800 करोड़। यह संख्या है दुनिया की जनसंख्या का। दुनिया में 720 करोड़ मोबाइल फोन का उपयोग हो रहा है।इस तरह देखा जाए तो करीब 80 करोड़ लोगों के पास मोबाइल फोन नहीं है। 80 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनके पास दो दो मोबाइल फोन हैं। इस हिसाब से 220 करोड़ लोगों के पास मोबाइल नहीं है। इसमें ज्यादातर बच्चे हैं तो कुछ थोड़े-बहुत वयोवृद्ध होंगे।
आज ग्लोबल पाॅप्युलेशन 80 करोड़ की उम्र 15 साल से कम है। 8 से 10 साल से कम उम्र के 150 करोड़ बच्चों को निकाल दें तो दुनिया में लगभग सभी लोग थोड़ा-बहुत मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं। दुनिया में 858 करोड़ नंबर इश्यू हो चुके हैं। इस समय ग्लोबल पाॅप्युलेशन की अपेक्षा अधिक मोबाइल नंबर ऐक्टिव हैं।
ग्लोबल पाॅप्युलेशन में से 70 प्रतिशत स्मार्टफोन यूजर्स हैं। मतलब लगभग 560 करोड़ लोग स्मार्टफोन धारक हैं। इसमें 535 करोडँ लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं। पिछले एक साल में इंटरनेट यूजर्स में 9-10 करोड़ की वृद्धि हुई है। जल्दी ही यूजर्स संख्या 550 करोड़ को छू लेगी।
जब से स्मार्टफोन और इंटरनेट का उपयोग बढ़ा है, तब से लाइफस्टाइल बहुत आसान हो गई है। कितनी सुविधाएं मोबाइल स्क्रीन पर आ पहुंची हैं। कितनी सर्विस के लिए बाजार में भटचना पड़ता था, उसके बजाय अब वे सर्विस घर बैठे मिल जाती हैं। इसलिए अब समय और खर्च बच जाता है। लाइट बिल, गैस, पाॅलिसी का पेमेंट्स चंद सेकेंड में हो जाता है। शापिंग में ई-कॉमर्स का कांसेप्ट अब पुराना होता जा रहा है। उसके बदले सोशल काॅमर्स और क्विक काॅमर्स का मार्केट तेजी से बढ़ रहा है।
पर इसी के साथ बढ़ा है साइबर क्राइम का भयानक ट्रेंड। बीता साल 2024 देश-विदेश में डिजिटल अरेस्ट और डीपफेंक के नाम रहा। नकली आवाज से या नकली वीडियो काल से फ्रॉड की घटनाएं बढ़ी हैं। ठगने वाली लिंक भेज कर बैंक एकाउंट साफ करने का अपराध नई ऊंचाई पर पहुंचा है। ऐसे माहौल में अगर साइबर अपराध रोका जा सकता है तो मात्र एक ही रास्ता है, और वह है डिजिटल लिटरेसी।
डिजिटल लिटरेसी यानी डिवाइस ऑपरेट करने की योग्यता अभी तक डिजिटल लिटरेसी की यही डेफिनिशन थी। 2000 के दशक में जानकारी सर्च करनी आती हो, यह यूजर्स की डिजिटली साक्षरता कही जाती थी। डिजिटल मीडिया का उपयोग कर के कम्युनेट कर सके, जरूरी जानकारी प्राप्त कर सके, ऑनलाइन बुक-गिफ्ट का आर्डर कर सके तो यह बात डिजिटल लिटरेसी कहलाती थी।
पर समय बदला तो डिजिटल लिटरेसी यानी डिजिटल साक्षरता की व्याख्या भी बदल गई। डिजिटल लिटरेसी मात्र
डिवाइस ऑपरेट करने की योग्यता नहीं रही। यह अलग चीज है। डिजिटल वर्ल्ड को अच्छी तरह समझ लेना ही डिजिटल साक्षरता है। डिवाइस या डिजिटल प्लेटफार्म की मदद से कुछ आर्डर करना हो या कोई जानकारी प्राप्त करनी हो, उस समय संभावित खतरे को परखें और उससे बचें, यह डिजिटल साक्षरता है।
