जय माँ शारदे !
बाँस की हर इक टहनी बांसुरी नहीं होती ,
आदमी की हरेक ख्वाहिश पूरी नहीं होती।
कुछ न कुछ रह ही जाता है बाकी ,
दूसरा अवसर हमें मिल पाए ताकि ,
जब तक है अधूरी आस जीवन में ,
जिन्दा होने का विश्वास है जीवन में ,
हरेक शाम जीवन की कभी सिंदूरी नहीं होती।
जब भी सारे सपने हो जाते हैं पूरे ,
जीवन के साधारण दिन लगते बुरे ,
जीवन में अगर रखना है उल्लास ,
अधूरे लक्ष्यों को रखो अपने पास ,
बिना अधूरे सपनों के जिंदगी पूरी नहीं होती।
सब के पास होता है हुनर ख़ास ,
आपको ये होना चाहिए एहसास ,
ईश्वर ने बनाया सब को अनुपम ,
ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति हो तुम ,
हंसने के लिए दुनिया की मुहर जरूरी नहीं होती।
अपूर्व "आकर्षण "