तुम मिलना
तुम मिलना मुझसे,जब तुम्हारे अपने इजाजत दें,
तुम मिलना मुझसे, जब सारा शहर जाग रहा हो।
जब फूल खिल चुके हो,
पंछी गीत गा रहे हो।
जब हवाएं तेजी से चल रहें हो।
और सूरज नई ऊर्जा के साथ निकला हो, अपनी यात्रा पर
तुम मिलना ऐसे जैसे हम युगों–युगों से जानते हो,
तुम मिलना जब हल्की–हल्की बारिश होने को हो।
तुम किसी पार्क या बगीचे मे नही मिलना,
तुम किसी रेस्टोरेंट या सिनेमाघर में नही मिलना,
तुम मिलना मुझे किसी चाय की दुकान पर
तुम मुझसे मिलना बस स्टैंड, या किताब की दुकान पर
तुम जब मिलने आना तो कोई फूल नही लाना,
तुम उपहार या कोई कीमती तोहफा भी नहीं लाना।
तुम जब मिलने आना तो लाना कोई अच्छी सी किताब
किताब के दूसरे बाएं पृष्ठ पर लिखना अपना नाम।
और चाहो तो कोई चित्र बना देना उस पर,
तुम मुझसे तब तक मिलने नही आना।
जब तक तुम्हारा हृदय मिलने को बेचैन ना हो।
तुम्हारा दिल जब तक तन्हाइयां न महसूस करने लगे।
तुम जब दिन में कई–कई दफा उदास रहने लगो,
तुम मिलने नही आना।
तुम अपने दोस्तों की बातों को अनसुना ना करना,
तुम जब आश्वश्त हो जाना मुझे लेकर
जब तुम्हारा दिल तुमसे ढेर सारी बातें करने लगे,
जब उसके अलावा किसी और की बातें समझ में न आएं
जब तुम दिन में कई बार बिना वजह ही मुस्कुराने लगो,
तुम मुझसे मिलने आना ।।
– अवनीश पाण्डेय "अभिलाषी" ✍
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