धीमा ज़हर
जीने की अभिलाषा लेकर जीनेवाले जग में, आदमी की ऐसी दुर्दशा पर दिल रोता है।
अस्पताल के एक कोने में दर्द से कराहता,
खाँस-खाँस के छाती को फुलाने वाला।
दर्दभरी अंतिम साँसों के इंतजार में बैठा,
अपनी मौत की बद-दुआएँ पढ़ता रहता।
जीने की अभिलाषा लेकर जीनेवाले जग में,
आदमी की ऐसी दुर्दशा पर दिल रोता है।
अपनी पीड़ा की अतिशय क्रूर दशा लेकर,
एक कोने में छिप-छिपकर रोता-सिसकता है।
पीड़ा की अतिशय निर्मम कैद से निकलकर,
आँखों की पीड़ा आँसूओं में बहकर बोली-
नशे के नशे में जीवनभर गलती करने वाला,
दुनिया के गधों में आदमी सबसे बड़ा गधा है।
इन हालातों तक खुद की गलती ले आयी,
जानता है वह भी, अब केवल पछताये।
गुटका, बीड़ी, तम्बाकू की पुड़िया पर,
मौत का संदेशा चीक-चीककर चिल्लाये।
इनकी लत में आदमी सचमुच अंधे होकर,
मौत को गले लगाने का धीमा ज़हर लेते हैं।
जीवन को मौत के हवाले कर आदमी,
नशे के मद में अपनी मौत को बुला लेते हैं।
अनिल कुमार केसरी
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