नारी की परिभाषा
सीखो जीना अब समाज तुम एक काबिल नारी के संग
नारी की परिभाषा अब, नारी को ही लिखने दो
अपने कर्मठता के बल पर,
अब नयी भाषा गढ़ने दो
सीखो जीना अब समाज तुम
एक काबिल नारी के संग
अरमानों के बेल लहर रहे
हरित पल्लवित होने दो
नारी की परिभाषा अब नारी को ही लिखने दो
महिमा मंडन में मत बांधो नारी को
उसके हिस्से की जिंदगी जीने दो
सशक्त, सबल, आत्मनिर्भर नारी को
खुद अपनी कहानी रचने दो
नारी की परिभाषा अब नारी को ही लिखने दो
निर्णय हो उसका भी भारी
अहमियत दर्ज कराती नारी
सबके साथ हाथ मिलकर कर
कदम उत्साहित बढ़ने दो
नारी की परिभाषा अब नारी को ही लिखने दो
मेहनत,ताकत,नए विचारों में
आगे बढ़ने की है प्रखर चाह
लगते कितने रग-रग में जख्म
उसे खुद ही मरहम लगाने दो
नारी की परिभाषा अब नारी को ही लिखने दो
नारी की डगर कठिन, नहीं सरल
चरित्र हनन की परछाई से
उसको अब खुद ही निकलने दो
हर्षित, पुलकित, सुरभित मुदित हो
नारी की परिभाषा अब नारी को ही लिखने दो
कर्मठता के बल पर नयी कहानी बनने दो
शीला तिवारी
What's Your Reaction?