श्रीलंका की विदेश यात्रा

तभी विमान परिचारिकायें- सजी संवरी-आकर्षक मुद्रा में मुस्कराती हुई ब्रेकफास्ट लेकर आ गईं- स्वादिष्ट नाश्ता- आलू का परांठा- आलू मटर टमाटर की सब्जी, गोभी मटर का कीमा- श्री खंड और प्रâूट सलाद- पपीता और अनन्नास- आनंद आगया। सच तो ये है कि हर क्षण में आनंद है यदि आप महसूस करें अन्यथा दुखों की तो कोई सीमा नहींr- ये मानव मन तो इतना दुष्ट है कि सुख में भी दुख की खोज कर लेता है। विशाल सागर के ऊपर विमान अब उड़ रहा था, सागर की लहरें हल्की सी दृष्टिगोचर हो रही थी। अब विमान श्री लंका की धरती पर उतरने वाला है। मैं तो धन्य हो गई देखकर-

Jun 5, 2025 - 14:08
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श्रीलंका की विदेश यात्रा
Sri Lankan foreign trip
यात्रा- असीम और अनंत- चाहे जीवन यात्रा हो या अनंत लोक की सब अनन्य और असीम हैं।
यात्रा का कोई अंत नहींr। एक खत्म तो दूसरी शुरु। हम कितना आनंद उठा पाते हैं उस यात्रा का- ये हमारे संग पर निर्भर करता है। मेरी श्री लंका की यात्रा के साथी- मेरी बेटी दामाद और दोनों धेवते-  बहुत ही प्रेमी- ख्याल रखने वाले- पहले से पहले हर चीज की व्यवस्था करना- मन गदगद हो उठता बच्चों का स्नेह देखकर और ऐसे ही प्रारंभ हुई श्री लंका की यात्रा- श्री लंकन एयरवेज से- शुरु हुई प्रातः ५.३० पर- सीट बहुत आराम दायक आगे ही थी कार्नर की जिससे की बाहर का विहंगम दृश्य दिखाई दे।
विमान उड़ा और थोड़ी देर के पश्चात मैंने बाहर देखा तो भोर का अप्रतिम दृश्य- अरुणोदय होचुका था और सूर्य की लालिमा चहुँओर दृष्टिगोचर हो रही थी- मन आनंदित हो उठा- लो बाल रवि उदय हो गए अपनी अद्भुत रश्मियों के साथ- ऐसा दृश्य मैंने अपने जीवन में आज तक नही देखा था- पूर्ण प्रकाशित आग को गोला दहकता हुआ निकल आया हो- आँखे चकाचौंध हो गई मेरी- मुझे ऐसे दृश्य निहारना बहुत अच्छा लगता है। असहनीय प्रचंड प्रकाश सूर्य देव का- नमन है हे मार्तंड तुम्हें-  मेरा नमन स्वीकार करो।
तभी विमान परिचारिकायें- सजी संवरी-आकर्षक मुद्रा में मुस्कराती हुई ब्रेकफास्ट लेकर आ गईं- स्वादिष्ट नाश्ता- आलू का परांठा- आलू मटर टमाटर की सब्जी, गोभी मटर का कीमा- श्री खंड और प्रâूट सलाद- पपीता और अनन्नास- आनंद आगया। सच तो ये है कि हर क्षण में आनंद है यदि आप महसूस करें अन्यथा दुखों की तो कोई सीमा नहींr- ये मानव मन तो इतना दुष्ट है कि सुख में भी दुख की खोज कर लेता है।
विशाल सागर के ऊपर विमान अब उड़ रहा था, सागर की लहरें हल्की सी दृष्टिगोचर हो रही थी। अब विमान श्री लंका की धरती पर उतरने वाला है। मैं तो धन्य हो गई देखकर-
`हमारे श्रीराम ने जिस धरती पर अपने पावन पग डारे थे,
जगजननी सीते को बचाने के लिए सगरे असुर संहारे थे।
रावण कुल का संहार किया उद्धार किया, 
उसके सब कुल को तार दिया।।'
जय श्रीराम 
और हमारा विमान पर उतर गया। वहाँ से टैम्पो ट्रैवलर से हम लोग सीधे  और वहाँ माया नदी पर हाथियों का झुंड नहाता मस्ती करता दिखाई दिया- बहुत ही आनंद आया- वहीं नदी के किनारे रेस्टोरेंट में वहीं कई डिश खाई- कोट्टम नूडल्स- स्वादिष्ट थी। फिर गाड़ी से सब लोग कैंडी स्थित पाँच सितारा होटल  पहुँचे। पहुँचते ही चाय मिली- बहुत बढ़िया। हिल पर है यह होटल- वहाँ से पर्वत श्रृंखलायें बहुत मनोरम नजर आ रही थी। रूम से नारियल के वृक्षों की कतारें मन को लुभा रहीं थीं। फिर डिनर के लिए मनीष जी के मित्र अशोक जी के पास सिनेमन होटल पहुँचे। वहाँ सूप समोसा खाया और फिर बुफे डिनर  किया और फिर अपने होट आये- चाय पी और आराम से सोये।
