वैष्णो देवी यात्रा वृतांत...!!
Maa Vaishno Devi Temple, nestled in the Trikuta Mountains near Jammu, is one of India’s most sacred pilgrimage sites. The holy cave enshrines the three divine forms — Mahakali, Mahalakshmi, and Mahasaraswati. This article explores the mystical legend of Pandit Shridhar, the slaying of Bhairavnath, and the spiritual experience of the Vaishno Devi Yatra that fills every devotee with faith and divine peace.नवरात्रों में मां भगवती उनकी भक्ति पर प्रसन्न होकर उनकी छोटी सी कुटिया में एक दिव्य सुंदर कन्या रूप में आ कर उनको मां का भंडारा करने का आदेश दिया! माता की कृपा से भंडारा आयोजित किया गया और बाबा भैरवनाथ अपने शिष्यों के साथ भंडारे में आए! बाबा भैरवनाथ एक सिद्ध नाथ थे उन्होनें भंडारे की सच्चाई को अपने अंतर्मन में जान लिया परंतु लौकिक लीला के कारण उन्होनें मां भगवती का पीछा करते हुए वैष्णो देवी गुफा द्वार तक पहुंच गया.....!!
जम्मू शहर के समीप स्थित कटरा शहर जहां त्रिकुटा पर्वत की पावन पवित्र गुफा में जगत जननी मां भगवती वैष्णो देवी पिण्डी रूप में युगों युगों से विराजमान है! पावन पवित्र गुफा में महाकाली, महालक्ष्मी एवम महासरस्वती तीनों शक्तियां पिण्डी रूप में विराजमान है! मां वैष्णो देवी की यह गुफा अति प्राचीन और प्राकृतिक रूप से निर्मित है! गुफा द्वार अति सुन्दर है और अगर हम द्वार को ध्यान से देखते है तो वहां शेर का मुख एवम सामने एक पगथली साफ दिखाई देती है; जो एक गूढ़ रहस्य अपने आप में समेटे हुए है......!!
प्राचीन गुफा लगभग ९८ फीट लंबी है और फिर भीतर एक कोने में छोटा सा प्राकृतिक चबूतरा बना हुआ है; जहां तीनों शक्तियां तीन पिंडी रूप में विराजमान है! चबूतरे के समीप में शीतल जल धारा कलकल ध्वनि करते हुए गंगा, मां के चरणों को छूती हुई बहती है! गुफा के भीतर अनेक प्रकार के पौराणिक चित्र अंकित है उदाहरण के तौर पर जैसे मुख्य द्वार पर भैरव की देह, गणेश जी एवम हनुमान जी की विग्रह, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, पांचों पांडव, शेषनाग इस तरह के अलौकिक चिन्ह गुफा के भीतर अंकित है.....!!
पंडित श्रीधर और मां वैष्णो देवी.....
आज से करीबन ७०० सालों अधिक समय पहले कटरा के समीप एक छोटा सा गांव जिसका नाम भंसाली है, जहां मां भगवती के परम भक्त पंडित श्रीधर जी रहा करते थे और वो तन्मय भाव विभोर होकर मां की भक्ति किया करते थे! शादी के बारह वर्ष बीत चुके थे परंतु उनको कोई संतान नहीं हुई थी! एक बार नवरात्रों में मां भगवती उनकी भक्ति पर प्रसन्न होकर उनकी छोटी सी कुटिया में एक दिव्य सुंदर कन्या रूप में आ कर उनको मां का भंडारा करने का आदेश दिया! माता की कृपा से भंडारा आयोजित किया गया और बाबा भैरवनाथ अपने शिष्यों के साथ भंडारे में आए! बाबा भैरवनाथ एक सिद्ध नाथ थे उन्होनें भंडारे की सच्चाई को अपने अंतर्मन में जान लिया परंतु लौकिक लीला के कारण उन्होनें मां भगवती का पीछा करते हुए वैष्णो देवी गुफा द्वार तक पहुंच गया.....!!
