परतें मैंल की

जब उसकी शादी के लिए लड़की देखी जाने लगी है तब उसने बताया की लड़की तो उसने पहले से ही पसंद कर रखी है। उसी के साथ नौकरी करती है। उसकी पसंद से शादी करने पर तो परिवार को ऐतराज नहीं था लेकिन सभी के मन में यह सन्देह था

Apr 13, 2024 - 19:15
Apr 13, 2024 - 19:16
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परतें मैंल की
layers of filth

सुगंधा की शादी को 10 वर्ष हो गए हैं। दो प्यारे-प्यारे बच्चे काव्या और माधव है। उसके पति प्रभात की एक प्राइवेट कंपनी में अच्छी नौकरी है। परिवार भी बहुत अच्छा है। ननद की शादी हो चुकी है। सास-ससुर सब मिलकर स्नेह के साथ रहते हैं। छोटा देवर जो उसके पति से 7 साल छोटा है अच्छा पढ़ लिख कर एक उच्च पद पर स्थापित हो गया है। परिवार का माहौल खूब अच्छा है। देवर की शादी की तैयारी की चर्चा घर में चलती रहती। सासु सोचती ऐसी सुंदर बहू लाऊंगी कि सब देखते रह जाए। ननद देवर के साथ भी सुगंधा स्नेह के साथ खूब घुल मिलकर रहती। बच्चे भी सारे दिन चाचा-चाचा करके खूब पीछे लगे रहते। उसका देवर भी बच्चों के लिए तरह-तरह की चीजें लाता। अच्छी नौकरी पर लग गया था तो घर में सबके लिए कुछ ना कुछ लाता ही रहता।

जब उसकी शादी के लिए लड़की देखी जाने लगी है तब उसने बताया की लड़की तो उसने पहले से ही पसंद कर रखी है। उसी के साथ नौकरी करती है। उसकी पसंद से शादी करने पर तो परिवार को ऐतराज नहीं था लेकिन सभी के मन में यह सन्देह था की नौकरी वाली लड़की घर परिवार में निभ भी पाएगी या नहीं। जब सब लड़की देखने गए सबको लड़की एक नजर में ही भा गई। भाती भी क्यों नहीं? रूप रंग में थी भी तो अधिक सुंदर। रंग में भी बिल्कुल सफेद, नाक नक्श भी बिल्कुल तीखे। हमारे हिंदुस्तान में विवाह के समय लड़की की सुंदरता को ज्यादा तवज्जो दी जाती है। लड़की का गोरा होना तो एक वरदान ही समझा जाता है। खुदा ना ख़ास्ता अगर लड़की सांवली पैदा हो जाए, तो उसके परिवार वालों के साथ-साथ आस-पड़ोसी और रिश्तेदार ताने मार-मार कर जीना मुहाल कर देते हैं। सभी लोग सुगंधा की होने वाली देवरानी शैफाली की इतनी अधिक तारीफ कर रहे थे उसे देखकर सुगंधा को अपना गेहूंआ रंग काला नजर आने लगा‌।

घर में विवाह शादी की तैयारी चल रही थी। शैफाली के लिए तरह-तरह के कपड़े ज्वेलरी की खरीदारी हो रही थी। सुगंधा अपनी तुलना करती तो उसे जलन सी महसूस होने लगी। उसने अपनी सास से दबी जवान से कहा भी था कि मेरे समय तो इतना जेवर कपड़ा नहीं चढ़ा था। अब इतनी महंगी शॉपिंग क्यों हो रही है?

उसकी सास ने समय का हवाला देते हुए उसको चुप कर दिया। जिसके समय जो बन जाए वह ठीक है। सास ने उसको समझते हुए कहा,"मयंक कमाता भी तो बहुत अधिक है। अगर उसकी पत्नी को थोड़ा घना ज्यादा भी हो जाए तो इसमें क्या फर्क पड़ता है? तुम बड़ी हो तुम्हें थोड़ी समझदारी रखनी चाहिए।"

सुगंधा अपना सा मुंह लेकर रह गई लेकिन उसके मन में गांठ बैठ गई। अब उसके व्यवहार में बहुत परिवर्तन आने लगा। धूमधाम से विवाह संपन्न हुआ। हनीमून के लिए देवर देवरानी विदेश चले गए।

सुगंधा के मन में अव गांठ और अधिक गहरी हो रही थी। एक दिन उसने अपने पति से कहा घूमने जाने के लिए। उसके पति प्रभात ने शादी की व्यस्तता और खर्च का हवाला देते हुए उसे मना कर दिया।

अब सुगंधा के मन में देवरानी से जलन की भावना बढ़ती जा रही थी। अपने पति के कान में भी रोज पिन मारती। घर में भी जरा सी बात पर ही किच-किच मचा देती। खुद भी डिप्रेशन का शिकार होती जा रही थी। एक दिन उसके पति प्रभात ऑफिस से आये ही थे। उसने फौरन सिखाना पढ़ाना शुरू कर दिया। उसके पति प्रभात बहुत समझदार व्यक्ति हैं। उसने सुगंधा को अपने पास बिठाकर बड़े प्यार से समझाया,"हमें किसी की होड़ नहीं करनी चाहिए। तुम्हारे समय पर जो हुआ उसकी तुलना आज के समय से मत करो और रही बात मयंक की और उसकी पत्नी की तो वह तो बहुत छोटे हैं। मयंक खुद मुझे 7 साल छोटा है तो तुम उसकी पत्नी से अपनी तुलना क्यों करती हो। वह तो हमारे लिए बच्चों जैसे हैं। जिस प्रकार माता-पिता अपने बच्चों को तरक्की प्राप्त करते देखकर खुश होते हैं हमें तो ऐसा ही खुश होना चाहिए उन दोनों को खुश देखकर। हमारे हाथ तो सदैव आशीर्वाद देने के लिए ही उठने चाहिए। शादी के बाद बहनें बड़े मेल से रह सकती हैं तो हम भाई-भाई और देवरानी-जेठानी मेल से क्यों नहीं रह सकती। इन छोटी-छोटी बातों से घर टूटते हैं, बिखरते हैं। हमें तो घर का माहौल ऐसा बनाना चाहिए कि अड़ोस-पड़ोस में भी मिसाल कायम हो सके। आज जो व्यवहार हम अपने परिवार के साथ करेंगे कल को वही व्यवहार हमारे बच्चे सीखेंगे। बच्चे घर का आईना होते हैं। इसलिए हमें वह व्यवहार करना चाहिए जिससे हमें अपने बच्चों को सिखाने के लिए दूसरों का उदाहरण ना देना पड़े। सुगंधा को आज बात समझ में आ 

प्राची अग्रवाल

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