नारी

नारी दुर्गा रूप को ,अबला कहे समाज। पहना कर फिर बेड़ियां,निर्बल करता आज ।

Apr 25, 2024 - 12:37
 0  23
नारी
Woman

वनिता ,नव्या ,नंदिनी, निपुणा बुद्धि विवेक ।
शिवा,शक्ति अरु अर्पिता ,नारी रूप अनेक ।
नारी रूप अनेक, रहे अविरल सम सरिता ।
सकल जगत का मान,सृजनकारी है वनिता ।
**
नारी दुर्गा रूप को ,अबला कहे समाज।
पहना कर फिर बेड़ियां,निर्बल करता आज ।
निर्बल करता आज,बनो मत अब बेचारी 
अपनी रक्षा आप ,सदा तुम करना नारी।।
**
सहना मत अन्याय को,इससे बड़ा न पाप।
लो अपना अधिकार तुम,छोड़ो अपनी छाप ।
छोड़ो अपनी छाप  ,यही है उत्तम गहना ।,
मत करना अब पाप,कभी मत इसको सहना ।
**
सरिता सम नारी रही,अविरल रहा प्रवाह।
जन्म मरण दो ठौर की ,बनती रहीं गवाह ।
बनती रहीं गवाह,इन्हीं से जीवन कविता ।
सदा करें सम्मान ,रहे निर्मल ये सरिता ।
**
नारी तुम हो श्रेस्ठतम,तुम जीवन आधार ।
एक दिवस में तुम बँधी,माँगों क्यों अधिकार।
माँगों क्यों अधिकार,निभाओ भागीदारी ।
परम सत्य ये बात ,रहे पूरक नर नारी।

अनिता सुधीर आख्या

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow