प्यारी मां
तेरी इस अलौकिक छवि के पीछे छुपे हैं सैंकड़ों त्याग जिन्हें चाहे अनचाहे तूने बना रखा है
प्यारी मां,
बस कुछ कहना था तुमसे
वैसे तो
तुम एक गहरा समंदर हो
जिसके असीमित छोर में
भरा हैं अनंत, अपार स्नेह
ये वो कुबेर का खज़ाना है
जो तू चाहे जितना लुटाए
कभी रीतता नहीं।
पर मां,
तेरी इस अलौकिक छवि के पीछे
छुपे हैं सैंकड़ों त्याग
जिन्हें चाहे अनचाहे तूने
बना रखा है
अपने जीवन का अप्रतिम हिस्सा
जो कभी तेरे हृदय पटल पर
ये एहसास जागृत नहीं होने देते
कि तू महज़ एक मां ही नहीं
एक औरत भी है
और उस से भी पहले
तू हैं एक इंसान
तुझमें भी अभी
बाकी हैं कहीं
थोड़ी सी ज़िद...।
ज़िद, ज़िंदगी जीने की
ज़िद, आज़ाद उड़ने की
ज़िद, प्रेम, त्याग और समर्पण से परे
स्व- अस्तित्व की रक्षा की।
तूने जन्म दिया हैं मां
नयी ज़िंदगी को
मां तो तू रहेगी सदा
क्योंकि
ममत्व तुझे ईश्वर से मिला वरदान है
पर मां भूलना नहीं
अपने आत्म सम्मान के साथ
सर उठा कर जीने की कला भी
तुझे ही प्रस्फुटित करनी हैं
अपने बच्चों में।
भूलना नहीं मां कि
तेरे ही कांधों पर बोझ है
अपने बच्चों को सिखाने का
की खुशियां उधार की अच्छी नहीं
खुश रहना हमारा हक़ भी हैं।
अनिता गहलोत
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