शहर का कब्रिस्तान और उसका रहस्य
सफ्ताह के अंत में रविवार को छुट्टी मिली उसे, उसने अपने कि सभी प्रश्नों का उत्तर जान ने और उन्हें शांत करने के लिए शनिवार को ही पूरा प्लान बना लिया था। और शाम होते ही वह पहुंच गया उस रहस्यमई कब्रिस्तान में। शुरुआत में तो सब कुछ साधारण था, कब्रिस्तान के एक किनारे पर एक छोटी सी कुटिया थी। शिवा उसी में जाकर बैठ गया और सोचने लगा कि यह पर ऐसा क्या है जो लोग इतना डरते है l
एक शहर था जिसका नाम था स्कृंतेला। वह शहर बहुत फेमस था अपनी कुशलता के लिए। सभी एक दूसरे का साथ देते थे तथा अतिथियों का भरपूर स्वागत करते थे। शहर के किनारे पर एक पुराना कब्रिस्तान था। पुराने लोगों की माने तो वह आज भी अकल्पनीय घटनाएं होती रहती थी। शहर के सभी लोग वहां जाने से कतराते थे।
इसी शहर में ही कुछ दिन पहले एक व्यक्ति का ट्रांसफर हुआ, नाम था स्काटर, वह बहुत हिम्मती था और अनजाने रहस्यों को समझने, देखने और सुलझाने में उसे बहुत अच्छा लगता था। अभी कुछ दिन इस शहर में काम किया था कि उसे पता चला उसी रहस्यमई और डरावने कब्रिस्तान के बारे में। कब्रिस्तान के बारे में सुनकर , उसे जान ने कि उत्सुकता बढ़ गई शिवा में। और वो छुट्टी का इंतजार करने लगा।
सफ्ताह के अंत में रविवार को छुट्टी मिली उसे, उसने अपने कि सभी प्रश्नों का उत्तर जान ने और उन्हें शांत करने के लिए शनिवार को ही पूरा प्लान बना लिया था। और शाम होते ही वह पहुंच गया उस रहस्यमई कब्रिस्तान में। शुरुआत में तो सब कुछ साधारण था, कब्रिस्तान के एक किनारे पर एक छोटी सी कुटिया थी। शिवा उसी में जाकर बैठ गया और सोचने लगा कि यह पर ऐसा क्या है जो लोग इतना डरते है l
अभी वह सोच ही रहा था कि कुछ हलचल हुई। शिवा एक दम से डर गया , लेकिन हिम्मत से काम लेते हुए उसने खिड़की से झांक कर देखा और देखते ही उसके पैरो से जमीन खिसक गई। वो मंजर जिसे वो सपने में भी नहीं सोच सकता था वो उसके सामने हो रहा था। लोगो ने जितना कहा था उस से भी डरावना निकला कब्रिस्तान का रहस्य।
शिवा ने देखा कि एक कब्र हिल रही है , धीरे धीरे कब्र खुलने लगी और उसने से एक भयावह मुर्दा बाहर निकलने लगा। वह पूरी तरह से बाहर निकलकर अपनी कब्र पर बैठकर रोने लगा। शिवा अभी कुछ समझ ही पाता की एक और आहट सुनाई दी, और जब शिवा ने देखा तो कांप सा गया।पास में उपस्थित कब्र भी हिल रही थी और धीरे धीरे उसने से भी एक मुर्दा बाहर आ गया और पहले से उपस्थित मुर्दे के पास आकर बैठ गया। दोनों मुर्दे आपस में खुसुर फुसुर करने लगे।
कुछ देर बाद पहले मुर्दे ने रोना बंद किए और उठा और थोड़ी दूर जाने के बाद चिल्लाया और जैसे ही चिल्लाया तीसरी कब्र भी हिलने लगी और उसने से एक मुर्दा बाहर निकल आया। पहले मुर्दे ने उसका हाथ थामा और आगे चल दिया
शिवा बुरी तरह घबरा गया था। वह सोच रहा था कि ये क्या हो रहा है। अब डर के मारे उसका बुरा हाल था , वह यह ही सोच रहा था कि कैसे बाहर जाया जाए। अभी वो सोच ही रहा था कि जहां वह बैठा था वहीं पर एक आहट सुनाई दी और वह आहट उसके पास ही आ रही थी।
अब तक शिवा की जान ही निकल रही थी , धीरे धीरे एक परछाई पास आती दिखी।शिवा छुपकर एक अलमारी के पीछे आ गया। परछाई से आवाज आती शायद हमारी बाते कोई सुन रहा है । इतना कहकर परछाई पीछे हो गई। ऐसा लगा जैसे वापस जा रही हो। कुछ देर बार आहट ख़तम हो गई। शिवा ने चैन को सांस ली और इधर उधर देखा। कोई नहीं दिखा तो बाहर आकर शिवा ने चैन की सांस ली और वहीं जमीन पर बैठकर आंख बंद करके सोचने लगा कि अब क्या होगा। अभी सोच हो रहा था कि उसे लगा कि कोई आस पास है।
जैसे ही उसने आंखे खोली, शिवा के पैरों तले जमीन गायब हो गई , जान हलक में आकर अटक गई। पास में ही एक मुर्दा बैठा था जो गुस्से से देख रहा था। यह देखकर शिवा बेहोश हो गया और जब सुबह होश आया तो वह कब्रिस्तान के गए पर पड़ा था। उस कुछ याद नहीं , बस इतना याद था कि कब्रिस्तान खतरनाक है।
एस के मिश्र
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