वेद और विज्ञान का परस्पर अन्तः सम्बन्ध

This article explores the deep connection between the Vedas and modern science. The Vedas are not just spiritual texts but a vast source of knowledge in mathematics, astronomy, medicine, acoustics, ecology, and energy. Both Vedas and science share the same goal – the pursuit of truth and the betterment of life.वेद और विज्ञान के ज्ञान की एकता को प्रस्तुत करना हम सभी शिक्षकों का प्रथम कर्तव्य बन जाता है यह लेख हमें सिखाता है कि चाहे वह पूर्व का वेद हो या पश्चिम का विज्ञान, सच्चा ज्ञान सीमाओं में नहीं बँधता। यह दोनों के संवाद और सहयोग की आवश्यकता को दर्शाता है। वेदों को केवल धार्मिक ग्रन्थ न मानकर, एक प्राचीन वैज्ञानिक ग्रन्थ के रूप में भी देखा जाना चाहिए।'

Oct 23, 2025 - 14:13
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वेद और विज्ञान का परस्पर अन्तः सम्बन्ध
Interrelationship between Vedas and Science

`वेद' शब्द संस्कृत की `विद्' धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है – जानना या ज्ञान। वेद प्राचीन भारत के सबसे पुराने और पवित्र ग्रंथ हैं, जिन्हें श्रुति कहा जाता है-अर्थात् जो सुने गए थे (ऋषियों द्वारा ध्यान या समाधि में प्राप्त ज्ञान)। वेद चार हैं
 ऋग्वेद  सबसे प्राचीन वेद है। इसमें १,०२८ सूक्त (मंत्र) हैं, जो देवताओं की स्तुति में हैं। मुख्य देवता: अग्नि, इंद्र, वरुण, सोम, सूर्य आदि। यह वेद ज्ञान और स्तुति प्रधान है। इसमें प्रकृति, खगोल, जीवन, मृत्यु आदि विषयों पर भी संकेत मिलते हैं।
 यजुर्वेद- यह यज्ञों (हवन व बलिदान) से संबंधित वेद है। इसमें यज्ञ के दौरान बोले जाने वाले मंत्रों और क्रियाओं का विवरण है। दो प्रकार के यजुर्वेद हैं पहला है कृष्ण यजुर्वेद (अव्यवस्थित) है शुक्ल यजुर्वेद (व्यवस्थित) यह कर्मकांड और अनुष्ठान प्रधान वेद है। सामवेद-यह संगीत और गायन प्रधान वेद है। इसके मंत्रों का प्रयोग यज्ञों में गाकर किया जाता है। इसमें ऋग्वेद के कई मंत्रों को संगीतबद्ध किया गया है। यह ध्वनि विज्ञान, संगीत शास्त्र और मन की एकाग्रता से जुड़ा हुआ है।
अथर्ववेद - यह वेद जीवन के व्यावहारिक और रहस्यमय पहलुओं को समेटे हुए है। इसमें चिकित्सा, तंत्र-मंत्र, ग्रह-नक्षत्रों, भूत-प्रेत, औषधि विज्ञान आदि विषयों का वर्णन है। यह जनजीवन, सुरक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी विधाओं को समेटे हुए है।
आइए अब `विज्ञान का सामान्य अर्थ और उद्देश्य' को विस्तार से समझने की कोशिश कर रहा हूं
विज्ञान का सामान्य अर्थ है `विज्ञान' शब्द संस्कृत की `विज् + ज्ञान' धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है- `विशेष ज्ञान' या `सुनिश्चित और प्रमाणित ज्ञान'। सरल शब्दों में हम कहें तो विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान है जो तर्क, निरीक्षण (Observation),प्रयोग(Experiment), और विश्लेषण (Analysis) के माध्यम से प्राप्त किया जाता है ऐसा मैं समझता हूं।

विज्ञान का उद्देश्य(Purpose of Science)

