भारत की तकनीकी यात्रा और भविष्य (स्वतंत्रता दिवस पर विशेष)

India has witnessed a decade of transformative growth driven by technology and innovation. With initiatives like Digital India, Make in India, Startup India, AI Mission, and Semiconductor Mission, the nation is emerging as a global leader in the digital and scientific era.बीते कुछ सालों में, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभरा है। इस दौरान हमारी जीडीपी लगभग दोगुनी होकर ३.५ ट्रिलियन डॉलर हो गई है। यह विकास हमारी मजबूती और क्षमता का संकेत है, खासकर वैश्विक चुनौतियों के बावजूद। हम विकसित भारत के लक्ष्य के साथ एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं। अगले २३ साल, २०४७ तक, हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

Oct 25, 2025 - 14:11
 0  1
भारत की तकनीकी यात्रा और भविष्य  (स्वतंत्रता दिवस पर विशेष)
(Independence Day Special)

अतीत पर गौर करते हुए आज कोई भी पूरे विश्वास के साथ कह सकता है कि प्रौद्योगिकी से प्रेरित परिवर्तन के कुछ साल भारत के भावी उत्थान के सूचक हैं। इस परिवर्तनकारी यात्रा के एक दशक से अधिक समय बाद विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (अज्arूसहू दf एम्गहर्म  ऊाम्प्हदत्दुब्) उस विजन का प्रमाण है - जहां प्रयोगशालाएं लॉन्च पैड बन चुकी हैं और नवाचार (इनोवेशन) राष्ट्रीय विकास का नया मुहावरा बन चुका है।
भारत ने प्रौद्योगिकी द्वारा प्रेरित एक गहन परिवर्तन देखा है। जो कभी जटिल और दुर्गम माना जाता था, वह अब रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। खासकर ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में डिजिटल उपकरणों ने सरकारी सेवाओं को नागरिकों के करीब ला दिया है, कल्याणकारी वितरण को सुव्यवस्थित किया है, और वित्तीय समावेशन का विस्तार किया है। स्थिर और दूरदर्शी नेतृत्व के तहत, ध्यान केवल सिस्टम बनाने पर नहीं रहा, बल्कि यह सुनिश्चित करने पर भी रहा है कि वे अंतिम व्यक्ति तक पहुँचें और उन्हें सशक्त बनाएँ। भुगतान से लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा से लेकर अंतरिक्ष अन्वेषण तक, प्रौद्योगिकी वह धागा बन गई है जो शासन को विकास से जोड़ती है, जिससे भारत डिजिटल युग में अग्रणी बन गया है।

बीते कुछ सालों में, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभरा है। इस दौरान हमारी जीडीपी लगभग दोगुनी होकर ३.५ ट्रिलियन डॉलर हो गई है। यह विकास हमारी मजबूती और क्षमता का संकेत है, खासकर वैश्विक चुनौतियों के बावजूद। हम विकसित भारत के लक्ष्य के साथ एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं। अगले २३ साल, २०४७ तक, हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। अगर हम अपनी आर्थिक विकास दर को ८ज्ञ् से बढ़ाकर १२ज्ञ् कर लें, तो भारत को ५० ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बना सकते हैं, जिससे समृद्धि और वैश्विक नेतृत्व का नया युग शुरू होगा।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत ने कोविड-१९ महामारी के दौरान जो साहसिक और तेज़ निर्णय लिए, वे पूरी दुनिया में सराहे गए। स्वदेशी वैक्सीन निर्माण और कोविन पोर्टल का सफल संचालन यह दर्शाता है कि भारत अब केवल उपभोक्ता नहीं, तकनीक और विज्ञान का निर्माता भी है। साथ ही फिट इंडिया, योग दिवस और आयुष मंत्रालय की सक्रियता ने भारतीय जीवनशैली को फिर से प्रासंगिक बनाया है। प्रधानमंत्री मोदी की `लोकल को ग्लोबल' बनाने की दूरदर्शी सोच ने मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के माध्यम से घरेलू उद्योगों और नवाचारों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़ा करने की शक्ति दी है। भारत आज तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है, और पीएलआई स्कीम जैसे प्रोत्साहनों से मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव और रक्षा विनिर्माण में भी भारत आत्मनिर्भर बनता जा रहा है।

