ज़िंदगीनामा
रोहित का छोटा भाई राहुल बी टेक कर अच्छी जॉब कर रहा था । जब उसकी शादी की बात आई ,तो उसने अपनी ही कंपनी में साथकाम करने वाली रीमा से शादी करने की इच्छा जताई ।जिसे सहर्ष ही दोनों परिवार ने मान लिया ।
डॉक्टर मिश्रा को अपनी इकलौती डॉक्टर बिटिया चारू के लिए पसंद आया था , अपने मित्र डॉक्टर तिवारी का बेटा डॉक्टर रोहित ।तिवारी जी का अपना हॉस्पिटल था , रोहित उसमें ही प्रैक्टिस करता था । जहाँ डॉक्टर मिश्रा की पत्नी डॉक्टर थी , वही तिवारी जी कीपत्नी हाउस वाइफ थी ।
दोनों परिवार की आपसी सहमति से चारू व रोहित की शादी हो गई ।शादी के बाद चारु ने भी तिवारी जी का हॉस्पिटल जॉइन करलिया ।जानते तो वो दोनों एक दूसरे को बचपन से थे , पर प्यार व्यार जैसा कुछ न था । और अब शादी के बाद दोनों के विचार एक होनेसे धीरे धीरे प्यार परवान चढ़ रहा था । वैसे तो हॉस्पिटल से कम समय मिलता , पर जब भी समय मिलता दोनों कही घूम आते,साथसमय व्यतीत करते , वो क्या कहते है , क्वालिटी टाइम ।अब भगवान ने उन्हें प्यारे से बेटे के सुख से भी नवाज़ा है ।
रोहित का छोटा भाई राहुल बी टेक कर अच्छी जॉब कर रहा था । जब उसकी शादी की बात आई , तो उसने अपनी ही कंपनी में साथकाम करने वाली रीमा से शादी करने की इच्छा जताई ।जिसे सहर्ष ही दोनों परिवार ने मान लिया ।
धूम धाम से दोनों की शादी हो गई । दोनों को ही कंपनी अमेरिका भेज रही थी । शादी के कुछ महीने बाद उनका जाना तय था ।
रोहित महीने में एक बार पास ही के गाँव में निःशुल्क मरीज़ देखता था , शादी की गहमा गहमी से फ़ुरसत पा वो आज गाँव गया हुआ था। लेकिन देखो नियति को कुछ और ही मंज़ूर था , लौटते समय अचानक तेज बारिश शुरू हो गई , रोहित की कार को सामने से तेज़ी सेआती गाड़ी ने टक्कर मार दी , सब ख़त्म हो गया ।
जो घर दो दिन पहले शहनाई की आवाज से गूंज रहा था वहाँ मातम छा गया । चारू तो जैसे बुत बन गई । डॉक्टर तिवारी को सँभलानामुश्किल था । राहुल जैसे तैसे सबको सम्भाल रहा था ।
तिवारी जी पत्नी चारू के बेटे के साथ ख़ुद को समझा रही थी । रीमा को तो कुछ समझ ही नही आ रहा था । मिश्रा दंपति हतप्रभ थे ।
जैसे तैसे दिन गुजर रहे थे , न तो चारू और न ही डॉक्टर तिवारी लगभग महीना बीतने पर भी क्लिनिक जा पा रहे थे । वो लोग अभी तकसंभले ही नही थे ।
उस दिन चारू को रात में नींद ही नही आ रही थी , वैसे अब तो ये लगभग रोज़ का ही हो गया था , वो किचिन से अपने लिए कॉफ़ी बनालाई , और कमरे की बालकनी खोल वहाँ डली कुर्सी पर बैठ गई , रोहित और उसे यह बैठ कर कॉफ़ी पीना कितना पसंद था । रोहित तुमक्यों चले गये , ये सोच चारू की आँखे भर आयी ।
राहुल और उनके कमरे की बालकनी जुड़ी हुई है । तभी रीमा का तल्ख़ स्वर सुनाई दिया , ”ये आपका दुःख तो कम होने का नाम ही नहीले रहा , चलो हनीमून न सही , घर में तो थोड़ा ठीक मुँह बना कर रहा करो ।”न चाहते हुए भी गुमसुम चारू के कानों में ये बातें पड़ रही थी।
“ये कैसी बात कर रही हो , और थोड़ा धीरे बोलो कोई सुन लेगा ।”ये राहुल था ।
“सुन ले तो सुन ले ।मेरी नई नई शादी हुई है , कब तक ऐसे शोक मनाते रहेंगे । “ये रीमा थी ।
“ये दुःख तो इतनी जल्दी कम न होगा । “राहुल ने कहा ।
“और ये चारू भाभी न जाने कब तक घर बैठी रहेगी ।कही इनके चक्कर में हमारा विदेश जाना खटाई में न पड़ जाये । “
इसके बाद चारू कुछ न सुन पाई ।
बिस्तर पर लेट काफ़ी देर आँख से आँसू बहते रहे ।फिर उसने सोचा “हाँ मुझे हिम्मत से काम लेना है , रोहित के अधूरे काम पूरे करने है ।पापा को संभलाना है । बेटे मिहिर को पढ़ाना है ।”
मन ही मन कुछ निर्णय कर वो सो गई ।
दूसरे दिन उसने बेटे का स्कूल बैग सम्भाला व अगले दिन उसे स्कूल भेजना शुरू किया । जिससे घर के बोझिल माहौल में थोड़ी कमीआई । उसकी सास इस सब में उसके साथ थी । वो एक स्ट्रॉंग महिला थी ।
फिर पापा को लेकर हॉस्पिटल गई । कॉरिडोर में रोहित की बड़ी सी मुस्कुराती फोटो लगी थी । फोटो पर रोहित की पसंद की लालगुलाब की माला डली हुई थी । फोटो को देख आँखो में आँसू के होते भी होठों पर मुस्कान ला चारू बोली “गुड मॉर्निंग डॉक्टर रोहित । “
अब ऐसे ही वो रोज़ अपने काम की शुरुआत करती । पापा को भी उसने काफ़ी हद तक सँभाल लिया था ।
हॉस्पिटल की व्यवस्था सही कर उसने अब घर के हालात सही करने का सोचा ।
एक दिन डिनर के समय उसने कहा “राहुल तुम्हें अमरीका कब तक जाना है ? “रीमा का ख़ाना खाते हाथ रुक गया ।
“भाभी अभी तो मैं नहीं जायूँगा ।”राहुल ने जवाब दिया ।
“ये कैसी बात कर रहे हो ।तुम्हारे भैया का सपना था ,तुम दोनों अपने
barkha shukla
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