१.प्रकृति और ब्रह्मांड के नियमों को समझना।
२.वस्तुओं, जीवों और घटनाओं के कारण-प्रभाव को जानना।
३.मनुष्य के जीवन को सरल,सुरक्षित और सुविधाजनक बनाना।
४.नई-नई खोजों और आविष्कारों द्वारा समाज का विकास करना।
५.अंधविश्वास और अज्ञानता को हटाना।
उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं – 

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण 

वर्षा-जल चक्र, वाष्पीकरण, संघनन।  अग्नि-रासायनिक अभिक्रिया।
रोग-बैक्टीरिया, वायरस, प्रतिरक्षा तंत्र। ग्रह-नक्षत्र-गुरुत्वाकर्षण, कक्षा, गति के नियम। 
विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, यह हमारे हर रोज़ के जीवन से जुड़ा हुआ है-जैसे मोबाइल, इंटरनेट, दवा, यातायात, मौसम, ऊर्जा आदि। इसका मुख्य उद्देश्य सत्य की खोज करना और जीवन को बेहतर बनाना है। लेख का उद्देश्य वेदों और विज्ञान के अंतर्संबंध की खोज करना इस लेख का उद्देश्य है वेदों में निहित वैज्ञानिक ज्ञान को उजागर करना वेद केवल धार्मिक या आध्यात्मिक ग्रंथ नहीं हैं, उनमें गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा, पर्यावरण विज्ञान, ध्वनि विज्ञान आदि से संबंधित अनेक सिद्धांत छिपे हुये हैं। प्राचीन ऋषियों के विचार आज के वैज्ञानिक सिद्धांतों से मेल खाते हैं। हमें यह भी समझाना है कि वेद और विज्ञान ये एक दूसरे के विरोधी नहीं पूरक हैं - कई लोग यह मानते हैं कि विज्ञान और धर्म या वेद एक-दूसरे के विरोधी हैं। इस लेख के माध्यम से मैं यह सिद्ध करना चाहता हूं कि वेद ‘आध्यात्मिक विज्ञान’ हैं, विज्ञान ‘भौतिक अनुसंधान’ का मार्ग है, दोनों का लक्ष्य एक ही है-सत्य की खोज करना। आधुनिक विज्ञान की जड़ों को वैदिक ज्ञान में तलाशना यह हम सभी लोगों का प्रथम कर्तव्य बन जाता है आज के आधुनिक वातावरण में लेख यह बताता है कि आज जिन बातों को विज्ञान ने आधुनिक खोज माना है, उनके बीज हजारों साल पहले हमारे वेदों में मौजूद थे, उदाहरण स्वारूप- शून्य और दशमलव प्रणाली (गणित), सौर मंडल और ग्रहों की गति (खगोल), औषधियों की उपयोगिता (आयुर्वेद), ध्वनि और ऊर्जा के सिद्धांत (भौतिकी)। पाठकों को प्रेरित करना भी है कि वेदों को वैज्ञानिक दृष्टि से देखें और उनके गूढ अर्थ पर चिन्तन करना जरूरी हो गया है आज के वातावरण में इस लेख का उद्देश्य यह भी है कि हम वेदों को केवल पूजा-पाठ या संस्कारों तक सीमित न रखें, बल्कि उनमें छिपे प्राचीन विज्ञान को समझें, अध्ययन करें और उसका उपयोग आधुनिक समस्याओं के समाधान में करें। वेद और विज्ञान के ज्ञान की एकता को प्रस्तुत करना हम सभी शिक्षकों का प्रथम कर्तव्य बन जाता है यह लेख हमें सिखाता है कि चाहे वह पूर्व का वेद हो या पश्चिम का विज्ञान, सच्चा ज्ञान सीमाओं में नहीं बँधता। यह दोनों के संवाद और सहयोग की आवश्यकता को दर्शाता है। वेदों को केवल धार्मिक ग्रंथ न मानकर ज्ञान का स्रोत क्यों मानना चाहिए? क्योंकी वेदों की व्यापकता वेदों में सिर्फ पूजा-पाठ, मंत्र और आस्थाएँ ही नहीं हैं बल्कि वेदों में संपूर्णज्ञान सृष्टि के पूर्व से ही विद्यमान है