन्य ग्रहों में जीवन की खोज करने वाले वैज्ञानिकों को विश्वास है कि जीवात्माएं रेडियो सिग्नल्स भेज सकें इतना आगे तो निकल ही गई होंगी। मंगल पर भेजे गए यान वहां जीवन है या नहीं, यह साक्ष्य तो भेजेंगे ही। वह सूक्ष्म स्वरूप भी हो सकता है। जबकि हमारे सूर्यमाला के बाहर के ग्रहों में जीवन के साक्ष्य तलाशने में अभी सालों तक संभव नहीं है। शायद सौ साल बाद संभव हो सके।
एलियंस के बारे में महान वैज्ञानिक और भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने कहा था कि ब्रह्मांड में अपनी पृथ्वी की अपेक्षा बड़े ग्रह और तारे अस्तित्व रखते हैं, इसलिए एलियंस के अस्तित्व की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। महान वैज्ञानिक आल्बर्ट आइंस्टीन ने एक बार अवलोकन कर के कहा था कि एलियंस अस्तित्व में नहीं हैं यह मान लेना समुद्र से एक चम्मच पानी ले कर उसमें देखना कि समुद्र में शार्क या ह्वेल मछली नहीं है इसके बराबर है।
परग्रहवासियों के अस्तित्व के मामले में, उनकी खोज के बारे में आज तक अनेक बार चर्चा हो चुकी है, लेख लिखे गए हैं, परंतु यह विषय इतना जटिल बनता जा रहा है कि कभी मनुष्य का दिमाग काम नहीं करता। अंत में यही कह कर मन को मनाना पड़ता है कि ईश्वर की लीला अपरंपार है।
वीरेंद्र बहादुर सिंह
जेड-436ए, सेक्टर-12,
नोएडा-201301 (उ.प्र.)
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