मेरी पहचान

इस समाज की खातिर अबला,  होती है बदनाम भला क्यों ? 

Apr 16, 2024 - 14:39
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मेरी पहचान
my identity

एक साल में इक दिन मिलता, 
नारी को सम्मान भला क्यों ? 
हम ही देने से कतराते, 
हर दिन उसको मान भला क्यों ? 
रोज़ कुचलते उसकी इज़्ज़त, 
करते लहूलुहान भला क्यों? 
इस समाज की खातिर अबला, 
होती है बदनाम भला क्यों ? 
दर्जा देवी, फ़िर भी उसको, 
न समझे इंसान भला क्यों ? 
जननी के आगे ही मानव,
 बन बैठा शैतान भला क्यों ? 
ज्ञान और शक्ति की मूरत,
 को ही देते ज्ञान भला क्यों ? 
उसके अपने ही करते हैं, 
उसका ही अपमान भला क्यों ?
सारे फ़र्ज़ उसी के हिस्से, 
इस से भी अंजान भला क्यों ? 
कुछ खोई सी, कुछ पाई सी, 
औरत की पहचान भला क्यों ?

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