स्त्रियां
लेती है रूप मां सरस्वती का ज्ञान के अमिट प्रकाश के लिए। और होती है प्रकट मां भवानी असुरों के भयंकर ह्रास के लिए।
वो जन्म देती है वर्तमान को
सुनहरे भविष्य के लिए।
है भूतकाल को थामे हुए
जो सबक है वर्तमान के लिए।
लेती है रूप मां सरस्वती का
ज्ञान के अमिट प्रकाश के लिए।
और होती है प्रकट मां भवानी
असुरों के भयंकर ह्रास के लिए।
फिर धरती है मां रूप सिया का
अदम्य तेज़ दिखाने के लिए
देती जातीं हैं बार-बार परीक्षा
मां धरती में समा जाने के लिए।
जन्म लेती हैं सुता हिमालय
शिव जी को वापस पाने के लिए
धारण करती है मां रूप कालिके
लहू रक्तबीज पी जाने के लिए।
श्री राधे का किरदार धरे और
कान्हा में रम जाने के लिए
बन जाती है जोगन मीरा
मोहन से मिल पाने के लिए
जौहर करती है रानी पद्दमिनी
सावित्री लाज बचाने के लिए
और भरती है हुंकार लक्ष्मी
झांसी पर मिट जाने के लिए
जाती है अंतरिक्ष कल्पना
राष्ट्र रवि बन जाने के लिए
और जाती अंतरिक्ष सुनीता
भारत वैभव बढ़ाने के लिए।
ले लेती हैं जन्म स्त्रियां,
बेहतर ही कर जाने के लिए
बिखर जाती हैं हर बार बेटियां
खुद को ही समेटने के लिए।।
हर्षा मिश्रा
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