अरे, ओ फागुन

युगों -युगों से भीगी नहीं बसंती चोली  रही सदा ही सूनी -सूनी मेरी होली 

Apr 25, 2024 - 13:27
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अरे, ओ फागुन
hey oh fagun

अब की बार अरे ओ फागुन ! 
मन का आँगन रंग -रंग कर जाना 

युगों -युगों से भीगी नहीं बसंती चोली 
रही सदा ही सूनी -सूनी मेरी होली 
पुलकन -सिहरन अंग -अंग भर जाना।

अजब हवा है , मन के मौसम बहक रहे हैं 
दावानल - सम अधर पलाशी दहक रहे हैं 
बरसा कर रति-- रंग , दंग कर जाना। 

बरसों बाद प्रवासी प्रियतम , घर आयेंगे 
मेरे बिरही नैन लजाते सकुचाएंगे 
तू पलकों में मिलन -भंग भर जाना। 
अब की बार अरे ओ फागुन 
मन का आँगन रंग -रंग कर जाना 

कृष्णा कुमारी 

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