S4...19...की VIP यात्रा

अचानक मेरी नाक में चारों तरफ़ से उठती गुलाब और मोगरे की महक दिमाग को झकझोर देती है । अब तक इस दृश्य से रूबरू होते हुए में अपनी सीट के पास पहुँच जाता हूँ । मेरी सीट पर एक आदमी बेसुध पड़ा है । में उसे झकझोरता हूँ । आवाज़ लगाता हूँ

Mar 12, 2024 - 15:33
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S4...19...की VIP यात्रा
VIP Tour

रात के  ठीक 11 बजकर 50 मिनट पर स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर स्वराज एक्सप्रेस आकर रुकती है ।  इसी गाड़ी में मेरा रिजर्वेशन है । बड़ी मुश्किल से मेरा रिजर्वेशन VIP लग जाने के कारण कन्फर्म हो पाया है । में S4 में जैसे ही डिब्बे की सीढ़ियों पर पैर रखता हूँ । भौंच्चका रह जाता हूँ बेतरतीब यहाँ वहाँ सीट के नीचे कॉरिडोर में फ़र्श पर नींद के आग़ोश में समाए लोग....
  
अचानक मेरी नाक में चारों तरफ़ से उठती गुलाब और मोगरे की महक दिमाग को झकझोर देती है । अब तक इस दृश्य से रूबरू होते हुए में अपनी सीट के पास पहुँच जाता हूँ । मेरी सीट पर एक आदमी बेसुध पड़ा है । में उसे झकझोरता हूँ । आवाज़ लगाता हूँ बार बार इतने में इधर वो आदमी जागता है और ठीक मेरे पीछे से आवाज़ आती है साले हरामी तेरा गला काट दूँगा । दो औरतों के बुरी तरह चीत्कारने का शोर कानों को फोड़े जा रहा है । वो आदमी मुझस पूछता है क्या हुआ....में उससे बोलता हूँ ये मेरी सीट है यहाँ से हट जाओ । 

अब उसके हटने के बाद में जैसे ही सीट पर बैठता हूँ तो में उस डिब्बे के हर एक दृश्य को गौर से देखता हूँ तो सारा माज़रा समझ आता है । दरअसल जो लोग डिब्बे में इधर उधर पड़े हैं उनमें से दो चार की टी शर्ट पर किसी सेवा समिति का नाम जड़ा हुआ देख समझ आता है कि इनके चंदे की धूल उड़ा दी है समिति ने और इन्हें पूरी तरह से लड़ाई में झोंक दिया है । इसके बाद भारतीय रेल के अनुकरणीय प्रयासों के कारण दो महिलाओं को एक ही सीट अलॉट हो जाने से वो जो चित्कारने कि डरावनी आवाजें आ रही हैं वो उनके बीच चुटिया खींच युद्ध का नज़ारा है और वो जो एक दूसरे का गला काट रहे थे ऐसी तैसी करवा कर एक ही सीट पर सिकुड़ कर बैठे थे ।  में अपने ठीक सामने देखता हूँ कि नीचे वाली सीट पर किसी तहसील स्तरीय फ़ुटबाल मैच में जीतकर सम्मानित हुई टीम के चार खिलाड़ी गले में स्वागत वाली माला डाले बैठे हैं । वो जो फूलों की रहस्यमयी खुशबू थी वो यहीं से आ रही थी । 

इन सबके बीच जैसे ही कोई यात्री लघुशंका या दीर्घशंका के लिये उठता तो रातभर ये क्रम चलता रहा कि उसकी सीट को कब्जाने के लिये कोई आतंकी हमला होने वाला है । कई लोग तो बेचारे अपर्याप्त सुरक्षा के कारण जा ही नही पाये । उधर इक्का दुक्का किसी ने लाइट बन्द करने का जब भी असफ़ल प्रयास किया तो जब उसने एक बन्द की तो दूसरे ने दो चालू कर दी । हाल ये रहा कि उधर नींद आँखें मलती रही इधर लाइट जलती रही । सारी रात डिब्बे में जर्दा माँगने का कारोबार चला । बाथरूम में छुप छुपके बीड़ी सिगरेट चली । उस पे दो सिपहिये आकर रातभर लोगों से लानत मलानत करते रहे । सारी व्यवस्था धराशाई होते देखता रहा । और हाँ दोनो बाथरूम की छत से टपकता पानी सारे माहौल को नितांत प्रासंगिक बनाता रहा ।

 इस यात्रा में जो कुछ देखा बहुत ही भयावह था सोचा आप सबसे साझा करूँ । 

चंद्रशेखर त्रिशूल 

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