होली की यादें

बचपन  में  खेली  होली, की  यादों  ने  गुदगुदाया।

Apr 25, 2024 - 13:05
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होली की यादें
HOLI

फागुन का महीना  आया,
हर दिल  मे उमंग छाया।
मस्ती का आलम है लाया,
होली का त्यौहार भाया।।

बचपन  में  खेली  होली,
की  यादों  ने  गुदगुदाया।
कितना रोमांचक होता था,
लो रंगों का त्यौहार आया।।

सारी सारी  रात जगना,
कल किसको कैसे रंग लगाना।
पिचकारी भरना बाल्टी उंडेलना,
अगले दिन की योजना बनाना।।

होलिका दहन की तैयारी करना,
बड़बुलये ले जाना, बालिया सेंकना।
होली की पूजा परिक्रमा करना,
रागद्वेष भूलकर गले मिलना।।

वो एक दिन पहले,
टेसू के फूलों का लाना।
चुकन्दर का रस निकालना,
कड़ाव  भर भरके  रंग बनाना।।

देख रही हूँ  जब बच्चों को,
रंग अबीर गुलाल मलते।
पिचकारी छोड़ते, गुब्बारे फोड़ते,
हँसी ठिठोली करते मस्ती करते।।

लग  रहा है मानो आज,
वही होली का दिन लौट आया।
गुजियों की मिठास के संग,
रँगों का त्यौहार है आया।।

अर्चना लखोटिया

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