कृषि प्रधान देश होने के बावजूद देश का कृषि क्षेत्र लंबे समय तक उपेक्षित रहा, सरकारों के तमाम कागजी दावों के उलट स्थिति ये थी कि किसान खेती छोड़कर नौकरी के लिए पलायन करने को मजबूर थे। बीते एक दशक में कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन आए। आज पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से देश के हर छोटे किसान को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता दी जा रही है। फसल बीमा योजना, ई-नाम पोर्टल, माइक्रो सिंचाई योजनाएं, और ड्रोन टेक्नोलॉजी के प्रयोग ने कृषि को सिर्फ उपज की दृष्टि से नहीं, बल्कि आय के स्रोत के रूप में मजबूत किया गया है। इसी तरह शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में भी कई ऐतिहासिक पहल की गईं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में गुणात्मक परिवर्तन आए। मातृभाषा में पढ़ाई को बढ़ावा, कौशल आधारित शिक्षा और डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म जैसे दीक्षा, स्वयम, और पीएम ई-विद्या ने शिक्षा को अधिक सुलभ और समावेशी (इंक्लूसिव) बनाया है। स्किल इंडिया के अंतर्गत लाखों युवाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण दिया गया है, जिससे युवा अब नौकरी मांगने वाले नहीं, देने वाले बन रहे हैं।

ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में, प्रौद्योगिकी ने वित्तीय सेवाओं को लोगों के करीब पहुंचा दिया है। भुगतान को सहज बनाने से लेकर सब्सिडी को सही हाथों तक पहुँचाने तक, डिजिटल उपकरणों ने सार्वजनिक प्रणालियों को तेज़, साफ़-सुथरा और अधिक पारदर्शी बना दिया है। यूपीआई अब भुगतान का एक नया तरीका बन गया है। सबसे स्पष्ट दिखने वाले बदलावों में से एक भारतीयों के भुगतान करने के तरीके में हुआ है। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (यूपीआई) ने पूरे देश में डिजिटल लेन-देन को बदल दिया है। मार्च २०२५ में, यूपीआई का उपयोग करके सिर्फ़ एक महीने में २४.७७ लाख करोड़ रुपये के १८,३०१ मिलियन से ज़्यादा लेन-देन किए गए। (यूपीआई) प्रणाली का उपयोग अब करीब ४६० मिलियन व्यक्ति और ६५ मिलियन व्यापारी करते हैं। डिजिटल भुगतान छोटे से छोटे लेन-देन के लिए भी किए जा रहे हैं, जिनमें से लगभग ५० प्रतिशत को छोटे या माइक्रोपेमेंट के रूप में वर्गीकृत किया गया है। एसीआई वर्ल्डवाइड रिपोर्ट २०२४ के अनुसार, २०२३ में भारत में वैश्विक रीयल-टाइम लेन-देन का ४९ज्ञ् हिस्सा होगा, जो डिजिटल भुगतान नवाचार में वैश्विक नेता के रूप म्ों इसकी स्थिति की पुष्टि करता है।
आधार-आधारित ई-केवाईसी प्रणाली ने बैंकिंग और सार्वजनिक सेवाओं दोनों में प्रक्रियाओं को सरल बनाने में मदद की है। इसने सत्यापन को तेज़ किया, कागजी कार्रवाई को कम किया और जिससे सभी क्षेत्रों में पारदर्शिता आयी है। अप्रैल २०२५ तक, १४१.८८ करोड़ आधार आईडी तैयार की जा चुकी हैं। आधार अब भारत की डिजिटल रीढ़ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, जिससे लोगों को आसानी से सेवाओं तक पहुँचने में मदद मिलती है।

मजबूत डिजिटल इंप्रâास्ट्रक्चर किसी भी आधुनिक अर्थव्यवस्था की नींव है। पिछले ग्यारह वर्षों में, भारत ने मोबाइल नेटवर्क और ग्रामीण इंटरनेट एक्सेस के विस्तार में निवेश किया है। इन प्रयासों ने न केवल कनेक्टिविटी में सुधार किया है, बल्कि विकास, नवाचार और समावेशन के अवसर भी पैदा किए हैं। पिछले ११ वर्षों में भारत के इंटरनेट उपयोगकर्ता आधार में २८५ज्ञ् की वृद्धि हुई है। इसी समय, वायरलेस डेटा की लागत में भारी गिरावट आई है, जो २०१४ में ३०८ रुपये प्रति जीबी से घटकर २०२२ में सिर्फ़ ९.३४ रुपये रह गई है, जिससे डिजिटल सेवाएँ कहीं ज़्यादा किफ़ायती हो गई हैं। पहले से कहीं ज़्यादा लोग अब डिजिटल अर्थव्यवस्था में भाग लेने में सक्षम हैं।

