बारिश जैसी है तुम्हारी याद

बिजली की चमक से  कौंध उठता है अतीत।

Mar 14, 2024 - 16:18
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बारिश जैसी है तुम्हारी याद
RAIN

बारिश जैसी है तुम्हारी याद 
जब भी आती है
भींगा कर जाती है
कभी रिमझिम ,
कभी मूसलाधार सी
बिल्कुल
तुम्हारी याद की तरह।
बिजली की चमक से 
कौंध उठता है अतीत।
तुम्हारी याद बारिश के ठहरे 
पानी– सा भी है
जो कई कई दिन तक सूखता नहीं।
ये बरसात मुझे बेचैनी भरा सुकून देती है ,
कुछ खोया है मेरा जो पिघल रहा है बूंदों के रूप में 
यही सोच भींग जाती हूं हर बारिश में
अक्सर।

पल्लवी पाण्डेय

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