गर्भनाल या प्लेसेंटा

भिन्न-भिन्न प्रकार की मायें माँ प्रकृति के वृक्षस्थल पर

Mar 15, 2024 - 12:21
Mar 15, 2024 - 15:26
 0  15
गर्भनाल या प्लेसेंटा
PLACENTA

जिन्होंने कुछ भी अपने भीतर रखा है 
उन सब ने चखा है मातृत्व
अपने अंदर पूर्णतः समेट लेने की क्षमता
ही तो माँ होने की सटीक अभिव्यक्ति है

भिन्न-भिन्न प्रकार की मायें
माँ प्रकृति के वृक्षस्थल पर
नंगे पैर फिरा करती है
और सिंचती हैं अपना गर्भ
वे सारे अनेक प्रकार के कीड़े मकोड़े (मातायें हैं)
दरअसल वे हमारी दादी और नानियों की भी
दादी और नानियाँ हैं |

जैसे शिशु जुडा रहता है अपनी माँ से
नाभि में उगी गर्भनाल (प्लेसेंटा) की
सहायता से - उसी प्रकार ये सारी मातायें
जिन्होंने पशु योनि में जन्म लिया है वे
भी जुडी हुई हैं एक अदृश्य नाल के माध्यम से
सारी मानव रूपी माताओं से |

प्रकृति भेद भाव नहीं जानती
इसीलिए उसने पुरषों को भी दिया है मातृत्व
का अनूठा अनुभव, वे भी रखते हैं अपने अंदर
ज़िम्मेदारी की एक मोटी गठरी
जो उनके पेट को बहार से नहीं बल्कि
अंदर से उभार प्रदान करती है
वे इस रस से अनाभिज्ञ नहीं |

किसी अन्य व्यक्ति की
मानसिक या भावनात्मक स्थिति को
समझने की असाधारण
क्षमता, पी लेना किसी के
कष्ट और पीड़ा के अनगिनत घूँट,
दूसरों के दुर्भाग्य पे दुखी होने का सौभाग्य
माँ होने की सर्वश्रेष्ठ पराकाष्ठा है
और कुदरत ने ये पद
मुझे प्रदान किया है
में एक 'तदनुभूतिक' माँ हुँ |

माँ होना एक सुखद अनुभूति है
ये शब्द परम भाव सारीख़ा है
जिन्होंने स्त्री रूप में जन्म
लिया सिर्फ उनके भाग्य में ही नहीं
बल्कि एक ऐसा गहरा सागर
जिसमें जो भी जन जितना
डूबता चलता चला गया है
उसे उतने ही मोती प्राप्त हुए हैं |

कावेरी नंदन चंद्रा 

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0