जैसे कि- गणित T (Mathematics), खगोलशास्त्र (Astronomy), भौतिक विज्ञान (Physics), रसायन विज्ञान (Chemistry), चिकित्सा शास्त्र(Ayurveda), ध्वनि विज्ञान (एदल्ह् एम्गहम), पर्यावरण संतुलन  (Ecology) जैसे अनेक विषयों का वर्णन प्राप्त होता है। इसलिए वेदों को केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सार्वभौमिक ज्ञान का स्रोत मानना चाहिए। वेदों की रचना करने वाले ऋषियों ने अनुभव, ध्यान, प्रयोग और गहन चिंतन के माध्यम से ज्ञान प्राप्त किया है उन्होंने अपनी खोज के माध्यम से मंत्रों और सूक्तों को संजोया है। उदाहरण 'एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति' (सत्य एक है, ज्ञानी उसे अलग-अलग नामों से पुकारते हैं)-यह दृष्टिकोण की विविधता को स्वीकार करता है, जो वैज्ञानिक सोच का आधार है। ऋग्वेद में वर्णित ‘सूर्य की गति’ और ‘ऋतु चक्र’ आज भी वैज्ञानिक दृष्टि से सही माने जाते हैं। अथर्ववेद में औषधियों और जड़ी-बूटियों का उल्लेख मिलता है, जो आधुनिक आयुर्वेद और वनस्पति विज्ञान से मेल खाता है। सामवेद में ध्वनि और संगीत का जो ज्ञान है, वह आधुनिक ध्वनि तरंग सिद्धांत से मिलता-जुलता है। वेदों में ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों का समन्वय स्पष्टतः प्राप्त होता है वेदों में तत्वज्ञान (Philosophy), भौतिक और आध्यात्मिक विज्ञान (Material and Spiritual Sciences), मानव व्यवहार (Psychology), नैतिकता और जीवनशैली (Ethics and Wellness) का अद्भुत संगम मिलता है। इसलिए वेदों को केवल पूजा-पद्धति का ग्रंथ मानना उनकी महत्ता को सीमित करना होगा। कई प्रसिद्ध विदेशी वैज्ञानिकों और विद्वानों ने भी वेदों को ज्ञान का स्रोत माना है जैसे  निकोला टेस्ला ने वैदिक विज्ञान को ऊर्जा और ब्रह्मांड की कुंजी बताया है। मैक्समूलर ने कहा, ‘वेद विश्व का सबसे प्राचीन और मौलिक ज्ञान है।’ वेदों को केवल धार्मिक ग्रंथ मानना उनके संपूर्ण ज्ञान भंडार को अनदेखा करना होगा। हमें उन्हें वैज्ञानिक, दार्शनिक, चिकित्सा, पर्यावरण और जीवन विज्ञान के स्रोत के रूप में भी देखना चाहिए। यही दृष्टिकोण हमें वेदों और विज्ञान के बीच गहरे अन्तः सम्बन्ध को समझने में मदद करता है। वेद और विज्ञान दोनों ही सत्य की खोज के माध्यम हैं। जहाँ वेद ज्ञान, चेतना और आत्मा के स्तर पर ब्रह्मांड को समझने का प्रयास करते हैं, वहीं विज्ञान प्रकृति और पदार्थ के नियमों को खोजता है। वेदों में कई ऐसे सिद्धांत निहित हैं जो आज के वैज्ञानिक शोधों से मेल खाते हैं, जैसे खगोल, औषधि, गणित और ध्वनि विज्ञान। इसलिए वेदों को केवल धार्मिक ग्रंथ न मानकर, एक प्राचीन वैज्ञानिक ग्रंथ के रूप में भी देखा जाना चाहिए। परंपरा और आधुनिकता का यह समन्वय भविष्य के लिए एक सशक्त मार्गदर्शन बन सकता है। और अगर हम अपने वेदों के ज्ञान को और विज्ञान को साथ लेके चलेंगे तो हमें पुनः विश्वगुरु बनने से कोइ शक्ति नहीं रोक पयेगी।

 आचार्य डॉ. चन्द्रशेखर मिश्र
एमएमवाईवीयू, कटनी, मध्य प्रदेश 

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