Hindi Poetry | आदमी को देता पहचान

आदमी को देता पहचान हृदय जिस पर लुटाता प्राण इसके बिन बदल जाता वेश का सखि साजन? ना सखि देश।

Sep 1, 2024 - 19:20
Sep 5, 2024 - 14:35
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Hindi Poetry  | आदमी को देता पहचान
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आदमी को देता पहचान
हृदय जिस पर लुटाता प्राण
इसके बिन बदल जाता वेश
का सखि साजन? ना सखि देश।

बादल के संग गरजती है
बादल के संग चमकती है
बादल साथ बने यामिनी
का सखि पानी? न सखि दामिनी।

धरा की वो आन बान शान
परिवार का है वह सम्मान
उस बिन रुके दुनिया सारी
का सखि साड़ी? ना सखि नारी।

जिससे आदमी बने महान
इसी से मिलता है सब ज्ञान
तब जीवन न ऐसा वैसा
का सखि साजन? ना सखि पैसा।

हवा के साथ वह उड़ती है
पत्तों पर बैठ चमकती है
जिसे देख राह जाते भूल
का सखि फूल? ना सखी धूल।

मनोरमा शर्मा मनु

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