महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार

बहुत लोगों के मुख से मैं यह प्रश्न सुनती हूँ कि महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार का जिम्मेदार कौन है। आजकल कोई ऐसा दिन नहीं होता जब महिलाओं के ऊपर अत्याचार की खबर सुनने या पढ़ने को नहीं मिलती हो। आजकल महिलाओं के ऊपर जुल्म बढ़ते जा रहे हैं। अपराधी वारदात करने के बाद सरेआम घूमते रहतें हैं। अगर आरोपी पकड़ में भी आ जाते हैं तो भी अपराधी को जल्दी से दंड नहीं मिल पाता है।

Dec 2, 2024 - 20:00
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महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार
increasing atrocities on women

बहुत लोगों के मुख से मैं यह प्रश्न सुनती हूँ कि महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार का जिम्मेदार कौन है। आजकल कोई ऐसा दिन नहीं होता जब महिलाओं के ऊपर अत्याचार की खबर सुनने या पढ़ने को नहीं मिलती हो। आजकल महिलाओं के ऊपर जुल्म बढ़ते जा रहे हैं। अपराधी वारदात करने के बाद सरेआम घूमते रहतें हैं। अगर आरोपी पकड़ में भी आ जाते हैं तो भी अपराधी को जल्दी से दंड नहीं मिल पाता है। धीमी कानूनी कार्यवाही अपराधियों के लिए वरदान बनी हुई है। आजकल अपराधियों के दिल में पुलिस और कानून का कोई भय नहीं है। मेरे हिसाब से महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार का सबसे प्रमुख कारण हमारी ढीली कानून व्यवस्था है। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि महिलाओं पर जो अत्याचार बढ़ रहे हैं उसकी जिम्मेदार खुद महिलाएँ हैं। वे छोटे कपड़े पहनती हैं, पुरुषों को कामुक दृष्टि से देखती हैं इसीलिए सारे अपराध का कारण वही होती हैं। मैं ऐसा मानती हूँ कि जिनकी सोच खराब है वे ही दूसरों पर प्रत्यारोप लगाते हैं। मैं मानती हूँ कि जिस तरह महिलाओं को बचपन से आदर्श बनने की शिक्षा दी जाती है उसी तरह पुरूषों की शिक्षा में भी सुधार होनी चाहिए। अब देखिए न कोलकाता की डाक्टर बेटी न तो छोटे कपड़े पहनी थी और न ही कामुक दृष्टि से किसी को देखी, फिर भी उसके साथ बलात्कार होता है और उसके बाद उसे बेरहमी से मार दिया जाता है। क्या भारत की बेटियों को जीने का हक नहीं है।

कभी-कभी नारियों को खुद के ऊपर घृणा आती है कि उनके ही कोख से ऐसे वीभत्स पुरुष जन्म लेते हैं जो उन्हें ही मार देते हैं। मैं ऐसा मानती हूँ कि महिलाओं के ऊपर बढ़ते अत्याचार के जिम्मेदार शासन और प्रजा दोनो है। प्रजा में आज भी लड़का लड़की में भेदभाव किया जाता है। अभी भी सोच ऐसी है कि लड़कियाँ मात्र दूसरे के घर में जाने वाली एक वस्तु समझी जाती हैं। ये लोग नारी को भोग्या समझते हैं।

अगर देश में न्याय व्यवस्था में सुधार हो,नारी की तरफ आँख उठाने वाले को कठोर से कठोर सजा दी जाए तो नारी पर बढ़ते अपराध रुक जाएंगे। समाज में लड़का लड़की में भेदभाव न हो,बचपन से ही लड़कों को नारी का सम्मान करने की शिक्षा दी जाए तब ही नारी पर बढ़ते अत्याचार रुक जाएंगे। यह अत्याचार तभी कम होगा जब सरकार और समाज दोनों अपनी जिम्मेदारी को समझेंगे और मिलकर काम करेंगे। अपराधी को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।

मनोरमा शर्मा मनु

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