आजकल की लड़कियाँ
लड़कियाँ चाहती हैं कि उनके सिर्फ रूप-सौंदर्य की चर्चाएं न हों उनके हुनर से, उनकी प्रतिभा से लोग उन्हें पहचानें, लोग उन्हें जानें
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आजकल की लड़कियाँ पढ़-लिखकर
खूब खिलखिलाना चाहती हैं
दूर तलक वो उड़ना चाहती हैं
जीवन में कुछ करना चाहती हैं
कुछ बनकर दिखाना चाहती हैं
लड़कों के बराबर खड़ा होना चाहती हैं...
हर उस क्षेत्र में जाना चाहती हैं
जहाँ उनकी प्रतिभा निखरे
लड़कियाँ नहीं चाहती हैं
कि उन्हें कमतर समझा जाए
उन्हें सिर्फ चूल्हे-चौके के योग्य कहा जाए
अपने हुनर से छू लेना चाहती हैं आसमान
कामयाबी के शीर्ष पर
होना चाहती हैं विराजमान...
लड़कियाँ चाहती हैं कि उनके
सिर्फ रूप-सौंदर्य की चर्चाएं न हों
उनके हुनर से, उनकी प्रतिभा से
लोग उन्हें पहचानें, लोग उन्हें जानें
कर्तव्य पथ पर चलते हुए
कर सकें अधिकारों की बात
उनको भी मिले सफलता की सौगात
उनका भी जीवन उज्जवल बनें
पढ़ने-लिखने की उम्र में
उनकी न हो जाए काली रात...
माता-पिता भले ही
बेटियों के जन्म लेने पर
ढेरों खुशियाँ न मनाएँ
घर में मंगलगीत न गाएं जाएँ
पर लड़कियाँ चाहती हैं...
जीवन में वह ऐसा कुछ कर दिखाएँ
उनके माँ-बापू का सीना
गर्व से चौड़ा हो जाए
हर्षित होकर कह सकें कि
मेरी बेटी भी मेरा अभिमान है
बेटी से अब मेरी पहचान है
और यह भी खुश होकर बोलें
कि वास्तव में सुत-सुता समान हैं...
लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
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