अनमोल दीपक
अपने जीवन काल में मैंने कभी ऐसा नहीं देखा है कि बारहों महीने में किसी दिन तुलसी के चौरे पर दीपक न जला हो
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घर पर हमेशा हर चीज व्यवस्थित रहती है
घर हमेशा साफ सुथरा रहता है
घर का खाना हमेशा अच्छा और स्वादिष्ट
लगता है।
इन सबके पीछे मां का हाथ है
हम बच्चों ने जब से होश संभाला है
मां को रोज नटनी की तरह
घर भर में
इस कमरे से उस कमरे तक
हाल से किचन तक
किचन से हाल तक
भागते ही देखा है।
हर किसी की जिंदगी में
खुशियों के साथ दुखों के दिन भी
आते हैं
मां के कारण हमारे घर पर
कोई दुख कभी घर के रग रग में
व्याप्त नहीं हुआ
मां की उजली हंसी और
सबके साथ सरल सहज व्यवहार
और दुख के पलों को
आनंद के पलों में बदलने की
उनकी जादूगरी हम सभी बच्चों के
मन मस्तिष्क में आज भी अमिट है।
अलग अलग मौसमों में आने वाले
अलग अलग तरह के पर्व त्यौहारों को
मां खूबसूरत रंगों से चमकदार बनाती है
वह सबकी जिंदगी में रोज खुशियों के
रंग भरती है ।
अपने जीवन काल में मैंने कभी ऐसा
नहीं देखा है कि
बारहों महीने में
किसी दिन तुलसी के चौरे पर
दीपक न जला हो
घर का सारा कलुषित वातावरण
समय बेसमय घर पर व्याप्त
दुखों के जालों को
मां हर शाम दीपक जलाकर
बहुत दूर हटा देती है ।
मां बच्चे अर्थों में
अनमोल दीपक है
जो अनवरत जल रही है ।
जिसका शीतल प्रकाश हम सभी बच्चों
पड़ोसियों, स्नेही स्वजनों , रिश्तेदारों के लिए
मार्गदर्शन का कार्य कर रहा है ।
मुकेश तिरपुडे
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