भारतनेट सेवा के द्वारा  गांवों को इंटरनेट से जोड़ना इस डिजिटल अभियान का एक बड़ा हिस्सा है जो ग्रामीण भारत को ध्यान में रख कर बनायीं गयी है। भारतनेट परियोजना ने २.१४ लाख से ज़्यादा ग्राम पंचायतों तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुँचाया है। इस पहल के तहत लगभग ६.९३ लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई है। जिन गांवों में कभी बुनियादी इंटरनेट की सुविधा नहीं थी, अब उनके दरवाज़े पर डिजिटल उपकरण मौजूद हैं।
पूरी दुनिया में तेजी से तकनीकी प्रगति हो रही है। खासकर Aघ्, नई ऊर्जा और अन्य उन्नत तकनीकों में तेजी से विकास हो रहा है। ये विकास आर्थिक प्रतिस्पर्धा और भू-राजनीतिक स्थितियों को बदल रहे हैं। हमारे वैश्विक समकक्ष, खासकर चीन, नई तकनीकों में भारी निवेश कर रहे हैं। इसका उद्देश्य पारंपरिक उद्योगों में बदलाव लाना और नए क्षेत्रों को बढ़ावा देना है। इस रणनीति के कारण अनुसंधान और विकास में काफी निवेश हुआ है, जिससे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अच्छी प्रगति हो रही है। जैसे-जैसे Aघ् अनुसंधान तेजी से नियंत्रित और निजी होता जा रहा है, भारत के पास Aघ् अनुसंधान और विकास में ओपन इनोवेशन का ग्लोबल चैंपियन बनने का अनूठा मौका है। हम इसे भारत में काम करने के लिए विश्व स्तरीय प्रतिभाओं और वैज्ञानिकों को आकर्षित करके, अनुसंधान के लिए बड़े पैमाने पर संसाधन उपलब्ध कराकर और सरकारी प्रोत्साहन देकर हासिल कर सकते हैं। Aघ् के लिए वैश्विक स्तर पर अग्रणी ओपन इनोवेशन प्लेटफ़ॉर्म बनाकर, भारत खुद को Aघ् प्रगति में सबसे आगे रख सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि हमारे मूल्य और दृष्टिकोण इस महत्वपूर्ण तकनीक के भविष्य को आकार दें।
भारत आत्मनिर्भरता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए अपनी तकनीकी और औद्योगिक क्षमताओं को तेजी से मजबूत कर रहा है। एक मजबूत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इकोसिस्टम बनाने, घरेलू सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार करने और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्रित प्रयास चल रहे हैं।

यह भी पढ़े :-ख़ामोशी ख़ुद अपनी सदा हो

७ मार्च २०२४ को माननीय प्रधान मंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित इंडिया एआई मिशन ने, भारत में एक व्यापक और समावेशी एआई पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की एक ऐतिहासिक पहल है। मिशन को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के तहत स्थापित इंडिया एआई इंडिपेंडेंट बिजनेस डिवीजन (आईबीडी) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। यह सात रणनीतिक स्तंभों: कंप्यूट क्षमता, इनोवेशन सेंटर, डेटासेट प्लेटफॉर्म, एप्लिकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव, फ्यूचरस्किल्स, स्टार्टअप फाइनेंसिंग और सुरक्षित और विश्वसनीय एआई पर केंद्रित है । पांच वर्षों में १०,३७१.९२ करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ, मिशन का उद्देश्य राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप जिम्मेदार एआई नवाचार को आगे बढ़ाना है। ३० मई २०२५ तक, भारत की राष्ट्रीय कंप्यूट क्षमता ३४,००० जीपीयू को पार कर गई है
भारत सेमीकंडक्टर मिशन सरकार द्वारा स्वीकृत एक रणनीतिक पहल है, जिसका कुल परिव्यय ७६,००० करोड़ रुपये है, ताकि देश में एक मजबूत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा सके। यह कार्यक्रम सेमीकंडक्टर फैब्स, डिस्प्ले फैब्स, कंपाउंड सेमीकंडक्टर, सिलिकॉन फोटोनिक्स, सेंसर और एटीएमपी/ ओएसएटी सुविधाओं की स्थापना के लिए समान आधार पर ५० प्रतिशत राजकोषीय सहायता प्रदान करता है। यह चिप डिजाइन को बढ़ावा देने के लिए पात्र व्यय के ५० प्रतिशत तक का उत्पाद डिजाइन लिंक्ड प्रोत्साहन और पांच वर्षों में शुद्ध बिक्री कारोबार के ६ से ४ प्रतिशत का परिनियोजन लिंक्ड प्रोत्साहन भी प्रदान करता है।

