खूबसूरती का ज़हर

खूबसूरती क्या है। यह सवाल आप किसी से पूछिए। आपको ज़बाब में सुनने को मिलेगा, बाहरी खूबसूरती कुछ नहीं होती हमें आंतरिक सुंदरता पर ध्यान देना चाहिए या खूबसूरती देखने वाले की आंखों में होती है।  शायद और भी तरीकों के विचार हमारे समाज के महान ज्ञानी लोगों द्वारा दिए जाते हो।

Mar 30, 2024 - 18:18
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खूबसूरती का ज़हर
poison of beauty

खूबसूरती शब्द पर जब आप विचार करते है मुझे नहीं पता आपके जहन में क्या आया है लेकिन अधिकतर लोगों से पूछोगे खूबसूरती के बारे में तो उनके दिमाग में किसी स्त्री की तस्वीर आती है। चाहे वह नारी हो या पुरूष इससे उसका कोई  फर्क नहीं पड़ता है। मनुष्य को बचपन से ही खूबसूरती का अर्थ हम समझाना शुरु कर देते है और इस अर्थ में कहीं ना कहीं स्त्री को ही एक ढांचे में उतारा जाता है।  शायद यही सत्य होगा तभी हमारे प्यारे गुगल जी से भी खूबसूरती शब्द का अर्थ पूछों तो वह सुंदरता, सौंदर्य, हुस्न जैसे शब्द को दिखलाते है। जिनका प्रयोग कहीं ना कहीं स्त्री के लिए ही सामान्य तौर पर होता है। 

खूबसूरती क्या है। यह सवाल आप किसी से पूछिए। आपको ज़बाब में सुनने को मिलेगा, बाहरी खूबसूरती कुछ नहीं होती हमें आंतरिक सुंदरता पर ध्यान देना चाहिए या खूबसूरती देखने वाले की आंखों में होती है। शायद और भी तरीकों के विचार हमारे समाज के महान ज्ञानी लोगों द्वारा दिए जाते हो। परंतु यह सत्य कितना काला खूबसूरती को लेकर आप बाजारों से लेकर, सोशल मीडिया पर चलने वाली दुकानों के ज्ञान को देख कर समझ जाएंगे। जहां हम एक ओर बाहरी खूबसूरती को महत्व देने से मना करते है वहीं दूसरी ओर उसी को निखारने पर जोर देते है। अलग-अलग प्रकार के वस्त्रों से लेकर मेकअप का समान हो या प्रयोग होने वाली अन्य वस्तुएं अधिकतर से अधिकतर समान स्त्रियों के लिए ही बाज़ार में प्रस्तुत दिखेंगे।  उन्हें  ख़ूबसूरत ना होने का डर दिखला कर बाजार उन्हें खूबसूरती की धूल आंखों में झोंक देता है। 

एक समय था जब रंग का भय स्त्रियों के दिल में भरकर उन्हें डरा कर बाजार चलता था। आज आंखों के नीचे डार्क सर्कल हो, या तुम्हारे शरीर पर बाल आना, तुम्हारे कपड़े, तुम्हारा चलना, बोलना, हंसना, आज सब कुछ खूबसूरती के गुलाम हो कर स्त्रियों को बाजार का शिकार बना चुके है। साथ ही साथ पुरुष भी इस बाजार के शिकार से कोई ज्यादा दूर नहीं रह गए है।  ब्रांडेड समान का प्रयोग करना महंगाई के जमाने में बेरोजगारी को भूल माता-पिता की कमाई को दिखावे के रंग में उड़ाना बाजार की खूबसूरती का भय ही तो है। 

नीम का पेड़ हमारे लिए बहुत लाभदायक होता है। इसकी जानकारी हम सभी को है। किंतु इसके बावजूद भी हम सभी पैसे खर्च कर अपने घरों में गुलाब जैसे कई फूलों के पौधे लाते है ना कि एक नीम का पेड़ लाकर लगाएं। इसका भी एक मुख्य कारण खूबसूरती है। जिसका जहर हमारे दिमाग की नसों में इस तरह बसा है कि कोई भी अच्छी से अच्छी वैक्सीन इसका तोड़ नहीं कर पा रही है। यह तो ऐसा वायरस है कि दूर रहने के बाद भी फैलने में कम नहीं होता। इसके शिकार हम जन्म के बाद तभी हो गए, जब हमने समाज की हवाओं में सांस ली। एक दो साल का बच्चा अपनी मेड के हाथों से खाना खाने के लिए इसलिए इंकार कर देता क्योंकि वह काली है। यह बाजारों का विचार नहीं यह वह विचार है जो हमने खुद उस बच्चे की आंखों से उसके दिमाग तक पहुंचाया है यह बोलकर कि तुम कितने गोरे हो, हमारे घर में सबसे ज्यादा सुंदर हो आदि शब्दों का प्रयोग जो हम जानें अनजाने में बच्चों के सामने कर देते है। 

सोशल मीडिया पर अक्सर लोगों का दर्द बयान होता है कि लड़कियां अपने विडियो में कुछ करती नहीं है फिर भी वह फेमस हो जाती है, वहीं हम हमारी बहुत मेहनत के बाद भी हमें कोई नहीं पुछता है। मैंने कभी वह विडियो देखें नहीं है। किंतु कहीं ना कहीं यह एक ज़हर ही जो खूबसूरती के नाम पर महिलाओं को केंद्र में रखकर लोगों को परोसा जा रहा है। अपना अधिकतर समय किसी महिला को देखने में ख़राब करना, किसी आवश्यकता या जरूरत से ज्यादा एक मोह है खूबसूरती का मोह। जिसके शिकार स्त्रियां कम है पुरूष अधिक है। वहीं पुरुष जिन्हें परिवार का जिम्मेदार बेटा, भाई, बाप आदि जिम्मेदारी सौंपी जाती है, वहीं अपने साथ-साथ, अपने साथ जुड़े लोगों का भविष्य रील की दुनिया में तबाह कर देता है। जो शिक़ायत करते है कि महिलाएं अपने शरीर का प्रयोग करती है, लोगों को आकर्षित करने के लिए। यही लोग बेरोजगारी जैसे कीचड़ का शिकार होकर उसी सोशल मीडिया पर रोता नज़र आते  है। जिसे वह लड़कियां देखती है जो अपने सपनों ‌में खूबसूरती के जहर को धीरे-धीरे घोल रही है। यही वह बाजार है जो आज हमारे सामाज को सम्पूर्ण रूप से खा रहा है। जहां आंखों पर पट्टी बांधी गई है खूबसूरती के भय में रंगे ज़हर की जो हम सभी के लिए ख़तरनाक है। खुद की जरूरतों को समझों केवल कोई वस्तु फैशन में रंग कर मत लो। बड़ी-बड़ी दुकानों में जाकर वहां की कॉफी पीने में खराबी नहीं है उस को अपना स्टेटस बना कर दिखलाना अनुचित तो नहीं है किंतु उचित भी नहीं है। यह हम सभी को समझना चाहिए। 

राखी सरोज

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