वो दौर
घर मे सुकून रहता था, ख़ुद मे जुनून रहता था।
वो दौर कितना अच्छा था,
जब हमारा मकान कच्चा था।
घर मे सुकून रहता था,
ख़ुद मे जुनून रहता था।
आपस मे कितना प्यार था,
एक-दूसरे पर एतबार था।
पाने के चक्कर मे खो दिया,
हँसने के चक्कर मे रो दिया।
नीम के पेड़ को उजाड़ कर,
कूलर मे ठंडक ढूंढते है।
आगे जाने के चक्कर मे,
सुकून हम छोड़ आये।
अब ये मुमकिन नही,
वो पुराना दौर आये।
शोएब खान
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