मिशन का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देना, आयात पर निर्भरता कम करना और भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं वâे साथ एकीकृत करना है। १४ मई, २०२५ तक, कार्यक्रम के तहत छह सेमीकंडक्टर विनिर्माण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी, जिसमें १.५५ लाख करोड़ रुपये से अधिक का संचयी निवेश था। पहले से ही पांच सेमीकंडक्टर इकाइयां निर्माण के उन्नत चरणों में हैं। १४ मई, २०२५ को स्वीकृत नवीनतम परियोजना, एचसीएल और फॉक्सकॉन के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जो उत्तर प्रदेश में जेवर हवाई अड्डे के पास एक डिस्प्ले ड्राइवर चिप विनिर्माण संयंत्र स्थापित करेगा।
भारत ने वित्त वर्ष २०२३-२४ में अपना अब तक का सबसे अधिक रक्षा उत्पादन मूल्य दर्ज किया, जो १,२७,४३४ करोड़ रुपये तक पहुँच गया जो २०१४-१५ में ४६,४२९ करोड़ रुपये से १७४ प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि। यह उछाल स्वदेशी प्लेटफार्मों जैसे कि लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस, अर्जुन टैंक, आकाश मिसाइल सिस्टम, एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर और कई घरेलू रूप से निर्मित नौसैनिक जहाजों की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के इस प्रयास का एक प्रमुख चालक सरकार द्वारा पाँच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों की शुरूआत है। ये सूचियाँ ५,५०० से अधिक रक्षा वस्तुओं के आयात को प्रतिबंधित करती हैं, जिससे स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा मिलता है। फरवरी २०२५ तक, इनमें से ३,००० से अधिक वस्तुओं का पहले ही स्वदेशीकरण हो चुका था। आवश्यक घटकों से लेकर रडार, तोपखाने और हल्के हेलीकॉप्टर जैसी जटिल प्रणालियों तक की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करते हुए, ये सूचियाँ भारत में एक आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से उन्नत रक्षा औद्योगिक आधार की नींव रख रही हैं।

भारत की अंतरिक्ष यात्रा मामूली शुरुआत से वैश्विक सम्मान प्राप्त करने तक विकसित हुई है। रणनीतिक नेतृत्व और तकनीकी महत्वाकांक्षा के बल पर, भारत अब एक मान्यता प्राप्त अंतरिक्ष शक्ति है जिसकी उपलब्धियाँ दुनिया को प्रेरित करती हैं। १५ फरवरी २०१७ को, इसरो ने एक ही मिशन में १०४ उपग्रहों को लॉन्च किया था जो आज भी विश्व रिकॉर्ड है और अभी तक टूटा नहीं है। चंद्रयान-३ मिशन ने एक बड़ी सफलता दर्ज की, जिसमें भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश और चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया। प्रज्ञान रोवर ने एलआईबीएस (लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप) उपकरण का उपयोग करके चंद्रमा पर सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि की। इस उपलब्धि के सम्मान में अब २३ अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत का अंतरिक्ष बजट १३,००० करोड़ रुपये को पार कर गया है, जो अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाता है। स्पैडेक्स (स्पेस डेब्रिस एक्सपेरीमेंटल) मिशन पृथ्वी की कक्षा में अंतरिक्ष मलबे की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए एक नई पहल है। हाल के वर्षों में ३२८ से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप उभरे हैं। ये स्टार्टअप इसरो और अन्य भागीदारों के साथ मिलकर भारत के अंतरिक्ष नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भारत ने इस क्षेत्र में जो प्रगति की है अब वह यही रुकने वाला नहीं है। अब अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत के दीर्घकालिक लक्ष्यों में २०३५ तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का प्रक्षेपण, २०२७ में पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन संचालित करना और २०४० तक मानवयुक्त चंद्रमा मिशन की योजना बनाना शामिल हैं।
(सौजन्य - प्रेस सूचना ब्यूरो भारत सरकार, ओला इलेक्ट्रिक ब्लॉग, डा जीतेन्द्र सिंह राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार - पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मन्त्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग तथा अंतरिक्ष विभाग के लेख ‘मॉडर्न टेक्नॉलजी के केंद्र में हैं आम नागरिक, भविष्य की तैयारी में हैं भारत’, पांचजन्य पत्रिका, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के लेख  ‘संकल्प से सिद्धि: मोदी युग ने गढ़ी नए भारत की सशक्त, सुरक्षित और विकसित तस्वीर’।

डॉ. रवीन्द्र दीक्षित
ग्रेटर नोएडा

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0