२४ तारीख:
सुबह सात बजे उठकर तैयार होकर बाहर का सुंदर नजारा देखा-ऊँची पर्वत श्रृंखलायें सूर्य के प्रकाश में मुखरित हो उठी थीं- मनोरम दृश्य। फिर आठ बजे ब्रेकफास्ट किया- सब्जी पूड़ी, नारियल की कढ़ी, ब्रेड बटर चाय, आरेंज जूस और पपाया जूस- वाह आनंद आ गया।
नाश्ता करके हम सब सीता एलिया के लिए निकले- होटल से चार घंटे का रास्ता था- ऊंचाई पर थी ये जगह- ठंडी भी थी- रास्ते में बहुत टी गार्डन थे- कतार में लगे चाय के हरे पौधे बड़े ही सुन्दर लग रहे थे- रास्ते में अनेक झरने बह रहे थे- मनोरम दृश्य- ऊपर से नीचे बहती हुई जल धाराएं वैसे भी बहुत आकर्षित करती हैं। 
फिर अंततोगत्वा हमारा निर्दिष्ट स्थल अशोक वाटिका का दुर्लभ स्थल आ गया। श्री राम दरबार के भव्य दर्शन- हनुमान जी की मोहक मूर्ति- मन गदगद हो गया। अंदर जाने के लिए सौ रुपए का टिकट था। अंदर भव्य मंदिर और भव्य दर्शन श्री राम लक्ष्मण सीता के। वहाँ आरती और प्रसाद सांबर चावल का- मन तृप्त हो गया खाकर। तत्पश्चात हम सीढ़ियों से नीचे उतरकर माता जानकी जहाँ अशोक वाटिका में रही थीं वहाँ पहुँच गए। वो स्थल दर्शनीय था। वहीं पर हनुमान लला का विशाल घुटने के चिह्न हैं- प्रणाम किया- ऐसे दर्शन अब कहाँ होगे। माँ सीते की कृपा से ही मुझे दर्शन हो गए। धन्य भाग्य हमारे जो दर्शन पाये तुम्हारे मैया। फिर आयुष का हाथ पकड़कर ऊपर आयी। बाहर फिर मंदिर के मुख्य द्वार पर फोटो खिंचवाया सबने- इसलिए सभी ने आरेंज कलर की टीशर्ट पहनी। लगता था सनातन लहरा गया।
फिर वहाँ से चले और रास्ते में चाय नाश्ता करते हुए हम टूथ टैम्पिल गए। बहुत विशाल मंदिर भगवान बुद्ध के दाँत के अवशेष समाये। कमल के पुष्प की डलिया भगवान बुद्ध को अर्पित करी शालिनी ने। फिर लौटकर नौ बजे होटल टोपाज पहुँच कर गाला डिनर किया और शयन किया। अगले दिन सुबह पाँच बजे का अलार्म लगाया।
२५ दिसंबर- हैप्पी क्रिसमस 
सुबह ५.४५ पर उठकर तैयार हो गए। चाय पी। ७.३० पर नाश्ता किया। आठ बजे यात्रा बैंटोटा के लिए यात्रा शुरु हुई। रास्ते में एक रैस्ट्रा में चाय और दाल बडा खाया। और फिर चल पड़े- गाड़ी में पुराने संगीत का आनंद लिया- बच्चों ने खूब मजा किया।
श्रीलंका में बौद्ध धर्म का काफी प्रचार है, जगह जगह भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमाएं हैं- ऊंची पहाड़ी पर भी विशाल बुद्ध प्रतिमा सुशोभित है जो दूर से ही दिखाई देती है- चहुँओर प्रकृति अपने पूर्ण सौंदर्य में दिखाई देती है शायद सीते माता जो प्रकृति का ही अभिरूप हैं- वहाँ पर रहीं और चारों ओर प्राकृतिक सुषमा विकीर्ण होगई। 
श्रीलंका में सड़कें ठीक-ठीक है- कैंडी से बैंटोटा का हाई वे बढ़िया था। मांडू रिवर में बोट में बैठे। वहाँ करीब सौ आयरलैंड हैं।
