मातृशक्ति
तृशक्ति के ज्योत पुंज को। प्रेम भाव वंदन करना है।
तृशक्ति के ज्योत पुंज को।
प्रेम भाव वंदन करना है।
ममता साँची संबल मन की ,
शीश सजा चंदन करना है।
मुनिवर ज्ञानी का भी कहना,
नारी घर का स्वर्णिम गहना,
देव पधारेगे उस घर में,
जिस घर नारी वंदन रहना।
युग युगों से नारी शक्ति,
वही प्रेम है वही है भक्ति।
अर्थ कई समाहित उसमे,
शब्द स्वरूपा वो अभिव्यक्ति।
विदुषि, क्षत्राणी, गृहणी, पावन।
रूप सकारे हैं मनभावन।
व्यथा वेदना की ज्वाला पर।
नार पावसी सुन्दर सावन।
देव धरा पर धारे युक्ति।
जगत जाल से पायें मुक्ति।
माँ की गरिमा ईश स्वरूपा।
स्वर्ग लोक की महिमा झुकती।
पुष्प सुमन है कांटा भी है,
खूश्बू भी है चंचल भी है।
प्राणवायु की अमृत बेल सी।
सिंचित मन से करना भी है।
सदा प्रेम के सरस वचन से,
उनका अभिनंदन करना है।
मातृशक्ति के ज्योत पुंज को।
प्रेम भाव वंदन करना है।
अनीता सोनी
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