दिल के तख्त
नाज है तुझ पर ए निंदा करने वाले.. तेरी निंदा की गिनती में अहसानो में रखती हूं।
नाज है तुझ पर ए निंदा करने वाले..
तेरी निंदा की गिनती में अहसानो में रखती हूं।
एक-एक निंदा जीवन का बहुमूल्य पाठ पढ़ाती है।
जब-जब मेरी नाव भवर में फसती है।
वह निंदा ही बेहतरीन तरीके से उसे पार लगाती है।
जिस कदर तुम अपना कीमती समय
निकाल कर मेरा ख्याल रखते हो।
ईश्वर की शुक्रगुजार हूं जो तुम अपने दिल में
किसी बहाने से मेरा नाम रटते हो ।
मेरी हर एक गलतियों पर तुम
अपनी पैनी नजर बनाए रखते हो।
अपनी जिह्वा से मेरे अवगुणों को हरदम साफ करते हो।
अपनी निंदाओं का सिलसिला यूं ही बरकरार रखना ।
अपने दिल के तख्त-ओ-ताज पर
निंदाओं के बहाने मुझे यूं ही बिठाए रखना।
नम्रता यादव
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