हमसफर
आंधी तूफान चलती है साथ साथ, पर कर नही पाती
मैं और तुम,
हमसफर तो है जरूर,
पर, उन रेल की पटरियों की तरह,
जो धूप छांव
आंधी तूफान चलती है साथ साथ,
पर कर नही पाती
आपस मे दिल की बात,
एक बंध से जुड़े रहने पर
समांतर ही सही
पर दृढ़ता से टिके रहते है
मजबूती से एक दूसरे से
जुड़े रहते है
बहुत करीब होने पर भी
एक निश्चित दूरी बनाए रहते है,
न जाने कितने लोगो का बोझ उठाए ,
ऊपर से अपने गुजरने देते है,
हम दब कर चुप रह कर
घर्षण सह कर , कुचले जाने पर भी
उनका सफर हसीन बना देते है
उन्हें मंजिलों तक पहुंचा देते है,
फिर,
वही धूप छांव ,
आंधी तूफान सहते ,
एक बियावन ,बीहड़ में चुप चाप,अकेले
खड़े रह जाते है।
और अपने ऊपर से अगली रेलगाड़ी के
गुजरने का इंतजार करते है
डॉ दिनेश शर्मा
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