बदलाव

‘हां ... हां ...  अपने गांव में ही है, फिल्म मे देखा गांव तो बीस-पच्चीस साल पहले की बात है। अपने गांव के पास से हाईवे निकला तब से मायने बदल गए...। अब यहां उद्योग धंधे बढ़ रहे हैं, फेक्ट्रियां लग रही हैं.’’ शिव बेटी को समझा रहा था कि अचानक ‘‘धड़ाम’’ की आवाज आई, धूल का गुबार उठा तो बेटी डरकर पापा के चिपक गई।

Jun 2, 2025 - 16:12
 0  0
बदलाव
shift

जब से बेटी ने ग्रामीण परिवेश पर डॉक्यूमेण्ट्री फिल्म देखी, वह गांव चलने की जिद कर रही थी। रास्ते में वह अपने पापा और मम्मी से गांव के बारे में ही बातें करती आ रही थी। शिव को भी अपने गांव गये ५-७ वर्ष हो गए थे, अंतिम बार वह पिताजी की मृत्यु के समय ही आया था। ५-६ घण्टे कार ड्राईव कर वह दोपहर बाद गांव पहुंचा। ‘‘लो बेटी, उतरो वह सामने वाला घर अपना है।’’ मुख्य रोड़ पर अपना पुश्तेनी घर देख, पहली बार गांव आई बेटी कोतूहलवश चारों तरफ देखने लगी। कुछ देर बाद आश्चर्य से बोली- ‘‘पापा, ये बड़े-बडे मकान, लम्बा-चौड़ा मार्केट, मोबाईल टावर और वो देखो सीनियर हायर सेकण्डरी स्कूल को बोर्ड...। डॉक्यूमेण्ट्री फिल्म में तो... कच्चे घर, गाय-भैंसे, चारों तरफ हरियाली, तालाब, बड़े-बड़े दरखत...। लोगो का पहनावा भी डॉक्युमेंट्री फिल्म जैसा नहीं है ....। वो देखो उन लड़को ने जिन्स-टीशर्ट पहनी है। एक भी महिला घूंघट में नहीं है... बाप रे कितने वाहन निकल रहे हैं कार-बाईक। क्या वाकई हम गांव आये हैं?’’
‘‘हां ... हां ...  अपने गांव में ही है, फिल्म मे देखा गांव तो बीस-पच्चीस साल पहले की बात है। अपने गांव के पास से हाईवे निकला तब से मायने बदल गए...। अब यहां उद्योग धंधे बढ़ रहे हैं, फेक्ट्रियां लग रही हैं.’’ शिव बेटी को समझा रहा था कि अचानक ‘‘धड़ाम’’ की आवाज आई, धूल का गुबार उठा तो बेटी डरकर पापा के चिपक गई। कुछ मिनटों में धूल का गुबार हटा तो पास खड़े एक व्यक्ति ने बताया- ‘‘डरो नहीं बेटी, वो तो पीपल का बडा पे़ड़ नई फेक्ट्री के लिए रुकावट पैदा कर रहा था, उसे काटा गया है, इसलिए...। ‘‘पापा देख लिया गांव.. चलो वापस चलते हैं... प्लीज। 

अनिल कुमार जैन
सवाई माधोपुर (राजस्थान)

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0