हमने सिनेमन ट्री देखे। सिनेमन छिलते हुए देखा। तेल बनते देखा। फिर फिश से पैरों की मसाज हुयी- बड़ी गुदगुदी महसूस हुई लेकिन पैर बिल्कुल साफ हो गए- फिर मगरमच्छ आयरलैंड गए- वहाँ पर एक साल के मगरमच्छ के बच्चे के साथ सबने पिक खिचाई। अलग अनुभव था। फिर लौटकर वापिस होटल के लिए रवाना हुए। हम म्ग्ूrल्े प्दूात् पहुँचे-हमारा रूम सागर के सामने था या यूँ कहो कि हम बैठे अपने सामने सागर को तरंगित होते देख रहे थे- सागर की लहरों का नर्तन- अद्भुत - अप्रतिम-फेनेल लहरें- अनिंद्य सौन्दर्य की स्वामिनी। 
फिर डिनर किया- शानदार- ेद स्aहब् न्arगूगे- और फिर अपने रूम में आकर विश्राम किया- बहुत थक गए थे।
२६ तारीख:
सुबह आराम से सात बजे उठना हुआ। चाय पीकर नहाना हुआ और फिर कमरे के बाहर बैठकर लहरों का आनंद लिया। होटल में ही नाश्ता हुआ। फिर समुद्र तट पर लहरों का आनंद उठाया। रूम पर विश्राम किया और दो बजे बाहर लंच किया और मार्केट घूमे। परचेज कुछ नहीं किया और फिर होटल वापिस आकर आराम किया। इस दिन बस बीच पर गये और कहीं नहींr फिर शाम को भी लहरों का आनंद लिया- रात्रिभोज किया और मैं तो कमरे पर आ गई- बच्चे थोड़ी देर से आए। 
२७ तारीख:
सुबह नहाकर मैंने बाहर सागर की लहरों का अप्रतिम नजारा देखा- कुछ भाव उठे मन में वो शब्दों में उकेरे। मेरे मन को लुभा गई इठलाती लहरें। बहुत देर निर्निमेष दृष्टि से देखती रही मैं उनका सौंदर्य। फिर नाश्ता करने चले गए होटल के बुफे में। वहाँ मराठी डिश होकर खाई- बढ़िया थी। फिर सामान पैक करके १०.३० पर हम कोलंबो के लिए निकले। १२ बजे हम कोलंबो पहुँच गए। बहुत सुन्दर शहर- लंका की राजधानी- बहुत ऊँची ऊँची बिल्डिंग्स। पाश जगह है कोलंबो। सामने ही समुद्र तरंगित होता हुआ। हम मार्केट गए और वहाँ से काली मिर्च, दालचीनी ली फिर सुपर मार्केट से श्रीलंका की फेमस चाय खरीदी और वहाँ मार्केट में लंच लिया। करीब चार पाँच बज गए थे- घूमते-घूमते- बहुत भव्य है कोलंबो- प्राचीन बिल्डिंग भी हैं और बिल्डिंग बहुत ऊँची है- ४०,४५ फ्लोर तक की हैं। हमारा होटल रैडिसन होटल था- बिल्कुल समुद्र से सटा या यूँ कहो कि समुद्र के बीच- लहरें जैसे छू रही हों होटल को- वहीं से डूबते सूरज को पुन: देखा। फिर चाय पी और लेट गए। बहुत थक गई थी मैं सो गई और उठी तो नौ बज गए थे फिर सभी ने कमरे पर ही खाना मंगा लिया।
सब मिला-जुलाकर पूरा दिन बहुत बढ़िया निकला- कोलंबो में लोटस टावर है जो कि रिवोल्विंग होटल है- वहाँ से पूरा कोलंबो दिखाई देता है।
२८ तारीख:
सुबह ६ बजे उठकर सागर दर्शन हुए- प्रातःकाल में समुद्र देव के दर्शन- धन्य हो गया मन- दूर तक देखो तो नितान्त शांत दिखाई दिया सागर पर पास आती शोर मचाती लहरें- मन को आनंदित करजाती हैं। फिर स्नान कर सामान पैक किया और नाश्ते के लिए गये। बहुत ही स्वादिष्ट नाश्ता था- तरह तरह की डिशेज। बस फिर होटल से हम लोग टैम्पो ट्रैवलर में बैठकर एयरपोर्ट के लिए रवाना होगए। इस श्रीलंका के सफर में गाइड तिलान बहुत अच्छे थे- सभी चीजें अच्छे से बताई और व्यवहार भी मधुर था। हमारी दो बजे दोपहर की फ्लाइट थी श्री लंकन एयरवेज। आराम से बैठ गए। हर सीट पर टीवी था। आनंद आ गया। लौटने में विमान परिचारिकायें साँवली सलोनी आकर्षक थीं।
इस विदेश यात्रा का सारा श्रेय प्रिय मानव मंत्री को जाता है- बहुत बहुत आशीर्वाद बेटा। प्रिय शालिनी मनीष जी सबके सौजन्य से यात्रा बहुत आनन्दमय और अविस्मरणीय रही।।
डॉ. आभा माहेश्वरी
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश

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