पिता जी की याद
आज फिर पिता जी की याद आ गई,
क्यों छोड़ कर चले गए आप,
इतनी जल्दी क्या थी हमसे बिछड़ने की।।
कुछ और दिन ठहर जाते हमारे साथ,
हमें भी मिल जाता पिता जी का प्यार,
तरसती हैं आज भी आंखें,
कहीं दिखाई दे वह मुस्कुराता चेहरा।।
आप की यादों में, मैं कब छोटी से बड़ी हो गई पता ही नहीं चला,
आया समय विदाई का तो देख रही थी वहीं बाहें,
जहां लिपट कर कुछ देर रो सकती थी।।
लेकिन अब वहां न, वह बाहें हैं और ना आप हो।।
फिर एक दम सपना टूटा,
सोचा कि यह सपना सच हो जाए।।
जया पन्त , मुरादाबाद।
नाम -जया पन्त
पता -हिमगिरी कालोनी मुरादाबाद