विज्ञान
हर जगह है व्याप्त-चर्चा, आज इस विज्ञान की, मिट रही मानस पटल से, कालिमा अज्ञान की।
विज्ञान ऐसा ज्ञान है,
जिसमें निहित सब ज्ञान है,
विज्ञाम से जो है परे,
सिर्फ वह भगवान है।।
हर जगह है व्याप्त-चर्चा,
आज इस विज्ञान की,
मिट रही मानस पटल से,
कालिमा अज्ञान की।
देन है हर प्रगति,हर वस्तु,
इस विज्ञान की।
दुंदुभी है बज रही,
हर जगह इस विज्ञान की।
जिन्दगी और मौत भी,
बस में हुए विज्ञान के,
हर जगह हैं दिख रहे,
चमत्कार इस विज्ञान के।
हो गया है विश्व सारा,
एक लघु परिवार सा।
आसमां पर जा बना डाला है,
नर-घर वार सा।
विश्व की हर वस्तु पर,
विज्ञान का प्रभाव है।
चंदा पर पहुंच चुका,
सूरज पे रखता चाव है।
छोटा इसको पड़ रहा यह,
प्रकृति का फैलाव है,
वरदान भी,अभिषाप भी,
यह धूप भी है छांव है।।
अजय वर्मा 'अजेय'
What's Your Reaction?