अवतार लो प्रभु
द्वापर युग में सिर्फ एक था दुश्शासन,
अब गली गली में दुशासन दुसाहसी हो गए,
सत्ता के लोभ मे कई नेता, कलयुग के दुर्योधन हो गए,
विश्वास की अंतिम न्यायमूर्ति कलयुग के गंगातनय हो गए,
हे। धर्म रक्षक पाप विनाशक अब अवतार लो.....
ये ब्रह्मा की सुंदर रचना पाप फिर से मैली हो गई,
पापियों के आतंक से घर घर द्रोप्ति लाचार हो गई,
न्याय का नाम नही सब प्यासे रक्त के हो गए,
लगी है लत माया की धर्म कर्म अब पुराने हो गए,
दिया था दर्जा जीसे मां का आपने, वह गौ माता सड़को में भटकने को मजबूर हो गई।
सुनो कान्हा। पाप से ये धरा फिर बोझिल हो गई,
कितना इंतजार और करवाओगे कान्हा अब अवतार लो......
सुनो सुदर्शन धारी करके वादा भूल गए क्या,
द्वापर युग के गीता में दिए उपदेशों को भूल गए क्या,
हर रोज होता चिर हरण नई नई द्रोपती का,
अब लाज बचाना भूल गए क्या,
डूब चुकी है वसुधा पाप के सागर में, वराह अवतार धारण करना भूल गए क्या,
बताओ ना पद्मनाभम इस धरा में अवतार लेना भूल गए क्या।
कब लोगे अवतार कान्हा कितना और समय लगाओगे,
चरम पर है पाप अब कब धरा को मुक्त कराओगे,
मिट चुका है धर्म इंसानियत का नाम नही,
कलयुग का वक्त द्वापर युग से कम पापी तो नही,
अब कितनी और मैली होगी धरा,
कब इसे पाप मुक्त करोगे,
बताओं ना पालनहार कब गीता के उपदेश को सत्य साबित करोगे,
कब अवतार ले इस धरा को पाप से मुक्त करोगे।
लेखक:- नवनीत गौतम राजस्थानी
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