टेक्नीकली डिजिटल लिटरेसी की बात हो तब संख्या लिख दी जाती है कि 490 करोड़ लोगों के पास स्मार्टफोन है, 530 करोड़ लोगों के पास इंटरनेट ऐक्सेस है और ये रफली 530 करोड़ लोग डिजिटल साक्षर माने जाते हैं। पर यह व्याख्या अधूरी है। इसमें से मात्र 200-250 करोड़ लोग ही डिजिटल साक्षर हैं। डिवाइस की ऑपरेटिंग एबिलिटी और डिवाइस की स्किल - इन दोनों का फर्क समझना जरूरी है। कोई भाषा लिखना-पढ़ना जान जाए तो वह साक्षर नहीं बन सकता। वह भाषा अच्छी तरह लिखना-बोलना-पढ़ना या उसका उपयोग करना जान जाए तो इसे साक्षरता कहते हैं। हेतुपूर्वक उपयोग हो, उसे साक्षरता कहते हैं। जो एक्ट हो रहा है , उसकी ठीक से समझ हो, तभी प्रयोजन के साथ एक्ट कहलाता है।
डिजिटल लिटरेसी और ऑपरेटिंग एबिलिटी में फर्क है। टेक्नोलॉजी का युग शुरू हुआ तब शुरू में डिजिटल लिटरेसी की जो व्याख्या थी, वह उस समय पूरी और पर्याप्त थी। परंतु टेक्नोलॉजी अपडेट हुई, उपयोग बदला तो व्याख्या भी बदलती गई। नई व्याख्या कुछ इस तरह है - ऑपरेटिंग एबिलिटी और डिजिटल स्किल की जानकारी यानी डिजिटल साक्षरता।
दो एक साल पहले हुई गूगल की डिजिटल लिटरेसी रिपोर्ट की मानें तो इस समय 15 से 24 साल की उम्र के मात्र 29 प्रतिशत को किसी न किसी रूप से डिजिटल लिटरेसी का पाठ पढ़ने को मिलता है। इसके अलावा एक बड़ा वर्ग इस कांसेप्ट से अंजान है। उनके पैरेंट्स भी इस दिशा में गंभीर नहीं हैं। सही में यह एआई, बीआर के जमाने में टेक्नोलॉजी का हेतुपूर्वक उपयोग सीखना बेहद अनिवार्य है।
ब्रिटेन में पिछले साल पहली बार यूएन की सुरक्षा परिषद आयोजित हुई थी। उसमें यह आवाज उठी थी कि टेक्नोलॉजी की अच्छी और खराब बातों से अवगत रहें, इसके लिए उच्चतर स्कूल से ही उन्हें डिजिटली साक्षर करना चाहिए।
साल 2024 में देश और दुनिया में डिजिटल अरेस्ट, साइबर फ्राड से तहलका मचा रहा। भारत में ही पिछले साल लगभग 95 हजार डिजिटल अरेस्ट के मामले दर्ज हुए। देश के नागरिकों ने डिजिटल अरेस्ट में 120 करोड़ रुपए गंवाएं। इसी तरह साइबर फ्राड से देशवासियों ने 2054 करो रुपए एक साल में गंवा दिए। साइबर अपराध मे 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। ज्यादातर साइबर अपराधों में चीन की भागीदारी निकली। भारत के लोगों को एक नहीं तो दूसरी तरह से फंसा कर जो रकम वसूली जाती है, उसका उपयोग भारत के विरोध में ही हुआ।
डिजिटल अरेस्ट और साइबर क्राइम में सब से महत्वपूर्ण फैक्टर था- अवेरनेस का अभाव। यूजर्स की डिजिटली अज्ञानता का साइबर अपराधियों ने भरपूर गैरलाभ उठाया।एक का डबल करने की लालच का दे कर पेमेंट कराने से ले कर वीडियो देख कर पैसा कमाने के भ्रामक विज्ञापनों तक सैकड़ो यूजर्स साइबर अपराधियों के जाल में इसलिए फंसे, क्योंकि उन्हें डिजिटल वर्ल्ड की डार्कसाइट का परिचय नहीं था। अगर सही समय पर डिजिटल वर्ल्ड के बारे में सही जानकारी प्राप्त की होती तो ऑनलाइन ठगी से बच सकते थे। अज्ञानता में ओटीपी शेयर करना, बैंक एकाउंट-कार्ड की जानकारी दे देना या अथेंटिक न हो ऐसी ऑनलाइन लिंक से लेन-देन करने जैसी मोस्टली ठगी हुई है।