मां भगवती ने बाबा भैरवनाथ का वध किया और उनकी देह आज पाषाण रूप में मुख्य गुफा द्वार पर है, जिन्हें लांघ कर गुफा के भीतर प्रवेश करना होता है और अलग दूसरी पर्वत चोटी पर भैरवनाथ का सिर है, जो आज भैरव घाटी के नाम से विख्यात है......!!
कटरा बाजार स्थित चौक है वहीं से आगे की ओर रास्ता जाता है, जहां से आगे यात्रा का प्रथम पड़ाव बाण गंगा आता है और आगे चढ़ाई चढ़ने पर चरण पादुका मंदिर आता है! यात्रा के मध्य में गर्भ गुफा मंदिर आता है और फिर आगे की चढ़ाई शुरू हो जाती है जो थोड़ी कठिन है......!!
जैसे जैसे चढ़ाई ऊंची चढ़ती जायेगी ठंडी हवा तन मन को प्रसन्नता प्रदान करती है! रास्ते में कपिराज (वानर) बाहुल्य संख्या में मिलते है जो यात्रियों के हाथों से प्रसाद की थैलियां छीन कर ले जाते है और उनकी कलाबाजियों, किलकारियों से आनंद आता है खासकर बच्चों को......!!
मैनें मेरे जीवन में कई बार वैष्णो देवी की यात्रा की है और हर यात्रा में एक नया अनुभव, नई शक्ति और एक नया साहस जीवन में मुझे मिला है! वैष्णो देवी धाम यात्रा बड़ी सुखद, सुहानी और मनलुभावनी वाली यात्रा होती है; जहां से पुन: न लौटने की व्याकुलता मन में रहती है, मन करता है कि यहीं पर बस जाए मां के चरणों में......!!
जब भी पुन: लौटता हूं तब मुड़ मुड़ कर त्रिकुटा पर्वत को देखते रहता हूं और आंखों में नमी छाई हुई रहती है और अश्रु बहने लग जाते है, जी नहीं करता है वापिस घर आने को! मन में कल्पनाएं दौड़ लगाती रहती है कि काश यहीं कहीं किसी गांव में मेरा जन्म हुआ होता तो कितना अच्छा होता; क्योंकि त्रिकुटा पर्वत है ही ऐसा लुभावना की हर कोई बरबस खींचा चला आता है......!!
रात्रि को विद्युत प्रकाश से त्रिकुटा पर्वत स्थित मां की गुफा सफेद रोशनी से जगमगा उठती है! दूधिया सफेद रोशनी मन को खींच लेती है और ऐसा प्रतित होता है कि हम धरती से स्वर्ग लोक में आ गए है! दरबार में शीतल हवा, शांत वातावरण के बीच लाउड स्पीकर से आती हुई मां भगवती के सुंदर भजनों एवम आरती, श्लोक सच में तन मन को असीम शांति प्रदान करता है......!!
प्राचीन गुफा के मुख्य द्वार के सामने एक आंगन है जहां यात्रीगण पर्ची कटवा कर सुबह शाम की आरती में शामिल होते है! इस आरती में बैठने का मुझे भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था! पंडितजी द्वारा पुराणिक कथाओं का सुनाना और फिर अंत में आरती होना.... यह पल अपने आप में एक बहुत बड़ा पल है और उस वक्त यात्रीगण संसार से पूर्णत: विमुक्त हो जाते है और खो जाते है मां भगवती के चरणों में......!! मैं तो यहीं कहना चाहूंगा कि हर किसी मनुष्य को वैष्णो देवी धाम यात्रा पर अवश्य जाना चाहिए और यदि संभव हो तो हर वर्ष जाना चाहिए! मां के दरबार में वो ही जा सकते है जिनको वो चला कर बुलावा भेजती है और जिनको वो बुलावा भेजती है सचमुच में वो इंसान बड़ा ही भाग्यशाली है.......!!
वैष्णो देवी धाम एक ऐसा धाम है जहां बंद पड़े भाग्य खुलते है और बिगड़ी बनती है; क्योंकि वो भाग्य और बिगड़ी बनाने वाली मां है.......!!
पवन सुरोलिया "उपासक
वलसाड, गुजरात
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