अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का प्रारंभ और औचित्य

अंतरराष्ट्रीय बनाने का ख़याल सबसे पहले क्लारा ज़ेटकिन नाम की एक महिला के ज़हन में आया था। क्लारा एक वामपंथी कार्यकर्ता थीं। वो महिलाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाती थीं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव, 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया था।

Apr 24, 2024 - 12:23
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का प्रारंभ और औचित्य
International Women's Day

सर्वविदित है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विश्व भर में प्रतिवर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं से जुड़े खास मुद्दों पर काम करना और उनके हक की बातें करना है। इस दिन विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हुए महिलाओं की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक  उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न स्थानों पर विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है । अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस या महिला दिवस, कामगारों के आंदोलन से निकला था, जिसे बाद में संयुक्त राष्ट्र ने भी सालाना जश्न के तौर पर मान्यता दी। इस दिन को ख़ास बनाने की शुरुआत आज से 115 वर्ष पहले यानी 1908 में तब हुई, जब क़रीब पंद्रह हज़ार महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक परेड निकाली। उनकी मांग थी कि महिलाओं के काम के घंटे कम हों, तनख़्वाह अच्छी मिले और महिलाओं को वोट डालने का हक़ भी मिले।

इसे अंतरराष्ट्रीय बनाने का ख़याल सबसे पहले क्लारा ज़ेटकिन नाम की एक महिला के ज़हन में आया था। क्लारा एक वामपंथी कार्यकर्ता थीं। वो महिलाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाती थीं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव, 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया था।

एक साल बाद अमरीका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का एलान किया। उस सम्मेलन में 17 देशों से आई 100 महिलाएं शामिल थीं और वो एकमत से क्लारा के इस सुझाव पर सहमत हो गईं. पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया,  डेनमार्क, जर्मनी और स्विटज़रलैंड में मनाया गया। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता 1975 में उस वक़्त मिली, जब संयुक्त राष्ट्र ने भी ये जश्न मनाना शुरू कर दिया. संयुक्त राष्ट्र ने इसके लिए पहली थीम 1996 में चुनी थी, जिसका नाम 'गुज़रे हुए वक़्त का जश्न और भविष्य की योजना बनाना' था।

महिलाओं को समर्पित इस दिन पर कुछ रंगों का विशेष महत्व है। जामुनी, हरा और सफेद अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के महत्वपूर्ण रंग है।  जामुनी रंग न्याय, गरिमा और उद्देश्य के प्रति वफादार होने का प्रतीक है। हरा रंग आशा को दर्शाता है और सफेद रंग पवित्रता का प्रतीक है।

इस खास दिन को खास बनाने के लिए इन रंगों का चुनाव 1908 में यूनाइटेड किंगडम में महिला सामाजिक और राजनीतिक संघ द्वारा किया गया था । 2024 के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम है 'महिलाओं में निवेश: प्रगति में तेजी लाना।' यह लैंगिक समानता हासिल करने और 2030 तक सभी महिलाओं को सशक्त बनाने के लक्ष्य पर केंद्रित है।

यह महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण करने और महिला प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए कारगर होगी। इस थीम के जरिए महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी पूर्ण निर्णय लेने में मदद मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का उद्देश्य समाज में, सियासत में, और आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की तरक़्क़ी है। महिलाओं को उनके हक के प्रति जागरूक करना है। पर आज भी महिलाएं अपने हक के लिए संघर्षरत हैं और अपने हक को पाने के लिए प्रयासरत हैं। धीरे-धीरे ही सही महिलाएं अब अपने सम्मान के लिए अपनी आवाज बुलंद करने लगी है :-

धीरे-धीरे.... ही सही
अब स्त्रियों को
अपनी महत्ता का
ज्ञान होने लगा है
अपने हृदय की व्यथा
का भान होने लगा है

धीरे-धीरे..... ही सही
अपनी अभिलाषाओं को
सम्मान देने लगी है
अपने सपनों को
आकार देने के लिए
आसमान को छूने लगी है

धीरे-धीरे.... ही सही
अब स्त्रियां अपने लफ्जों
को जुबां देने लगी है
अनवरत कर्तव्य पथ
पर चलते चलते
अपनी मंजिल की
तरफ बढ़ने लगी है
धीरे-धीरे..... ही सही
अब स्त्रियां अपनी
सुबह-शाम को
अपने नाम करने लगी है

सीमा चुघ

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