थकी हुई जूतियाँ

Apr 24, 2025 - 23:25
May 25, 2025 - 19:41
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सवाल करती है घिसी हुई जूतियाँ,

थक गई हूँ चल चलकर मैं,

और कितना घिसोगे?

सुनकर एक तरफ खयाल आया,

उन छह-छह मासूम कलित कलियों का,

जो खिलने के लिए तैयार है,

सहारा पाकर किसी मजबूत दरख़्त का।

और दूसरी ओर तमाचा मारते उन बीमार वृक्षों का,

जो बड़े आराम से चोट करके कहते हैं,

बिना भाई की बहन से विवाह नहीं करेंगे।।

                        पवन कुमार “मारुत”

                      सहायक आचार्य (हिन्दी),

                  राजकीय महाविद्यालय, कनवास, 

                 कोटा (राज.) पिनकोड- 325602

                 ईमेल- [email protected]

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