कलियां
रात भर ठंड में अलसाई गुलाब की कलियों पर
रात भर ठंड में अलसाई
गुलाब की कलियों पर
ज्योंहि पड़ी शबनम की कुछ बूंदें
वो तरो-ताज़ा हो गई
और इन शबनम की बूंदों पर
पड़ी जब सूरज की पहली किरणें
कलियां फूलों में तब्दील हो
मुस्कुराने लगी
उसकी मुस्कुराहटों से निकली
भीगी सी खुश्बू को
सुबह की ठंडी हवा ने चुराकर
सारी फिज़ा को खुशनुमा कर दिया
न जाने ऐसी ही कितनी कलियां
इंतजार में हैं
शबनम की कुछ बूंदों की
सूरज की पहली किरणों की
सुबह की पहली ठंडी हवा की
जो छू जाएं इनके अंतर्मन को
और वो भी अपने छिपे सपनों से
एक खुशनुमा संसार बना दें!
डॉ. शबनम आलम
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