पास बैठो

बैठो न पास जरा-सी देर  कि देख पाऊं तुम्हारी  आंखों में अपनी परछाईं।

Jun 14, 2025 - 15:34
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बैठो न पास जरा-सी देर 
कि देख पाऊं तुम्हारी 
आंखों में अपनी परछाईं।

बैठो न पास जरा-सी देर 
कि निहारूं तुम्हें दो पल
मूरत सी बनी हुई शांत।

बैठो न पास जरा-सी देर 
कि भर पाऊं सांसों में 
तुम्हारा थिरकता स्पंदन।

बैठो न पास जरा-सी देर 
कि सज-धज जाऊं मैं 
प्रेम के अनूठे सिंगार से।

राजीव रंजन सहाय
देवघर, झारखंड

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