इस तरह की ठगी रोकने का एक ही रास्ता है अवेरनेस। उचित समय पर उचित जानकारी रखना। संक्षेप में डिजिटल लिटरेसी। करोड़ो यूजर्स को एक बात समझनी जरूरी है कि स्मार्टफोन ले लेने से कोई स्मार्ट नहीं बन जाता। स्मार्ट बन सकता है योग्य अवेरनेस रखने से। और इसका संकल्प भी लेना चाहिए। डिजिटली साक्षर होने से देश के करोड़ो रुपए बच जाएंगे और यह जो रुपया काली करतूतों में लग रहे है, उससे भी बचेंगे। इस तरह देखा जाए तो डिजिटल लिटरेसी देश सेवा है।
डिजिटल साक्षर बनो।
डिजिटल सुरक्षित रहो।
देश के 50 प्रतिशत इंटरनेट यूजर्स को ईमेल करना नहीं आता
स्मार्टफोन हाथ में आ जाने के साथ रील्स देखना ये ह्वाट्सएप मैसेज करना आ जाए यह अलग बात है और इसका हेतुपूर्वक उपयोग करना अलग बात है। देश में इस समय 93 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं। पर इनमें से आधे लोगों को ईमेल भेजना नहीं आता। इन इंटरनेट यूजर्स में आधे ऐसे हैं, जो केवल रील्स, वीडियो और ओटीटी देखते हैं, ह्वाट्सएप में आने वाले मैसेज और फोटो देखते हैं और फारवर्ड करते हैं बस। इससे विशेष उन्हें कुछ आता नहीं। इससे विशेष वे कुछ सीखने का प्रयास भी नहीं करते। डिजिटल पेमेंट, ईमेल जैसी उपयोगी सर्विस का लाभ लेना उन्हें आता ही नहीं। यह सरकारी सर्वे में पता चली है। नेशनल सेंपल सर्वे आफिस के जुलाई-2022 से जून-2023 तक के सेंपल सर्वे में बताया गया है कि सैकड़ो यूजर्स के पास मोबाइल है, परंतु ऑनलाइन पेमेंट, ईमेल या डिजिटल होम एपलायंस ऑपरेट करना उन्हें अच्छा नहीं लगता। सरप्राइजली 50 प्रतिशत में से 30 प्रतिशत की उम्र 25 साल से कम थी।
हरियाणा की पहल अन्य राज्यों को दिशा देगी
साल 2024 के गिनती के दिन बाकी थे कि हरियाणा की सरकार ने घोषणा की। इसके अनुसार 11वीं और 12वीं क्लास में डिजिटल साक्षरता का कोर्स पढ़ाया जाएगा। इस कोर्स में डाटा विश्लेषण, डिजिटल सुरक्षा, डिजिटल साक्षरता जैसी बातों का समावेश होगा। केरल में भी ऐसी पहल हुई है। केरल के कुछ प्राइवेट और सरकारी संस्थाओं में डिजिटल अवेरनेस का पाठ पढ़ाया भी जाता है। पर पूरे राज्य के विद्यार्थियों के लिए अभी यह उपलब्ध नहीं है। अगर हरियाणा यह पहल करता है तो इस तरह की शिक्षा सभी को देने वाला पहला राज्य होगा। वैसे तो केंद्र सरकार ने नेशनल डिजिटल लिटरेसी मिशन काफी साल पहले शुरू किया था। पर उसका कांसेप्ट थोड़ा अलग था। उसमें डिजिटल साक्षरता देनी थी, पर उसका मुख्य उद्देश्य डिवाइस को ऑपरेट करना सिखाना था। इस मिशन के अंतर्गत राज्य के 10-10 लाख नागरिकों को टेक्नोलॉजी का उपयोग कैसे करना है, यह सिखाने का लक्ष्य था। केंद्र सरकार देश भर के स्कूलों में बच्चों को डिजिटल लिटरेसी देने की दिशा में कदम उठाए तो यह बेहद से लिया जाने वाला निर्णय होगा।
वीरेंद्र बहादुर सिंह
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